फ़ोकटै सौ सल्ला - भीष्म कुकरेती
मि पांच छै सालुं से गढ़वळि साहित्यकारुं पैथर लग्युं रौ बल ये भै इंटरनेट थौळ माँ आवो ,ये भै इंटरनेट मा ल्याखो अर बंचनेरुं जमात बढ़ाओ। अब जैक फेसबुक मा इ सै साहित्यकार भै -बैणि नेट थौळ मा जगा बणाणा छन।
पर वेब।/ इंटरनेट माध्यम पारम्पारिक माध्यमों से अलग च अर पाठ्कुं मिजाज पारम्परिक माध्यमुं से कुछ बिगळयूँ च।
तो गढ़वळि साहित्यकारुं तै वेब माध्यम अर नेट पाठ्कुं मिजाज समजणो कोशिस हर समौ करण चयेंद।
१- पाठक जल्दी मा छन /रौंदन - जी हाँ पाठ्कुं पास समय कम हूंद तो पाठक जल्दीमा आपक साहित्य पढ़दन । अर धीरे धीरे यु समय और बि कम हूंद जालो।
२- नेट पाठक शीर्षक अर उप शीर्षक पसंद करदन। तबी तो डा पुरोहित या डा राकेश भट्ट तै अधिक प्रतिक्रिया मिलदी
३- नेट पाठक छूट पैराग्राफ पसंद करदन - ये मामला मा भीष्म कुकरेती फिस्सड्डी च।
६ - हाँ लेख /कविता पारम्परिक माध्यम से थोड़ा भिन्न हूणि चयेंद अर फटाफट समज मा आण वळ हूण चयेंद। गढ़वळि लिखवारों तैं सरल शब्दों प्रयोग करण चयेंद।
७ - हाँ विषय तो नयो या आकर्षित हूणि चयेंद
८- शीर्षक पर लिखवारुं तै शक्ति लगाण चयेंद कि पाठक फटाक से आपको साहित्य पढ़णो आतुर ह्वे जावो।
९- विषय ग्रुप का सदस्यों का मनमाफिक हूण चयेंद
१० जटिलता से दूर रौण चयेंद। फोकट मा विद्वान बणनै जरूरत नी च (मीन भुगत्युं च )
तो म्यार साहित्यकार दगड्यों कन लग या फोकट की सलाह ?
मि पांच छै सालुं से गढ़वळि साहित्यकारुं पैथर लग्युं रौ बल ये भै इंटरनेट थौळ माँ आवो ,ये भै इंटरनेट मा ल्याखो अर बंचनेरुं जमात बढ़ाओ। अब जैक फेसबुक मा इ सै साहित्यकार भै -बैणि नेट थौळ मा जगा बणाणा छन।
पर वेब।/ इंटरनेट माध्यम पारम्पारिक माध्यमों से अलग च अर पाठ्कुं मिजाज पारम्परिक माध्यमुं से कुछ बिगळयूँ च।
तो गढ़वळि साहित्यकारुं तै वेब माध्यम अर नेट पाठ्कुं मिजाज समजणो कोशिस हर समौ करण चयेंद।
१- पाठक जल्दी मा छन /रौंदन - जी हाँ पाठ्कुं पास समय कम हूंद तो पाठक जल्दीमा आपक साहित्य पढ़दन । अर धीरे धीरे यु समय और बि कम हूंद जालो।
२- नेट पाठक शीर्षक अर उप शीर्षक पसंद करदन। तबी तो डा पुरोहित या डा राकेश भट्ट तै अधिक प्रतिक्रिया मिलदी
३- नेट पाठक छूट पैराग्राफ पसंद करदन - ये मामला मा भीष्म कुकरेती फिस्सड्डी च।
४ - छूट वाक्य पाठ्कुं पैली पसंद च।
५ - लिस्ट वळ लेख ज्यादा पसंद करे जांद ६ - हाँ लेख /कविता पारम्परिक माध्यम से थोड़ा भिन्न हूणि चयेंद अर फटाफट समज मा आण वळ हूण चयेंद। गढ़वळि लिखवारों तैं सरल शब्दों प्रयोग करण चयेंद।
७ - हाँ विषय तो नयो या आकर्षित हूणि चयेंद
८- शीर्षक पर लिखवारुं तै शक्ति लगाण चयेंद कि पाठक फटाक से आपको साहित्य पढ़णो आतुर ह्वे जावो।
९- विषय ग्रुप का सदस्यों का मनमाफिक हूण चयेंद
१० जटिलता से दूर रौण चयेंद। फोकट मा विद्वान बणनै जरूरत नी च (मीन भुगत्युं च )
११- प्रेमी अर भक्त पाठ्कुं खोज माँ लग्यां रावो
१२ - अंत माँ सवाल अवश्य कारो कि पाठ्कुं प्रतिक्रिया अवश्य मीलो। तो म्यार साहित्यकार दगड्यों कन लग या फोकट की सलाह ?
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