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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, June 30, 2015

दुन्या क महान कवि कन्हैया लाल डंडरियालौ बारा मा पाराशर गौड़ की राय

प्रस्तुतीरण - भीष्म कुकरेती

भीष्म रेती - पाराशर जी ! आखिर ्या बात च जु गढवाळी साहित्यार महाविन्हैया लाल 
          डंडरियालौ बारा मा जाणण चांद !

पाराशर गौड़ : न्हयालाल जी मेरा पहाड़ ा ालीदास छन ! वो मेरा पाहाडी साहित्य 
          जन माउनी ा महान बि गुमान वी छा, उनी दंद्रियाल्जी भी वी सम्ष ा गड्वाली
          वि छन ! आज त  ु जत्गा भी गड्वाली वित्या ु साहित्य मिल्द जुमा ी हमरा 
          पूरान महान बेयु जौं ो योगदान च उत छहीच पर , आज ा सन्धर्व माँ अगर     
          गड्वाली ी विता ु बिबेचन, वेु प्रभाऊ/सम समायाी ु ा असर हमारा व 
          हमारी जन जीवन पर असर रद वे सन्धर्व माँ नाह्यालाल्ल डंड्रियलजी सर्वोपरि
          ऊी विता...विता  नीन,  वो अपना आपमाँ  मेरा पहाड़ ु दर्पण छन ! जू
          बिता माध्यम से पहाड़ ी सांस््रति /सामाजि व आर्थि जीवन ु स्वरुप
          आम आदम थै दिख्न्दी !

भीष्म रेती- न्हैया लाल डंडरियाल जी से मुलाक़ात मा आपन उंो विषय मा ्या धारणा बणे छे
          अर ्या वै इ धारणा पैथर बि रै?

पाराशर गौड़: ये बात सन 1962 -63 ी च, जब मिन अपणु पैलू गड्वाली में नाट  " औंसी
         रात " लेखी अर वेथै मंच माँ प्रस्तुत री ! हैा दिन दिखान बाद ऊ मथ मीनू मेरा
         आफिश माँ मै थै मिलणु एनी, वे समय व सफ़ेद ुर्ता -गंदेलु पेजमा अर नंगा खुटा
         ( बिना जुता ) म छा ! यदपि उसे ए बार गडवाल भवन माँ इनी चलदा चलदा भेंट हुई
         छे ! वे समय वख चंदरसिंह  गढ़वालीजी अपनी धर्मपत्नी व बचो ा साथ च रु्या !
         जब हमरी मुलाक़ात हवे त, वो ठेट गौु सी मानीख छा लगणा !

भीष्म रेती- जरा न्हैया लाल डंडरियाल जी  व्य्तित्व तैं म से म शब्दों ब्वालादी !

पाराशर गौड़:  न्हैया लाल डंडरियाल जी व्य्तित्व थै नापणो वास्ता ए विशेष दृष्टि
          जरूत चैन्द ! वो दिख्नमाँ जता साधारण लगदा छा उत्ी उी बिता शस्त छ !
          वो शब्दों ा घट छा ! लम अर चित्रण ा मठ छा ! शब्द उनी उन्गुल्यू इस्सरो
          नाचदा छा ! उनी सबसे बड़ी खूबी छेी वो जू भी बात बुलन चाणा छन वो आम
          आदमी ी भासामा लेखी ी बड़ी सरलता वे थै प्रस्तुत रदा छा जैू सीधु प्रभाव
          सुन्न वालो पर पुदुद रा !   

भीष्म रेती- उंा दगड आपै साहित्यि मेल मिलाप ा बारा मा खुलासा ारदी .

