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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, June 9, 2015

मेरी मुंबई बटें जसपुर तक नागराजा पूजा जात्रा

अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक यात्रा वृतांत                     
                                 मेरी मुंबई बटें जसपुर तक नागराजा पूजा जात्रा -1
      
                                                           जत्र्वै - भीष्म कुकरेती 


                                   नागराजा ग्रामदेवता अर ग्विल्ल /गोरिल कुलदेवता
    मीन सन 75 -76 बिटेन 2009 तक दर महीना 20 दिन व्यवसायिक यात्रा त करी ही होलि। फिर  कै दैं उन्नादेसी (विदेश) यात्रा बि कौर।  पर ये सालैक (2015 ) त्रिवर्षीय नागराजा पूजा खासी विशेष जात्रा छे। या यात्रा इन मा बि विशेष च बल बिट्ठुं 117 परिवार वळु लोगुंक यीं महाजात्रा मा तकरीबन 15 लाख खर्चा त ह्वे इ ह्वाल। सांस्कृतिक , सामाजिक दृष्टि  से या पुजै   प्रवास्युं ड्यार बौड़ै का एक रूप च अर उत्तराखंड राज्य पर्यटन कु एक अखंडित भाग च।
                 हमर गां पौड़ी गढ़वाल कु लैंसडाउन तहसील मा मल्ला ढांगू पट्टी मा जसपुर च।  इन बुले जांद बल जसपुर 600 साल से बि पुरण गाँव च अर आज की भौगौलिक स्थिति बि भौत पुरण गां हूणों गवाअ च। कुकरेत्युं मूल गाँव  जसपुर इ  च। गाँव 3500 फ़ीट पर एक बड़ो तपड़ा मा बड़ो पौड़ मा बस्यूं छौ। अब  यु गाँव एक डेढ़ किलोमीटर लम्बी पंक्ति माँ बसी गे। आस पास का गांव ग्वील , बड़ेथ , सौड़ , छतिन , बाड्यों , रणेथ , मित्रग्राम , ठँठोली आदि गां छन। ग्वील , सौड़ , छतिन बाड्यों पैल जसपुर का इ हिस्सा छा। बड़ो भाई ग्वील मा बस गे छौ। 
  जख तक दिबतौं अर पूजास्थलुं सवाल च हमर गां मा निम्न पूजास्थल छन -
नागराजा मंदिर - उत्तर दिशा मा  गौं से भैर तूंगुं जंगळो (अब ? ना ) मध्य एक पख्यड़ मा च। 
ग्विल याने काली कुमाऊं का गोरिल मंदिर।  यु मंदिर गाँव की सारी मा इ श्री गोविंदराम कुकरेती का खेतों मा च। 
मिथाळ - नागराजा मंदिर से तकरीबन चौथाई किलोमीटर   अळग मिथाळ क्षेत्र मा एक आळ च।  मीन या जगा नी दिखीं च। 
जसपुर की सारी मा ग्वील वाळु शिवाला - यु मंदिर ग्वील गाँव वळु मंदिर बुले जांद।  ग्वील गाँव मा हम कुकरेत्युं  बड़ू दादा जी बस छा तो मंदिर ग्वील वळु माने जांद।  अन्यथा मंदिर तब का च जब जसपुर -ग्वील गां एक छौ।  मेरी दृष्टि से जब ठँठोली क्षेत्र मा बसयूँ गोदेश्वर सिद्धपीठ मंदिर क्षेत्र मा भळग ऐ ह्वाल याने भूमिसखलन ह्वे ह्वाल अर ऊख पाणी सुख गे ह्वाल तो यु शिवाला गदन मा स्थापित करे गे ह्वालु। 
खड़दिवता -जसपुर से  उत्तर मा डेढ़ किलोमीटर ऐंच एक तपड़ा च जैक नाम खड़ दिबता च।  इखम एक पत्थर च जैकुण बुले जांद बल यू खड़ दिबता च।   भौत पुछण पर बि पता नि लग कि खड़ दिबता खड़िक से या खड़ हूणै कारण खड़ डिब्ता बुले जांद ? खैर अवश्य ही यु दिबता एक क्षत्रपाल दिबता होलु। 
जसपुर मा देवी मंदिर नी च। कारण हम कुकरेत्यूं एक दादा जी जब बरसुडी बसिन तो एक रात वो जसपुर दैविक मंदिर से मूर्ति उठैक (जसपुर वळु कुण चोरी अर बरसुड़ी वळु कुण देवी लाण ) ली गेन तो फिर दैविक मंदिर जसपुर -ग्वील मा नी च।  अन्यथा हर कुकरेत्युं गाँव मा दैविक मंदिर च। 
हरेक थोक का अपण मिथाळो आळ बि च। हमर मिथाळो आळु ट्वाल का खेतों मा च। 
                            नागराजा ग्रामदेवता अर ग्विल्ल /गोरिल कुलदेवता
नागराजा दिबता जसपुरौ ग्राम दिबता च पर ग्विल्ल /गोरिल कुकरेत्युं कुलदिबता च।  ग्विल्ल /गोरिल दिबता की दक्षिणा जागरी तै लीणो अधिकार नी च।  जसपुर मा जखमोला अर बहुगुणा लोग ग्विल्ल तै माणदा त छन पर कुलदिबता का रूप मा ना।
   ग्वील वळु ग्विल्ल जसपुर से पूर्व मा ग्वील से उत्तर मा दूर एक धार गौड़धारौ तौळ च।  याने जब  जसपुर -ग्वील एक रै होलु तो ग्विल्ल मंदिर गौड़धारम रै होलु।
भोळ बांचो - आखिर त्रिवर्षीय नागराजा पुजै की शुरुवात कनै ह्वे ? 


अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक यात्रा वृतांत - भाग दो में पढ़िए

Copyright @ Bhishma Kukreti 7/6/15

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