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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Friday, June 26, 2015

ट्रांसफार्मर नि आइ , ट्रांसफॉर्मर नि आइ , आज बि नि आइ

Religious Naagraja Ritual Performancing  Tour Memoir

                                 ट्रांसफार्मर नि आइ , ट्रांसफॉर्मर नि आइ , आज बि नि आइ 
                                        मुंबई बटें जसपुर तक नागराजा पूजा जात्रा -9   
                                       अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक यात्रा वृतांत -9                      
                                     
                                                           जत्र्वै - भीष्म कुकरेती  
                आँख दिख्यां हमर टैक्सी जसपुर पौंछि गे छे।  जब सात आठ मील दूर सिंगटाळी  बस स्टॉप छौ तो भी हम रुंदा छा कि हमकुण रात कब खुलली जब हमर नजीक बस आलि।  फिर चैलुसैंण बस आयि तो रुण छौ हमकुण कब रात खुलली अब गाँव से अधा मील बस स्टॉप च तो बि हमर रूण बंद नि ह्वे कि ये जसपुरौ कुण कब रात खुलली।  अब हम तै बस अपण कूड़ मथि चयेणी च।  उन सरकारी योजना बीच जसपुर मा बस   लाणै छे पर हम अपण बांज पुंगड़ खराब नि करण चाणा छया तो बस बीच गां मा नि आई , अब बि हम चाणा छंवां कि  हमर बांज खेतुं बिणास कर्याँ बगैर सड़क बीच गां मा आण चयेंद। सरकार अड़ीं च कि बस बीच गां चयेणी च तो बांज सडकुं बलि द्यावो।  पहाडुं मा खेतुं बीच मोटर सड़क का माने सात गुनी  खेती जगा खतम।  सरकार बि सै च अर समाज बि अपर जगा सै च।  अब आकास से इ उम्मीद च कि कैदिन गैणा रात खुलली अर स्काई वे से बस बीच गां मा आलि जख आकास मा इ बस स्टॉप होलु। कबि ऋषिकेश से गाँव पौंचणम  पूरा दिन लगद छौ तो अब केवल तीन घंटा या कम समय लगद। 
        हम टैक्सी याने ट्रैकर से उतराँ तो म्यार भाई जयप्रकाश जु एक मैन पैली गौं ऐ गे छौ हमर आगवानी का वास्ता अयुं छौ।  देवीखाळ से सूचना दिए गे छे कि हम पौंछणि वाळ छंवां। गां से भैर धैणी मांगन मोहन ममा जी , रमेश ममा जी बि मिलणो अयाँ छया।  मोहन ममा जीक परिवार तीन दिन पैलि ऐ गे छया किलैकि पारिवारिक पूजा बि ये समय पर उरैये छे। मेरी नानी मोहन ममा जिकी फुफु ह्वे तो हमर परिवार  स्वतः ही ऊंक बैण भणजु मा आई जांदो।   ममा जी रातो भोजनौ  निमंत्रण दीणो बि अयाँ छया। मीन बताई कि आज तो तक बिसाणो रात च अर भोळ अवश्य भोजन का वास्ता ओला। 
             नातनुसार सिवा सौंळी हूणों उपरान्त हरेक का मुख से एकी वाक्य आणु छौ -अर यी वाक्य ड्यार तक आंद आंद हरेक का मुख से सुणिन - 
"ट्रांसफॉर्मर नि आई , ट्रांसफॉर्मर नि आई,  साला ट्रांसफॉर्मर आज बि नि आई"
बकै बात क्वी कुछ नि बुलणु छौ बस हरेक का मुख से तीन वाक्य निकळणा छया -
"ट्रांसफॉर्मर नि आई , ट्रांसफॉर्मर नि आई,  साला ट्रांसफॉर्मर आज बि नि आई"
          हम मुंबई वळ या बात नि समजणा छया कि हमर आण से ट्रांसफॉर्मर से क्या संबंध ?
         जब सात आठ मुखन ट्रांसफॉर्मर की बात सूण तो मीन अपण भाई से पूछ - यो ज्या यु ट्रांसफॉर्मर क्या च नागराजा पुजैका वास्ता क्वी नया फूल जन छ ?
                तब जयप्रकाशन बताइ बल पंदरा दिनों से गाँव मा बिजली नी च।  कारण यु ह्वाइ कि गांवक ट्रांसफॉर्मर जळ गे तो बिजली नदारद च। उन रोज सुबेर तबिजली बाबू गाँव वळु तै आसरा दींदु कि आज ट्रांसफार्मर ऐ जालु अर स्याम दै सूचना बाँटि दींदु कि आज बि ट्रांसफॉर्मर नि ऐ साकु। 
      याने हमारा स्वागत का वस्ता उत्तराखंड बिजली वळुन ट्रांसफॉर्मर जळै दे। 
      हम मुंबई वळ भयगयशाली इ छंवां कि मुंबई मा बिजली 24 x 7 घड़ी उपलब्ध रौंदी। 
           अब हमर परिवार मा चिंतन शुरू ह्वे गे कि बिन बिजली क्या ह्वालु।  उन भाई जयप्रकाशन एक चार्जिंग लैम्प लयूं छौ अर एक लैम्प हम बि दगड़ मा लै गे छया। 
पर जब याद आई कि चार्जिंग का वास्ता बि त बिजली चएंदी तो हमर चंख उड़ि गेन।  
          बिजली नि हूण से मोबाइल नेटवर्क बि डिस्टर्ब हुयुं छौ अर सबि कंपनयूं मोबाइल इकसरीका नि चलणा छया।  म्यार मोबाईल तो बेचार्ज ह्वेक ध्वस्त ह्वे गे छौ। 

पर अब तो हम बगैर बिजली का तड़फ़णा छंवां।  वी बि तो दिन छया जब बिजली क्या मट्टीक तेल नि हूण से दिवळ छिल्लुं  से काम चलान्दा छया अर महाकवि कालीदासन तो रघुवंश मा दिवळ छिल्लुं उल्लेख कर्युं च।   
मीन अपण परिवार तै ढाढ़स दे अर समजाइ  - भइ ग्रामीण पर्यटन को मजा लीण तो बिना बिजली अर बिना मोबाइल का हि लिए जावो। 
मेरी घरवळिन तून दींद ब्वाल - खाणक तो हमन हि बणान तुम थुड़ा पकाण अन्ध्यर मा ?
बात सही छे हम मर्द तो पर्यटन समजिक बिना बिजली का मजा ले सकदवां किन्तु जनान्युंन तो खाणा पकाण। 
खैर मनिष्य हरेक स्तर पर हरेक समस्या से जूझी लींदु तो हमन बि बिन बिजली का आनंद लीण मा क्वी कसर नि छ्वाड़।  रातमा फैन पंखा की हमर गां मा जरूरत नि पड़दी तो बिजली संकट इथगा बड़ो संकट नि छौ। शुक्ल पक्ष की चादनी रात अर इथगा सारा गैणा दिखणो मौक़ा पता नी कथगा सालुं से मिलणो छौ अर वास्तव मा बिजली नि हूण कुछ हद तक बरदान इ साबित ह्वे। आज ही सब तै याद आई कि शुक्ल अर कृष्ण पक्ष बि हून्दन। 

** भोळ पढ़ो -जब मीन ब्वारी तै सिवा लगाइ अर काकिन मि तै सिवा लगै दे। तो क्या ह्वाइ ?  अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक   नागराजा पूजा जात्रा वृतांत का बाकी  भाग 10   में पढ़िए

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