उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Thursday, June 18, 2015

यहां कोई ज़िंदा नहीं बचेगा [इख कैन ज़िंदा नि बचण ] - Count....

----------------------------------------------दृश्य    16 -   , Scene 16   ----------------------------------------- 

------------------------[महेश का मृत शरीर ]-----------
[नंदा , धूमल , बृजमोहन , कोमल , आलोक, सर्यूळ  खड़ा छन। डा मदन शरीर की जांच करणा छन। ]
आलोक - जी डाक्टर ?
मदन - हार्ट अटैक कु तो सवाल इ पैदा नि हूंद ।  कै वजनदार चीज से सर का पिछ्ला हिस्सा पर गहरी चोट।
आलोक - अब सब कुछ साफ़ च। आज मि जब बालकोनी मा छौ तो सबकी हरकत दिखेणी छै।  आप हत्यारा की खोज करणा छया ?
धूमल - अवश्य।
आलोक - अब साफ़ च कि मिसेज सर्यूळ अर मैकमोहन की मौत  ना त आत्महत्या  च अर ना हि एक्सीडेंट च। अर तुम बि यही अंदाज लगाणो ह्वेल्या कि किसनदत्त कु हम सब तै इख बुलाणो क्या उदेस्य  च।
बृजमोहन - वु पागल च।
आलोक -हाँ ह्वे सकद।  पर अब हमारो एकी उदेस्य च कि कन कै बचे जावो।  जिंदगी बचाण आवश्यक च।
मदन - पर क्वी बि द्वीप मा नी च।
आलोक -वै हिसाब से तुम  सही छंवां।  पर मीन सुबेर स्वछ अर ये नतीजा पर पौंछु कि किसनदत्त इखि च। बिलकुल साफ़ च कि किसनदत्त इखि च।  अर हम मादे क्वी एक च।
नंदा - नही नही।
आलोक -मेरी बच्ची ! जु बात दिखेणी च वै तै इंकार नि करण चयेंद।  दस सैनिकुं मिनिएचर छया।  तीन तो खतम अब छन सात।  याने असल मा छ्युं मौत हूण। तीन तो शक से बाहर ह्वे गेन अब सातों मादे क्वा च जू शक से भैर ह्वे सकद ?
धूमल - सर्यूळ ?
आलोक -कै हिसाब से वु शक का दायरा से भैर च ?
धूमल - एक तो मूर्ख जन च फिर वैक घरवळि की बि हत्या ह्वे।
आलोक -मेरी अदालत मे भौत सा केस ऐन जखमा पतिन पत्नी की हत्या कार।
धूमल - तो तुमर हिसाब से हत्यारा हम मादे क्वी च अर हम सब शक का दायरा मा औंदा ?
आलोक -देखो पद , गुण अर हौर चीजुं तै ध्यान मा रखिक  हम तै नि सुचण चयेंद। क्या हम मादे नी च जैन मिसेज सर्यूळ या मैकमोहन तै जहर खलै होलु ? क्या हम मादे नि ह्वे सकद जैन महेशा की हत्या कर हो ? क्या हम मादे हत्यारा नि ह्वे सकद क्या ?
बृजमोहन - द्याखो जी ! शक करे गे कि क्वी खिड़की रस्ता मैकमोहन का कमरा मा गे। पर भितर रैक ज्यादा सुभीता छे।  याने हम मादे ही क्वी सरलता से कर सकद छौ।
नंदा - अर मिसेज सर्यूळ ?
बृजमोहन - हाँ या तो सर्यूळ छ्यो नजीक या डाक्टर छया -
डा मदन [गुस्सा मा ]- देखो फिर गलत बात च हाँ।  मीन दस दैं बोल याल कि व गोळी खतरनाक नि छे।
आलोक - डा मदन आपक गुस्सा जायज च। पर हकीकत क्या बुलणि च ? हकीकत या च कि आप या सर्यूळ ही मिसेज सर्यूळ का काम तमाम कर सकद छया। अब हम मादे हरेक की स्थिति की विवेचना करे जावो।  हम सब वै काम तै अंजाम दे सकदा छा।
