-----------------------------नास्ता ---------------------------------------------
[नंदा , धूमल , बृजमोहन नास्ता करणो बैठ्याँ छन ]
नंदा - मदन कु क्या ह्वे ?
धूमल - केवल एक सुराग च। अर वाच कि अब तीन सैनिकों मिनिएचर छन। मतलब मदन की इहलीला समाप्त।
नंदा - पर वैक मृत शरीर किलै
नि मील ?
बृजमोहन -ह्वे सकद च कि वैक
शरीर समुद्र मा फिंके गे हो ?
धूमल - कु फिंकदु ? तू मी या नंदा ? हमम समय छौ क्या ?
बृजमोहन - मि नि बोल सकुद। पर यु साफ़ च कि पैल त्यार रिवॉल्वर हरच अर फिर
ड्रावर मा ऐ गे। अफिक हरच अर अफिक ऐ गे।
धूमल - हाँ पर हमन सब जगा
खोज तो कार
छे ना ?
बृजमोहन - अर तीन चालाकी से
हर समय लुकआइं राइ।
धूमल - अरे मी बि खौंळयौं जब
रिवॉल्वर मेरी ड्रावर मा ऐ।
बृजमोहन - वो तो हम तै
विश्वास करण पोड़ल हैं ? हत्यारा त्वे तै रिवॉल्वर देक चल गे। किलै ?
धूमल - मि तै किलै पता ? फजूल की बात च।
बृजमोहन - क्वी विश्वसनीय
कथा सुणा भै।
धूमल - मि सच बुलणु छौं।
बृजमोहन - मि तै नि लगद कि -
धूमल - मि -
बृजमोहन -यदि तू ईमानदार छे
तो फिर -
धूमल - मीन कब ब्वाल कि
ईमानदार छौं ? अर मीन कबि दर्शाइ बि नी च।
बृजमोहन - ईमानदार छै या ना अब मतलब इ नी च। जब तक तीम
रिवाल्वर च मि अर नंदा खतरा मा छंवां। तेरी मेहरबानी मा छंवां। अब रिवाल्वर बि दवा आदि का इ साथ रखे जाण चयेंद। … अर तीम अर मीम चाबी राली।
धूमल - मूर्खतापूर्ण हाँ !
बृजमोहन - हूँ तो तू स्वीकार
नि करिल हैं ?
धूमल - अरे मेरी रिवॉल्वर च
मेरी रक्षा का सवाल च।
बृजमोहन - अब तो यही निर्णय निकल्दु कि -
धूमल - कि मि अनजान किसनदत्त छौं। अरे मि किसनदत्त हूंद तो ब्याळि इ तुमर कामतमाम कर द्युंदु।
मीम बीस अवसर छया।
बृजमोहन - मि नि जाणदू कि
क्या कारण छौ पर -
नंदा - तुम द्वी मुर्खुं
तरां व्यवहार करणा छंवां।
धूमल -क्या ?
नंदा - हाँ जरा कविता तो याद
कारो ?
चार सैनिक समुद्र मा गेन
एक तै शार्कन निगळ दे अर तब तीन रै गेन
यु बड़ो सुराग च। मदन
मोर नी च। वु मिनिएचर अपण दगड लेकि गे कि हम समजवां कि वैकि हत्या ह्वे गे। वु
द्वीप मा इ च।
धूमल -हाँ शायद तू सही छे।
बृजमोहन - हाँ पर छ ? हमन द्वीप मा सब जगा खुजाखोज कार।
नंदा - हाँ पर रिविोल्वर बि
इनि नि मीलि छे।
धूमल - पर आदिम अर रिवॉल्वर
कु साइज मा अंतर हूंद।
नंदा -मि नि जणदु -पर मि सही
छौं।
बृजमोहन -समुद्र मा हिलसा
मछली
न खै दे। है ना ?