पाराशर गौड़ :जन मिन बोली ी नाट देखन बाद मेरा आफिस माँ एयेने ! नाट पर बहश
         बाद वो सीधे सीधे बिता पर अयेने ! उ दिनों मी गड्वाली माँ गीत लिखदो छो जोंथई 
         आाशबानी से जगदीश थोंदियाल व लीला नेगी गान्दा छा ! उन मेरा गीत आाशवाणी 
         दिल्ली भी सुणा छा ! तब उन बोले छो..आप अछा गीतार छा त आप गड्वाली माँ   
         विता ्यों न रदा ? मीन बोले ोशिश रुलू ! इतुगु ्या बुन छो झट से बोलिनी 
         ी, ऐ इत्व्वरोु तिमारपुरमा मेशानंद गौड़जी घोरमा ए राती बैठ च टलागै
         ऐजया ! मी वाख ग्यु ! हम वख़म चार य पाच आदिम छा जौन्थई मी नि पच्याणदू छो 
         ख़ैर परिचय होए .. खुगशालजी" बोल्या ", महेशानान्दजी गौड़, रमेश घीडियाल  वो, 
         अर मी ! यु हमरु सबसे पैली बिता गोष्ठी छे ,अर बतुओर ए बी ा पहलु परिचय 
         भी ! यत छे शुरवा ... या बादत हम ए हैना बहुत ही र्रीब एगे छा ! पैलीत हम
         तिमारपुरमाँ मैनामा ए दो बार मिल्ल्दा छा ! वेा बाद ुछ और आदमी जुड़नी
         जनी नेत्र सिंह असवाल / गणेश शास्त्रीजी, लोेश नवानी ,बडोला जी, विनोद उनियाल,
         चन्द्रसिंह रही आदि  !
              हमने तब ए संस्था बनाई " गड भारती "  वेी तत्वाधान मी " फंची " 
         परशन ! दुसुरु " धै  "  साथ बियो ी बिता संघ्रह गणेश शास्त्री जी ने यु द्वीयु
         ु सम्पादन री ! इ " गड भारती" संस्था ा ही तत्वाधान माँ ही, गड्वाली साहित्यु 
         सबसे पहलु " स्वर्गीय पंडित टीाराम गौड़  " डंडरियाल जी ी "अन्ज्वाल" पर उथे   
         दिएगे छो !

भीष्म रेती- जब ड़ी.सी.एम् मिल बंद ह्व़े त फिर न्हैया लाल डंडरियाल जी न नौरीिलै नि
           खोजी?

पाराशर गौड़ - जबाब सीधु युच ी, जब आदिम ४० ु- हवे जान्दत, नौरी ा मामल माँ वैथे वी
          ज्याद ताबजू नि देन्दु ! डंडरियाल जी ज्यादा पद्या लिख्या त नि छा जू ुवी स्िल
          जोब ा वास्ता जांदा ये वास्ता जख्त उन समझी ी बात अब अग्वाडी बन से राइ
          ( नौरी ा मामला माँ ) वो हताश से हवे ह्वेगे छा, पर हिमंत से ना !  उन घोर
          घोर जैी चा ी पत्ती बेचिनी पर ा अग्वाडी हाथ ने फैलाई ..वो ए खुदार मनिखी
          छा !

भीष्म रेती -इन बुले जांद बल न्हैया लाल डंडरियाल जी  बेटी ब्यौ गढ़वाळी वि जया नन्द
          खुगसाल 'बौळया' जी नौना दगड हूण मा आपी बि भागीदारी च. ्या या बात सै च?

पाराशर गौड़ - भागीदारी त मिनी बोलुलू  पर हां, एतुगु  जरुर बुलुलुी मीसे जू भी बन पड़ी ए मित्र
          ा नाता मिल ाया ! वे समय पर उनी स्तिथि जरा खराब छे अर इनु समयमा
          अगर मित्र मित्र मा नि आन्द त , वो मित्र ही ्या ?

भीष्म रेती- न्हैया लाल डंडरियाल जी अर गढ़वाळी वि जया नन्द खुगसालऔ वितौंमा ुछ खास इजसिपन /साम्यता छन बल जन ि म आमदनी वलु प्रवाशी  गरीबी संघर्ष, गढ़वाळ अर दिल्ली  जीवन ा बीचऐ दुरी तैं ख़तम रणो ए अजीब सी परेशानी, गढवाळ अर दिल्ली मा मानसि , भौति, आर्थि स्तिथियुं तैं बैलंस रणे समस , असलियतवादी वितौं पर जादा जोर , चबोड्या शैली आदि . ्या या बात सै च?

पाराशर गौड़ - सै ही ना बल्ि सोला आना सच ! द्वीयु ी बिता पहाड़ व पहाड़ से नौरी
      तलाश में भैर आया प्र्बासियो ी खैर त्रास्ती  मज़बूरी  ी साफ़  झल मिल्द ! बोल्या जी 
      वो बात नि छे !

भीष्म रेती- न्हैया लाल  डंडरियाल जी  विता रचणो ढंग ढाळ देख्युं च. ै तरां अरन परिस्थिति मा वो विता गंठयांदा छया ?

पाराशर गौड़ - उन  छोटी छोटी आंख्युं , बड़ा बड़ा ोथि देखिनी ! वे ोथिमा िसमा 
     उतार चड़ाव छा ! बत ी थपेड़ों ने उनी राचनो थै वो धार दे ,वो धार दे जैी बजह से
     आज जब हम उनी बिता  पडदा  त  इन लगाद  ी  ये मनिख्ल ा देखि
     अर भोगी  !

