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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, June 15, 2015

डांडुं छ्वीं समुद्रौ छाल पर-नागराजा पूजा जात्रा -3

मुंबई बटें जसपुर तक नागराजा पूजा जात्रा -3  
                                       अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक यात्रा वृतांत                    
                                     
                                                           जत्र्वै - भीष्म कुकरेती 
               आज गांवुं मा ना समौ बल्कण मा शहरूं बि समय बदल गे।  पैल ढांगू कु क्वी मनिख मुंबई से गाँव जावो तो सरा क्षेत्रवास्युं तै पता चल जांद छौ कि फलण कब अर कैं गाडी से जाण अर तकरीबन लोग अपण घरवळु कुण लैमनचूस , तेल ,चा , मसाला भेजदा छ अर जाण वळ तै एक या द्वी शिवाजी बीड़ी बंडल द्युंदु छौ।  कुछ रुपया खाणि बि ड्यारौ कुण भिजदा छा।  तब सहकारिता उच्च स्तर पर छे , मुंबई मा बि अर गाँव मा।  आजको गाँव जाणो च अर को आणु च की खबर ना तो मिलदी ना कै तै जरूरत बि च।  गाँव खाली जि ह्वे गे।  सहकारिता कु परिचायक छया मुंबई कि सोसाइटी।  सोसाइटी कु अर्थ हूंद छौ सदस्य हर मैना पैसा जमा करदा छा अर जै सदस्य तै ब्यौ बरात , घर जाणो या गाडी घ्वाड़ा /टैक्सी लीणो जरूरत ह्वावो वै तै कम ब्याज पर पैसा दिए जांद छौ।  अस्सी तक गढवल्युंक मुंबई मा सैकड़ाक इन सोसाइटी हूंदी छे।  इ सोसाइटी   सहकारिता का द्योत्तक तो छैं इ छे दगड़ मा सब खबर एकमुश्त एक जगा बि मिल जांदी छे।  जब से दूसरी पीढ़ी टैक्सी लाइन से दूर दुसर नौकरी मा गेन धीरे धीरे इन सोसाइटी की अहमियत कम हूंदी गे।  यद्यपि अबि बि सोसाइटी छन पर अब बदमाशी शुरू ह्वे गे।   हमर छ्वाड़क सोसाइटी चलाण वळूक बदमाशी से मीन द्वी सोसाइटी मा द्वी लाख गँवाइन।  
           खैर म्यार बुलणो मतलब च कि सन 1920-25 स्व नारायण दत्त जखमोला, स्व तारादत्त जखमोला , केशवा नन्द मोलासी जन पुरुषों की चलायीं परिपाटी का कारण जसपुर वाळ महीना महीना 1991 /1994 का दौरान बि मिलदा इ रौंदा छा। जन कि अधिकतर हूंद प्रवासी प्रवास मा अपर बात कम करद अर अपण गौं कि चिंता अधिक करद।  प्रवासी अफु शराब पेकि गटर मा पड़्यूं बि रालु वु भगवान से प्रार्थना करदा मिल जाल कि या शराब की बीमारी म्यार गाँव पर नि लग।  इनि 93 -94 का करीब एक सोसाइटी मा म्यार चचेरा भैजि रमेश कुकरेती , भुला चंद्रमोहन जखमोला , मामा रमेश जखमोला अर भुला जय प्रकाश बैठ्याँ छया अर मुंबई की मुसीबत भूलिक जसपुर की चिंता मा मसगूल छया कि जसपुर का कुछ नि ह्वे सकद।  एक सदाबहार धारणा (perception )  पर सब एकमत छया कि जसपुर वाळु मा एका नी च जन हौर गाउँ वळ च।  असल मा या बात तुम हरेक गाँव वळु मा जुमला का तौर पर सुण सकदां। सहकारिता से बात कुछ करण पर चल गे। अर सैत च एकाद बैठकाक बाद चिंतन ह्वे कि नागराजा मंदिर पुंनर्निर्माण हूण चयेंद।  भैजि रमेश जु तब तक शायद जिंदगी मा द्वी या तीन बार गाँव गे होलु वै भैजिन बड़ा जोर लगाई कि नागराजा मंदिर  पुननिर्माण आवश्यक च।  भुला चंद्रमोहन मा जसपुर का प्रति एक भावना च अर चंद्रमोहन माँ संगठन शक्ति च , दूसरों तै समझाणै अद्यम्य शक्ति च।  