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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, June 30, 2015

बिन दारु बामण पूजा नि करदो

रचना - चन्द्र सिंह राही 

 भितर नीच अन्न की दाणी 
बुरो  बिसन ह्वेगे शराब को पाणी 
देवतौं की भूमि छौ यु उत्तराखंड 
शराब कर गए यख खंड मंड 
दारु पेकी  ह्वेगे उत्तराखंड 
आपस मा फ्वड़दन बरमंड 
 मनख्यात थैं या रागस  बणाणी
 बुरो  बिसन ह्वेगे शराब को पाणी
गंदी गंदी गाळी बकण लग्यां छीं 
रौल्यूं रौल्यूं उतौणा प्वडाँ छीं 
झुल्ला चिर्यां छीं बरमंड फुट्यां छीं 
कुकुर बी तौं देखि भुकण लग्यां छीं 
इंसानियत की कदर नि जाणी
बुरो  बिसन ह्वेगे शराब को पाणी 
बिन दारु बामण पूजा नि करदो 
दारु की झांज मा श्लोक च बुल्दो 
बिन घूँट जगरी से डौंरी नि बजदी 
बिन दारु क्वी बि पूजा नि हूंदी 
धर्म कर्म की जड़ उगटणी
बुरो  बिसन ह्वेगे शराब को पाणी
रीति रिवाज ह्वेगीं खराब 
मुर्दा फुकणकु बी चैंद शराब 
मनिख जोनी की कदर नि जाणी
बुरो  बिसन ह्वेगे शराब को पाणी 
पर्चण्ड बणगे बोतल राणी
बुरो  बिसन ह्वेगे शराब को पाणी 
(गीत गंगा से साभार ) 

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