भीष्म रेती- न्हैया लाल डंडरियाल जी  विता खौळ (विता संग्रह) छपाण मा बि आप सरीखों हाथ होंदु छौ. ्या या बात सै छन?

पाराशर गौड़- मेरी भरस ोशिश इ राय ी जू ्वी भी अपणी माँ बोली ी भी सेवारद या नु 
       च, अगर  वैथे  वी  मओं मदद चैन्द त मी अपनी तरफ बीटी जू भी हवे सा वेि मओं
       मदद रे जा ! उी मदद जरुर ाया उथे गड्वालीमाँ पैलू गड्वाली साहित्यि  पुरुष्ार  " 
       स्वर्गीय  पंडित  टीाराम गौड़  साहिति पुरष्ार " से  समानित ैरिी  दगड मुछ
       आर्थि मदद ैरी !

भीष्म रेती- न्हैया लाल डंडरियाल जी तैं यांो मलाल छौ (जु नागराजा मा बि लिख्युं च, सैत ) बल धनाभाव  ारण नागराजा, अबोध जी  महााव्य भुम्याळ से पैलो नि छाप. ्या बात सै च?

पाराशर गौड़- सत्य बचन ! नागराजा  भुम्याल से बहुत पैली उन लेखी याली छो ! उु और मेरु 
      दुर्भाग्य  ही छो ी मी १९८३ ८४ माँ उनसे दूर ह्वेगे छो ! अगर मी रैंदु त यु महा ाब्य  वे
      से पैली छपी जादू ! पर हूनी वल थै ्वी नि रोी सद ! जन अज्वाल थै समान मिली छो 
      वनी ये महा ाब्य थै भी ए यु समान मिली जांदू !

भीष्म रेती- महा वि भगत बि छया अर सैत च ऑन पर ्वी दिवता बि आंदो छौ. डा. नन्द िशोर ढौंडियालौ जी न इनी ल्याख, गिरीश सुंदरियालौ न बि इनी ल्याख. आप त उंदगड भौत रैन आप ्या राय च?

पाराशर गौड़-  जी  हां  ! नाराज आन्दु छो उन पर ! 

भीष्म रेती- न्हैया लाल डंडरियाल जी  वितौं पर आपी विवेचना ्या बोलदी!

पाराशर गौड़- बिबेचना ा वास्ता  ए लम्बू समय चैद बस इतुगु ही बुलुलूी उी हरबिता मेरा
       पहाड़ ी तस्बीर छन, ए आयना च जैमा लोग अपनी अनवार देख स्दिन !

भीष्म रेती- मिं देखी अबि बि भौत सा वि न्हैया लाल डंडरियाल जी  ढंग ढौळ (शैली) तैं अपन्यौणा रौंदन जब ि आजै मांग च बल न्हैया लाल डंडरियाल जी  ब्युन्तौ विास रे जाओ. ्या बात च ि हरीश जुयाल तैं छोड़ि इन म इ हूणु च ?

पाराशर गौड़- शैली थै अपनानू वी गलत बात नि, पर नक़ल नी व अछी बात नि ! 

भीष्म रेती- न्हैया लाल डंडरियाल जी तैं पैलो टीा राम गौड़ पुरुष्ार मील. टीा राम गौड़ पुरुष्ार ा बारा मा सं्षेप मा बतावा त ज़रा !

पाराशर गौड़- टीा राम गौड़ पुरुष्ार  गड्वाली माँ उ लुख थै दिए गया  या दिए जान्द जौन पहाड़ी
        भाषा  गध्य पद्य गीत संगीत नाट अबिनय माँ ाम री ! ये से अभी त
        न्हयालाल  डंडरियाल जी, चंदर सिंह रही,  ालजी, शारदा नेगी मवारी-गारी ा लेख
        घिदियाल्जी आदि लोग छन! गड्वाली माँ गड्वाली साहित्यु - यु पौलू पुरुष्ार च जैमा 
        २००० रुपया अर शाल दिए जान्द  !   

भीष्म रेती- न्हैया लाल डंडरियाल जी बारा मा ुछ हौरी जानारी दी न चैल्या्या?

पाराशर गौड़- वो ए बहुत ही सुल्ज्या अवम द्रदर्शी व्य्ति छा  !

भीष्म रेती- नवाड़ी वियों तैं न्हैया लाल डंडरियाल जी से ्या सिखण चएंद ?

पाराशर गौड़-अपनी माँ बोली थै  नि भूल्या !  माँ ा बाद,  बोली ही सबसे पवित्र अवम सबसे उत्तम हुन्द !

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