नंदा -हाँ पर वु पागल च। ज़रा
कविता कु विचार ही पागलपन च। अर कखी ना कखि हरेक हत्या कविता का हिसाब से फिट हूणि
च।
बृजमोहन -हाँ पर क्या
किसनदत्त न इख चिड़ियाघर रख्युं च कि हिलसा ऐ जाली।
नंदा - ब्याळि बिटेन हम ही खुद चिड़ियाघर बण्या
छंवां।
----------------------------------------------Act -2 अंक 2 , दृश्य 15 - Scene 15 -----------------------------------------
----------------------------समुद्र का किनारा
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[नंदा , बृजमोहन अर धूमल समुद्रौ किनारा पर आईना दिखेक सिगनल दीणो
कोशिस करणा छन ]
नंदा [रिजॉर्ट का तरफ देखिक
]- इख हम जादा सुरक्षित छंवां। हम तै उख नि जाण चयेंद।
धूमल -बुरु विचार नी च। इखम हम सुरक्षित छंवां। इखम जु बि आलू हम वै तै कनि बि देख ल्योला।
नंदा -हम इखमि रौला।
बृजमोहन - हम तै रात तो कखि
व्यतीत करण इ पोड़ल। फिर से रिजॉर्ट भितर।
नंदा [कम्पदि ]- मेसे उख
भितर रात नि कटेण।
धूमल -बंद कमरा जादा
सुरक्षित च।
बृजमोहन - द्वी बजणा छन। लंच कु क्या ह्वाल ?
नंदा - मि उख नि जाणु छन। मीन इखमि रौण।
बृजमोहन - नंदा जी। धीरज राखो। तागत राखो। ताकत रखण जरूरी च।
नंदा -डब्बाबंद खाणा देखिक
मि तै उलटी आंद।
बृजमोहन - मि बगैर भोजन का
नि रै सकुद।
त्यार क्या विचार च ?
धूमल - डब्बाबंद खाणक से मि
तै बि मजा नि आंद। मि नंदा का साथ रौलु।
[बृजमोहन घबरान्द ]
नंदा - मि तै इखम गोळी नि
मार सकुद।
बृजमोहन - ओके। यदि तुम
बुलणा छंवां तो -
पर हमन निर्णय लियुं च बल हम
तै दगड़ि रौण चयेंद।
धमूल - तू जाण इ चाणु छे तो मि दगड़ आंदु।
बृजमोहन - ना ना तू इखि रौ।
धूमल - मतलब तू अबि मे से डरणि छे ? मि तै मारणी इ हो त मि अबि गोळी मार सकुद।
बृजमोहन - हाँ पर योजनाबद्ध
तरीका से इ हत्या हूणि छन।
धूमल - तू सब जाणदि। है ना ?
बृजमोहन - हाँ अकेला रिजॉर्ट
मा जाण खतरा से खाली नी च।
धूमल - तो मि अपण रिवॉल्वर
दे सकुद।
पर ना !
[बृजमोहन कंधा हलांद अर चल जांद ]
धूमल -[बृजमोहन तै दिखणु
रौंद ]- चिड़ियाघर का जानवर जन। खाणो समय ह्वे गे अर जानवर अपर आदत हूंदन !
नंदा - क्या यु खतरा नी च ? भितर क्या करणो जाणु च ?
धूमल-मैं नि लगद कि डा मदन
मा रिवॉल्वर नि होली। वु इथगा तागतवर नी च। मि तै पूरो विश्वास च कि मदन भितर नि ह्वालु।
नंदा -पर हमम समाधान क्या छन ?
धूमल-तीन वैकि कथा सूणी आल । यदि वु सही च तो बात साफ़ च।
देख वैन ब्वाल कि मीन पदचाप
सुणिन अर एक आदिम तै तौळ जांद द्याख । अर यदि वैन झूट ब्वाल त वैन डा मदन का काम तमाम एक द्वी घंटा पैल कर याल छौ
।
नंदा - कनकैक ?
धूमल-पता नी पर मै लगद कि बृजमोहन हमकुण खतरा च। हम वैक बारामा कुछ बि नि जाणदा। रति भर बि ना। वी इ अपराधी ह्वे सकद। वैनि सब कुछ कौर हो
तो!
नंदा -अर कदाचित वु हमर पैथर ह्वावो तो ?
धूमल-मि कोशिस करुल कि वु
हमर विरुद्ध कुछ नि कौर साकु। मि पर विश्वाश च ना ? मि त्वे पर बंदूक नि चलै सकुद ना ?
