Srughna the Buddhist Kingdom and Ancient History of Haridwar, History Bijnor, History Saharanpur
हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में बौद्ध राजवंश स्रुघ्न
Ancient History of Haridwar, History Bijnor, History Saharanpur Part - 125
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 22/6/2015
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur to be continued Part --
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हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में बौद्ध राजवंश स्रुघ्न
Ancient History of Haridwar, History Bijnor, History Saharanpur Part - 125
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 125
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
स्रुघ्न की पहचान
पाणिनि के समय से लेकर अशोक तक पांचवीं -तीसरी ईश्वी पूर्व तक कुणिंद /कुलिंद का मुख्यालय कालकूट (कालसी , देहरादून ) रहा है। शायद अशोक की मृत्यु के बाद कभी कलसी से दक्षिण की ओर 38 मील दूर स्रुघ्न में स्थापित हुयी थी।
कनिंघम ने स्रुघ्न की पहचान अम्बाला जिले के सुघगाँव से की है। सुघगाँव त्रिभुजाकार टीला है और तीन ओर यमुना से घिरा है (कनिंघम )। अशोक के समय भी स्रुघ्न एक महत्वपूर्ण स्थान था और कहा जाता कि बुद्ध ने यहां किसी ब्राह्मण के अभिमान को चूर किया था। चीनी यात्री युवानचांग ने इस जनश्रुति का उल्लेख किया है।
बील के अनुसार अशोक ने यहां एक स्तूप बनाया था। पास भी स्तूप निर्मित हुए थे जिन्हे चीनी यात्री ने हर्षवर्धन के राज्य मे देखा था।
स्रुघ्न राज्य मुद्राएं
स्रुघ्न नगर से कुलिंद जनपद पर शासन करने वाले राजाओं मुद्राएं केवल अगरज , वलभूति और अमोधभूति की मुद्राएं प्राप्त हुयी हैं। इनमे से अमोधभूति की मुद्राओं में उसे 'कुणिंद नरेश अमोधभूति महाराज 'उल्लेख हुआ है।
इनके अतिरिक्त सात अन्य कुणिंद मुद्राएं मिली हैं। जिनसे पता लगता है कि कुलिंद /कुणिंद जनपद का मुख्यालय स्रुघ्न से पूर्व बेहट मे था। इनमे म -ग - भ - त , शिवदत्त , शिवपालित , हरिदत्त शायद अमोधभूति के उत्तराधिकारी थे। तीन अन्य नरेश छत्रेश्वर , भानु व रावण कुषाण साम्राज्य के अंतिम दिनों के राजा थे। कुणिंद सिक्के टिहरी के थापली से भी मिले हैं।
छत्रेश्वर की पांच मुद्राए यमुना के पश्चिम में मिलीं थीं और शिवदत्त , शिवपालित व हरिदत्त की मुद्राएं अल्मोड़ा से मिली हैं।
इसका अर्थ है कि कुणिंद राज्य संभवतया अम्बाला से सहारनपुर , हिमाचल , गढ़वाल व अलोमड़ा तक था याने हरिद्वार व बिजनौर (सारा भूभाग या कुछ भाग ) भी कुणिंद राज्य के अंग थे।
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