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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, June 26, 2014

मीन अपण ड्यारम मुर्गा बांधणाइ

घपरोळया , हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती      
                     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

मि -चचि ! त्वैकुण कथगा बोलि आल कि तू मिस काल नि कर्या कौर।  त्यार मोबाइलौ बिल मि मुंबई मा भरणु रौंद। 
चची -अरे ! काण्ड लग गेन।  इख गांव  मा मिस काल करणै आदत जि पड़ी गे।  त मि बिसर जांद कि त्वैकुण  फोन करणु छौं।
मि -अच्छा बता फोन क्यांकुण फोन किलै कार ?
चची -वु म्यार बिचार बौण गे कि चौक मा एक मुर्गा बंधे जाव। 
मि -अरे वाह ! यी त बढ़िया सोच च कि तख गां मा मुर्गी पालन करे जाव। 
चची -ओहो तू बि त
मि -चचि ! तू मुर्गी पालन करलि तो तू बि व्यस्त ह्वे जैलि।  गां वाळु तैं अंडा अर मुर्ग्युं बान इना ऊना दुसर गां नि डंडखण पोड़ल। 
चची -त्वै तै पता नी च अब रोज कोटद्वार बिटेन दूधक टेम्पो मा अंडा , ब्रेड , मक्खन अर मुर्गी बि आंदन तो अंडा -मुर्गी बान अब गांऊँ  मा नि डंडखण  पड़द।
मि -हाँ पर जब तू मुर्गी पालन करलि त लोगुं तैं गाँवी मा अंडा -मुर्गी मिलण मिसे जाल तो बढ़िया ह्वे जाल कि ना ?
चची -मै लगद तू अबि बि सुदबिज छे !
मि -नै। 
चची -त फिर मुर्गी पालन की छ्वीं किलै लगाणु छे।  अरे जब तेरी नौकरी लग त मीन खेती करण बंद करी छौ कि ना ?
मि - हाँ जनि मेरी नौकरी लग त गाँव वाळु सलाह पर तीन खेती करण बंद कार कि अब जब मन्योडर आइ जाल त खेती पर किलै हडका तोड़े जावन !
चची -अब जब सुंदरु (चचिक नौनु ) की नौकरी लग त मीन क्या कार ?
मि -तीन देखादेखी अर सकासौरी मा गौड़ी भैंस बेचीं देन। 
चची -ये जब दु दु कमाण वाळ ह्वे जावन त कैक दिमाग खराब हुयूं च जु मेनत कार।
मि -हाँ हम द्वी भायुंन बि ब्वाल कि बंद कौर सि खेती अर गौड़ -भैस पाळण।  
चची -जब तुमरि तनखा बढ़ तो मीन क्या कार ?
मि -तीन सग्वड़म साग भुज्जी बोण बंद कौर दे।   
चची -तो तू क्या समझणी छे मि मुर्गी पालन करलु ?
मि -पर त्वी   .... .... 
चची -अरे मी मुर्गी पालन करुल तो गां मा मेरी नाक नि कट जालि कि परिवार मा द्वी नौकरी करणा छन अर मि गुजर बसर का वास्ता मुर्गी पालन करणु छौं ? क्या ब्वालल लोग मेखुण ?
मि -हाँ पर तीनि त ब्वाल कि तू मुर्गा बाँधणी छे। 
चची -हाँ मीन मुर्गा बांधणो बात कार मुर्गी पालन की बात थुड़ा कार ?
मि -मुर्गा ? क्यांकुण चयाणु च मुर्गा ?
चची -सुबेर सुबेर बांग दीणो बान चयेणु च मुर्गा !
मि -सुबेर सुबेर बांग दीणो बान चयेणु च मुर्गा ? बांगक बान मुर्गा ?
चची -हाँ ! अचकाल बिजण मा तकलीफ ह्वे जांद।  क्वी सुबेर बिजाळण वाळ इ नी च।   भौत सा बगत त मि दुफरा मा बिजुद अर कबि कबि त दुसर दिन स्याम बिजुद। 
मि -पर द्वी घड़ी अलार्म वाळ छन।  एक मेकैनिकल अर एक इलेक्ट्रॉनिक घड़ी। 
चची -एक पर मि बार बार चाबी दीण भूल जांद अर दुसर घड़ी पर पता इ नि चलद कि कब बैटरी बदलण।  इनमा मि तैं कु  बिजाळलु ? 
मि -मोबाइल पर बि त अलार्म च ?
चची -अरे बिजोग पड़ जांद। मोबाइल मा 7 AM की जगा 7 PM सेट ह्वे जांद।  एक दिन मि मोबाइल कु अलार्म का चक्कर मा सुबेर सात बजिक जगा स्याम सात बजी बिजु। 
मि -हाँ त बगल मा कुटुंब की बोडी बि त च।  बोडी बि त बिजाळ सकदी च ? 
चची -हां पर तेरी बोडी  तै बि बिजाळण वाळ क्वी हूण   चयांद कि ना ? फिर हम द्यूराण -जिठाण छंवां तो हफ्ता मा एक दिन हम झगड़ा नि करदां तो हमर खाणक नि पचद।  त जब हम अबच ह्वे जाँदा त हम एक हैंक तैं बिजाळणो धै बि नि   लगौंदा।
मि -हाँ पर गां मा हौर बि जनन छन वो त बिजाळ सकदन कि ना ? 
चची -हाँ पर जब हमम कुछ काम नी च त हम सब समय बिताणो बान जब झगड़ा झगड़ा खिलदा तो वै टैम पर क्वी कै तैं नि बिजाळदु।  
मि -मतबल , सुबेर बिजणो बान मुर्गा आवश्यक च ? 
चची -हाँ ! घड़ी , मोबाईल , द्यूराण -जिठाण पर पूरा भरोसा ह्वे नि सकद त मुर्गा ही एक विश्सनीय चखुल च जै पर भरवस करे सक्यांद।
मि -त ठीक च  सुबेर सुबेर बांग दीणो बान बाँध दे मुर्गा चौक मा.  
चची -आज ही तू बीस हजार रुपया म्यार खाता मा ट्रांसफर कर दे । 
मि -बीस हजार रुपया मा मुर्गा ?
चची -ना ना ! बढ़िया मुर्गा तो द्वी सौ रुपया मा मील जालो।  मुर्गा कुण चौक मा मुरगाखाना बणाण पर बीस हजार रुपया खर्च आलो।
मि -ठीक च मी बीस हजार रुपया ट्रांसफर कर दींदु। 




Copyright@  Bhishma Kukreti  23 /6/2014   
    

*लेख में  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । 

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