नंदा - मि तै कैप्र तो विश्वास करणी पोड़ल। मि तै लगद बृजमोहन का
बारामा तुम्हारी गलत धारणा
च।
यु मदन ही होलु। पता च ना कि
क्वी हर समय हम पर नजर लगाणु च अर प्रतीक्षा करणु च। है ना ?
धूमल-यु चिंता का विषय च।
नंदा -तो तुम तै बि ? मीन एक कथा सूणी छे कि द्वी न्यायधीश एक कस्बा मा ऐन अर
वूंन बिलकुल सही फैसला कार। बिलकुल सही फैसला अर उ द्वी न्यायाधीश ये संसार का नी छया।
धूमल-स्वर्ग से न्यायधीश !
पर यी कतल बिलकुल मणिखन करिन।
नंदा - कबि - मि ठीक से नि बोलि सकुद -कुछ पता नी -
धूमल-वै त आत्मा ह्वे। तीन
वु बच्चा नि डुबाइ ना ?
नंदा -नै नै। त्वे तै इन बुलणो क्वी अधिकार नी च।
धूमल-तीन ही कार। मि तै लगणु च। अवश्य ही क्वी मरद तो छौ। है ना ?
नंदा - हां एक मर्द -
धूमल-बस। युइ जाणण छौ।
[एक धक्का की आवाज आंद ]
नंदा -क्या च ? क्या भ्यूंचळ ?
धूमल-ना - मै लगद यु कैक
किरणों आवाज छे।
भितर जाण चयेंद।
नंदा - ना मि नि जाणु छौं।
धूमल-ठीक च। मी इ जांदु।
नंदा -तब तो मी बि आंदु।
[नंदा अर धूमल आंदन अर दिखदन कि ब्रजमोगं पड़्यूं च। वैक पास एक गरुड़ अर रीछ कि घड़ी च। सर पर खून ही खून ।
धूमल[मथिन द्याख ]-मथिन कैक
खिड़की च ?
नंदा -मेरी -अर या घड़ी बि
म्यार कमरा मा छे।
[धूमल नंदा का थपथपांद ]
धूमल-यु सिद्ध करद की मदन इख
कखि ये घरम लुक्युं च। मि वै तै खुज्यांद।
नंदा -ना ना। अब हम द्वीइ
छंवां। वु इ चाणु ह्वालु कि हम वै तै खुज्याणो जौंवाँ। अर उ -
धूमल-हाँ बात मा दम च।
नंदा - मतलब मि सही छौ कि डा मदन -
धूमल-हाँ। पर हमन तो घरका कूण्या कूण्या ख्वाज।
नंदा -तुमन ठीक से नि ढूंढी ह्वाल जन। मंदिर का अंदर।
धूमल-ना ना हमन सब जगा द्याख
च अर वा
जगा -इन जगा नी च।
नंदा - क्वी जगा त छैं च।
धूमल-हूँ दिखण पोड़ल -
नंदा -हाँ ! अर वांकी ताक मा व्हाल कि हम उख जौंवा।
धूमल[रिवॉल्वर भैर गाडद ]
-मीम रिवाल्वर च।
नंदा - तीन बोली कि मदन बृजमोहन से कमजोर च। पर जै पर बौळ चढ़ीं हो वै पर रागस की शक्ति ऐ जांदी।
धूमल[रिवॉल्वर कीसौंद धरद
]-तो रात होली तो क्या करे जावु ? कुछ स्वाच च क्या ?
नंदा -हम कर क्या सकदां ? मि तै डर लगणी च -
धूमल-हम समुद्र का किनारा रात बितौला। चांन्दनी रात छन। बैठ्या रौला। स्योला ना सुबेर तक। यदि क्वी आल तो मि गण चलै द्योलु। इतना महीन
कपड़ों मा त्वे तै ठंड लग जाली।
नंदा - हाँ पर मोरणो बाद हौर बि ठंडी।
धूमल-अच्छा चल भैर -
नंदा -हाँ चल -
धूमल-चल समुद्रक किनारा की
ऊंचाई पर -
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