नंदा -तुम सब जाणदा छंवां कि मि कखिम बि नजिक नि छौ।
आलोक - जख तलक मेरी यादास्त कु सवाल च मि ब्योरा दींदु।  कखिम गलत हो तो बतै दियां हाँ। मैकमोहन अर धूमल जीन  सर्यूळ तै उठैक सोफ़ा मा धार अर डा मदन वींपर झुक छया।  फिर डा मदनन सर्यूळ तैं ब्रैंडी लाणो ब्वाल।  सर्यूळ ब्रैंडी लायी।  सर्यूळ ब्रैंडी मा कुछ बि मिलै सकुद छौ।  फिर डा मदन अर सर्यूळ तैं भितर लीगेन।  डा मदनन सेडेटिव गोळी दे।
बृजमोहन - यु त ज ह्वे स्यु ह्वे। तो यांसे अलोक जी , धूमल , अर मि अर नंदा छुट जांदन।
आलोक - अब कुछ संभावनाओं पर बि विचार जरूरी च। मथि मिसेज सर्यूळ पड़ीं च , वींतै सिडेटिव दिए गे। वा निंद मा सि च। अब इन मा क्वी भितर आंद अर बुल्दु कि वींकुण डाक्टरन एक दवा दियीं च तो मिसेज सर्यूळन वीं दवा तै खाण छौ  कि ना ? अब मि आंद जनरल महेश की हत्या पर। या हत्या सुबेर ह्वे।  मि बालकोनी मा बैठ्युं छौ।  बस तबी औं जब भोजन की घंटी बज।  मि बि जल्दी समुद्रौ किनारा जै सकुद छौ।  पर मि गे नि छौं।  हाँ मीम क्वी प्रमाण नी च।
बृजमोहन - मि सरा सुबेर धूमल अर डा मदन का साथ छौ।
आलोक - अर रस्सी का वास्ता भितर औंवां।
बृजमोहन  - हाँ मि रस्सी लाणो भितर औं अर फिर वापस।
मदन - अर भितर देर तक छया।
बृजमोहन - आपक मतलब क्या च ? क्या मतलब ?
मदन -मीन खाली इ ब्वाल बल आप देर तक भितर छया।
बृजमोहन - हाँ खुज्याण म देर ह्वे गे।
आलोक -जब बृजमोहन भितर छौ तुम द्वी कख छया ?
डा मदन - हाँ धूमल थोड़ा देरौ कुण नि छया। मि उकमी छौ जखम छौ।
धूमल -मि सूरज का हिसाब से दिशा जाणन चाणु छौ।  बस एक या द्वी मिनटों कुण।
डा मदन - हाँ इथगा देर मा कतल तो क्या घाव बि नि ह्वे सक्यांद।
आलोक -क्या तुमन अपण घड़ी पर बि नजर डाळ ?
मदन - ना।
धूमल - मेरी घड़ी इ नि पैरीं छे।
आलोक -एक या द्वी मिनट बस सुदिक जबाब च।  मिस कोमल ?
कोमल -मि घर का पास इ छौ। अर लंच टाइम तक बैठ्युं रौं।
आलोक - मिस नंदा ?
नंदा - मि पैल कोमल का साथ छौ। फिर घुमणु रौं।  फिर महेश का दगड़ छ्वीं लगैन।
अलोक - अब रै गे सर्यूळ ! मै उम्मीद नी च कि वैक गवाही कुछ कामक होलि।
 [सर्यूळ का प्रवेश ]
आलोक -सर्यूळ तू सुबेर बिटेन क्या करणु रै ?
सर्यूळ -मि सुबेर बिटेन खाणक बणाणो अर अन्य काम मा व्यस्त रौं।
धूमल नंदा से - अब देख हाँ एन अपण फैसला सुणान  हाँ।
आलोक - हम अबि बि क्वी नतीजा पर नि ऐ सकदवां।  हम मादे क्वी भौत खतरनाक पागलपन का हद तक च।  मि फिर बुल्दो कि क्वी हम मादे बड़ो खतरनाक इरादा लेक इक अयुं च। हम तै अपण हिफाजत का वास्ता बहुत चौकन्ना रौण पोडल।

धूमल - अब कोर्ट कुछ देरौ कुण स्थगित ह्वेलि।

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments