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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Friday, June 19, 2015

यात्रा सिद्धांतुं अवहेलना करण हमर जन्म सिद्ध अधिकार च

Religious Tour Memoir for Nagraja Puja
                                        यात्रा सिद्धांतुं अवहेलना करण हमर जन्म सिद्ध अधिकार च     
                                        मुंबई बटें जसपुर तक नागराजा पूजा जात्रा -6  
                                       अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक यात्रा वृतांत -6                     
                                     
                                                           जत्र्वै - भीष्म कुकरेती  

           रेल टिकेट की उहा पोह, धुकधुकी ,  संशय लग्युं राइ अर ये दौरान जैं गाँव (अजमेर , पौड़ी गढ़वाल ) का बिष्ट परिवार भौत सालुं से एक ब्यौ अर दिबता  पुजै नीबत ड्यार जाण वळ छ किन्तु टिकेट कनफर्म नि ह्वे तो बिचारा नि जै सकिन। हम बि हताश हूणा छया कि क्या ह्वाल।  तो प्रीमियम ट्रेन को सहारा हम तै ढाढ़स दिलाणु छौ। 
         प्रीमियम ट्रेन की बुकिंग 15 दिन पैल इ खुलद तो पांच मई कुण भतीजो आशु सुबेर से इ कम्प्यूटर पर ग्याइ अर नौ दस या ग्यारा बजि वैक फोन आयि बल प्रीमियम ट्रेन की बुकिंग ह्वे गे।  याने दिल्ली तक ट्रेन की बुकिंग ह्वे गे छे।  प्रीमियम ट्रेन याने अधिक किराया किन्तु एबारी किराया की चिंता नि छे 22 मई ग्यारा बजे से पैल ड्यार पौंछण अधिक महत्वपूर्ण छौ।  टिकेट बुकिंग ह्वे नी कि घरवळि पर खरीददारी की चिंता लग गे।  हम सांस बगैर ज़िंदा रै सकदां किन्तु चिंता , फिकर , मन मा झंझट का बोझ लियां बगैर नि रै सकदा। 
मी सन 75 -76 से 2009 तक लगातार हर मैना 20 दिनों टूर करणु रौ अर टूर , यात्रा , जात्रा कु सबसे पैल सिद्धांत हूंद कि कम से कम सामन अपण दगड़ रखे जावो।  किन्तु परिवार मा इन नि हूंद।  घरवळि 5 मई से सामन बढ़ाणो इंतजाम पर लग गे। 
जन कि मेकुण चार कुर्ता पैजामा खरीदे गेन।  तीन कुर्ता पैजामा अपण कुल पूजा का वास्ता अर एक अलग से कुर्ता पैजामा नागराजा क पूजा का आखरी समापन दिवस का खातिर।  अर यांक पैथर सामाजिक भावना च कि लोग क्या ब्वालल ? मतलब हमारी सरा खरीददारी का आधार बिंदु हूँद लोग क्या ब्वालल।  अर ये लोग क्या ब्वालल का चक्कर मा एक सैंडल , एक जुतुं जोड़ी , एक साधारण स्लीपर आम काम का वास्ता , एक फैशनेबल सैंडल गाँव घुमणो वास्ता धरे गेन। इनि हरेक समय का ध्यान धरिक पेंट कमीज बि रखे गेन।  मि बुलणु बि रौंवु कि इतना सामन नि धारो किन्तु भीष्म कु कथन महत्वपूर्ण नि रै गे छौ अपितु 'लोग क्या ब्वालल' महत्वपूर्ण भूमिका अदा करणु छौ। 
           कुछ सामान आवश्यक छौ जन कि इमरजेंसी लाइट।  मीन बोल बल द्वी इमरजेंसी लाइट रखो तो परिवार मा उत्तर छौ बल इथगा सामन कनकैक लीजाण ? 
खैर सुबेर घरवळि कु कुणकुणाट शुरू हूंद छौ बल खरीददारी कब पूरी ह्वेलि अर दिन मा या संध्या काल मा खरीददारी का बाद कुंकुणाट उनि रौंद छे कि खरीददारी पूरी नि ह्वे। 
19 तारीक पता चल कि परिवार का हर सदस्य का पास दुदु बड़ा बड़ा बैग ह्वे गेन।  फिर फोन पर कोन्फेरेंस द्वारा यु निश्चित ह्वे कि प्रति सदस्य मा एक या डेढ़ बैग से अधिक नि हूण चयेंद। 19 तारीक रात हम सब भाइयुं का इख यात्रा सामान कम करणो कार्य चलणु राइ।  यात्रा सामान कम करणो अर्थ ह्वे कि अरमानो पर पाणी  फिरण ! 
           खैर मन बांधिक हरेक सदस्य का यात्रा सामन कम करे गे। 
               मीन 20 गढ़वाली नाटकुं पाण्डुलिपि की फोटोस्टेट अर 10  म्यार गढ़वळी मा अनूदित नाटकुं प्रतिलिपि का द्वी बंडल लिजाण छौ -एक तो दीण छौ  श्रीनगर विश्व विद्यालय तै अर हैंक दीण छौ गढ़वाल सभा देहरादून  तै।  यात्रा सामान कटौती मा गढ़वाल सभा का बंडल कैंसिल करे गे। 
            खैर 20 मई सुबेर तक फोन से पता चौल कि फिर बि हरेक सदस्य का  पास डेढ़ बैग तो ह्वाली। 
भतीजो आशुन दिल्ली से ऋषिकेश द्वी टैक्स्युँ इंतजाम बि कर याल छौ।  द्वी इलैकी सामान जि इथगा छौ। 



भोळ पढ़ो ऋषिकेश पौंछण  पर हौर खरीददारी क्या कौर ?


 अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक
   नागराजा पूजा जात्रा वृतांत का बाकी  भाग 7  में पढ़िए

Copyright @ Bhishma Kukreti 19 /6/15
bckukreti@gmail.com
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