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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, June 16, 2014

तड़म लगलि या मंहगाई

घपरोळया , हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती      
                     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
मि त परिवार वाळ छौं , अपण लालू यादव बि बड़ो परिवारो मुखिया च त मैंगै से परेसान हूण लाजमी च पर जयललिता , ममता , मायावती , नवीन पटनायक अर नरेंद्र मोदी सरीखा जन इकुळया महानागरिक बि  मंहगाई की महामार से परेशान छन। 
  प्रधान मंत्री ह्वेक बि बिचारा नरेंद्र मोदी की  उन्नीस लाख रुपया सालाना तनखा च।  नरेंद्र मोदी बि मंहगाई से उद्वेलित छन।  अब जब दिन मा बीस मीटिंग हून्दन अर नरेंद्र मोदी कु बिगरौ च कि हरेक मीटिंग मा अलग रंग का कपड़ा पैरण पड़दन अर टेलर रोज कपड़ा व टेलरिंग का रेट बढ़ै दींदु।  इनि पंजाब का राज्यपाल महामहिम शिवराज पाटिल जी का हाल छन,  दिन मा कुज्याण कथगा ड्रेस बदलदन धौं।  इथगा कम तनखा मा इथगा ड्रेस द्वी महानगरिक कखन लाला ? दुयुं बीच मा जरूर बातचीत ह्वे होलि अर जरूर नरेंद्र मोदीन शिवराज पाटिल जी से सलाह बि ले होलि ," पाटिल जी ईं मंहगाई पर काण्ड लगल ! सन 2002 से मेरी तनखा मा ख़ास बढ़ोतरी नि ह्वे पर ड्रेस का भाव बीस गुणा बढ़ गेन।  जरा बतावो त सै कि यीं मैंगै तैं कनै कम करण ?"
पाटिल जीक जबाब होलु।," यि राम दा मै तैं जि पता हूंद तो मि मंहगाई से इथगा परेशान हूंद।  हम त सार लग्यां छंवां कि अब "अच्छा दिन ऐ गेन " तो मैंगै अफिक कम ह्वे जालि। "
यूं द्वी भद्र जनुं  इनफ्लेसन की परेशानी समज मा आण लैक च। 
अब लालू प्रसाद यादव की परेशानी कैक समज मा नि आण कि सन 1985 मा चारा का भाव क्या छया अर अब 2014 मा क्या बिजोग पड़ी गे।  बिचारा लालू अर राबड़ी देवी अपण भैंसुं तैं ढाढ़स दींदन बल ," यां जरा ये नितीश कुमार ऐंड कम्पनी की नया डुबण द्यावो फिर हम तुम सब्युं तैं हरा हरा चारा खलौला। हमर अर तुमर अच्छा दिन जरूर आला।  अबि कुछ दिन सूखा घास से ही काम चलै ल्यावो। " भैंस बिचारि बि क्या ब्वालन ऊँ तैं बि पता च कि सूखी घास का रेट बि अब कम नी च तो लालू यादव जी का बजट कु मंहगाई का कारण कुहाल छन। 
बहिन मायावती बि मंहगाई की मार से कम नि रंगत्याणि होलि।  जु जूतियां  कुछ साल   पैल तक हजारों मा मिलदी छे अब लाखों मा आणा छन अर इनकम का कुछ भरवस नि ह्वावो तो बहिन जी की  अकळाकंठी लगण ही च।  मंहगाई तो मंहगाई हूंद अब गरीबक जुत बि मैंगा अर बहिन जी की जूतियां बि मैंगी।  मंहगाई की चोट सब पर इकजनि पड़दि।  बहिन जीन नरेंद्र भाई से अबि मुलाक़ात नि कार किंतु जब बि मीलली त माया बैणिन बुलण ही च ," ये भै तीन त बोली छौ कि अच्छा दिन आण वाळ छन तो फिर अबि बि जूतियाँ मैंगी किलै भै ?"  चूँकि नरन्द्र मोदी जनान्युं मुख नि लगदन तो नरेंद्र मोदी मौन ही राला। 
अम्मा जयललितान त मंहगाई से लड़णो सरल तरीका अपनै याल।  अपण नाम याने अम्मा नाम से लूण तेल बिचण या फ्री दीण शुरू करी याल तो अवश्य ही जयललिता बैणि अपण ड्रेस का बान कै ना कै फैक्ट्री खरीद ल्याली पर अच्काल डूबीं से डूबीं फैक्ट्री खरीदण बि कम मुश्किल नी  च।, मंहगाई की मार कश्मीर से कन्याकुमारी तलक च। 
हाँ सि ममता बनर्जी अर नवीन पटनायक पर मंहगाई से क्वी फरक नि पड़ल किलैकि वु अपण ड्रेस एकी कलर का रखदन तो दुयुं पर मंहगाई से क्या फर्क पड़न ब्याळो झुल्ला आज बि पैन ल्याल तो क्या फरक पड़न ?
ए राजा अर सुरेश  कलमाड़ी बि मंहगाई की चपेट मा अयाँ छन अर मैंगै तै चट्टेलिक गाळी दीणा छन। 
जब कॉंग्रेस चुनाव हार तो ए राजा अर सुरेश कलमाड़ी खुस ह्वेन कि बेकार बैठ्याँ वकील कपिल सिब्बल अर पी चिदंबरम सस्ता मा मिल जाल किंतु जब कपिल सिब्बल अर पी चिदंबरमन अपण फीस बताई त ए राजा अर कलमाड़ी द्वी गस खैक बेहोश ह्वे गेन।  दुयुंक बुलण  छौ कि वकीलुं पुटुक भरणो थोड़ा हमन धोका धडी कार ! 
भूतपूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद बि कुत्ता बिल्लियुं भोजन मंहगा हूण से त परेशान छैं इ छन पर ऊँ तैं अब पता लगणु च कि दिल्ली मा मकानुं भाव इथगा ह्वे गेन कि या तो दिल्ली मा मकान ल्यावो या खाणा खावो , द्वी चीज एकसाथ हूण कठण च। 
जब आम लोगुं तैं पता चलद कि आम लोगुं परेशानी से ज्यादा हमारा भद्र लोगुं परेशानी अधिक च तो वो अपण परेशानी भूलिक भद्र लोगुं परेशानी से परेशान हूण बीसे जांदन।  


Copyright@  Bhishma Kukreti  14/6/2014   
    

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।   

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