जयप्रकाश अर मां रमेश रौंद मुंबई मा छन पर जीवित जसपुर मा छन।  जय प्रकाश  तै चालीस साल ह्वे गेन पर अबि बि मानसिक रूप से जसपुर मा इ रौंद , इनि हाल ममा  रमेश जखमोला का छन।  चारों की जोड़ी बण गे अर यूंन हर मैना हरेक गाँव वळक बैठक बुलाण शुरु  कर दे अर नागराजा मंदिर बणाणो योजना पर बातचीत शुरू कर दे। भुला धीरज बि युंक दगड जुड़। तकरीबन सबि रजामंद ह्वेन  कि नागराज मंदिर कु पुंनर्निर्माण हूण चयेंद। 
 या बात दिल्ली का प्रवास्युं तक पंहुचाये गे तो ऊख चाचा हेमचन्द्र कुकरेती ,  स्व चचा हरीश कुकरेती , भतीजा खुशाल जखमोला तै या बात जंच गे अर स्व हरीश चचा ऊर्जावान छया अर हेम चचा , खुशाल ऊर्जावान छन तो यी तिन्नी दिल्ली वाळु तै समझाण मा सफल ह्वे गेन कि नागराजा मंदिर बणन चयेंद। 
फिर गाँव मा बि बात उठाये गे, फिर देहरादून आदि जगा बात करे गे     अर सब तयार ह्वे गेन। 
अंत मा धन जमा कु काम शुरू ह्वे अर धन जमा करण मा क्वी तकलीफ बि नि ह्वे। 
मंदिर निर्माण मा अवश्य कुछ कठिनाई आइ किंतु सब कठिनाई दूर ह्वेन अर 96 मा मंदिर पुननिर्मित रूप मा तयार ह्वे। गाँव माँ मामा वीरेंद्र जखमोला, श्रीमती उप्रेन्द्र जखमोला, चचा  तीर्था नन्द कुकरेती , फुफु अनीता  कुकरेती,  भतीजो  बबलू कुकरेती, भैजि सत्यप्रसाद कुकरेती , स्व हेम चन्द्र बहुगुणा , भाई प्रताप सिंह नेगी , चाचा ललिता प्रसाद जखमोला, चाचा गोविंद राम कुकरेती , चाची सूमा देवी कुकरेती , भाभी कमला कुकरेती , श्रीमती प्यारेलाल  व श्रीमती खुशाल जखमोला, पद्मा दत्त बहुगुणा, भैजि  राधा कृष्ण जखमोला, भैजि स्व मथुरा प्रसाद कुकरेती , श्रीमती संगळी  कुकरेती , चाचा रतनमणि  कुकरेती , दीदी श्रीमती गैणा  देवी बहुगुणा , श्रीमती जोगेश्वर बहुगुणा , दीदी भद्रा देवी बहुगुणा, दीदी स्व सूनी  देवी बहुगुणा , विवेका  नन्द बहुगुणा , शत्रुघ्न प्रसाद बहुगुणा  व युंक परिवार वळु भौतिक अर आर्थिक सहयोग बगैर लोगुं सपना पूर  नि ह्वे सकद छौ। 
मई 1996 /97 मा पैली सार्वजानिक पूजा ह्वे।  स्व गुरु सत्य प्रसाद बहुगुणान सबसे पैली पूजा कार। 
पूजा मा प्रवास्युं उपस्थिति बड़ी उत्साहपूर्ण राइ। 
तब निर्णय ह्वे कि हर चौथा साल सार्वजनिक पूजा करणो निर्णय लिए गे। 
जख तलक म्यार सवाल च मेरी भागीदारी केवल चंदा दीण तक ही सीमित छे आज बि उथ्गा इ च। पुननिर्माण से पैलि मि मुंबई मा केवल एक ही बैठक मा  शामिल ह्वे छौ। 

 नागराजा  मंदिर पुंनर्निर्माण की बात उठाण , सब्युं तै एकजुट करण , फिर सबसे चंदा कट्ठा करण फिर कठिनायुं बाबजूद मंदिर पुननिर्माण ह्वे जाण यांको गवाह च बल जसपुर मा यदि योजना बणाण वल मिल जाय तो जन पुरण समय पर सार्वजनिक बगीचा , सार्वजनिक हौज बण छौ ऊनि भविष्य मा  करे जै सक्यांद , यु मिथ्या रूप से हम बुल्दां कि जसपुर मा एका नी च।  ठीक च मतभेद ह्वे सकद पर जसपुर वळु जसपुर का वास्ता मनएक च।  



अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक यात्रा वृतांत - भाग 4  में पढ़िए

Copyright @ Bhishma Kukreti 14  /6/15
bckukreti@gmail.com
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