-----------------------------------------------दृश्य - 11, Scene 11
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------------------------खोज जारी -----------------------------------
बृजमोहन - हाँ तो साथियो काम
शुरू।
कैमा रिवॉल्वर तो नी च ?
धूमल [कीसा थपथपांद ] - नै मीम छैंच।
बृजमोहन - औ हमेशा गन का साथ
? हैं ?
धूमल - हाँ आदतन। कबि जब
खतरा हो तो जरूरत पड़ जांद कि -
बृजमोहन - ये से अधिक खतरा तो कबि नि रै होलु। यदि उ पागल
आदिम यख च तो अवश्य ही वैमा
नया हथियार अवश्य होलु। वैमा चक्कु वुक्कु नि होलु।
डा मदन - नही नही इन लोग बड़ा
शांत हूंदन। यी लोग आनंदमय दिखेंदन ना कि हथियार से लैस।
बजमोहन - हाँ पर ये द्वीप मा
वु इन शांत नि होलु।
[बृजमोहन , मदन , धूमल खुज्यांद खुज्यांद आनदं जख जनरल महेश बैठ्याँ छन। धूमल पास जांद ]
बृजमोहन -जनरल साब !शांत जगा
हैं ?
महेशा - हाँ इथगा कम समय च। तो मेरी प्रार्थना च कि मि तै क्वी डिस्टर्ब नि
कारु।
बृजमोहन - ना ना हम तंग नि
करला आप तै। हम बस द्वीप मा घुमणा छंवां। कि यदि क्वी छुप्युं हो तो।
महेशा - म्यार मतलब यु नि
छौ।
आप अवश्य अपण काम कारो।
[बृजमोहन धूमल , मदन का पास जांदन ]
धूमल - क्या बुलणा छा ?
बृजमोहन - कि समय नी च अर
डिस्टर्ब नि कारो।
मदन - पता नी क्या अजीब सि व्यवहार ! कुछ अजीब … चलो खोज जारी रहे।
स्वांग --- यहां कोई ज़िंदा नहीं बचेगा
[इख कैन ज़िंदा नि बचण ]
अनुवाद - भीष्म कुकरेती
---------------------------यहां कोई ज़िंदा नहीं बचेगा [इख कैन ज़िंदा नि बचण ]नाटक कु शेष भाग दृश्य 12 माँ पौड़ो ------------------
------------------------------ यहां कोई ज़िंदा नहीं बचेगा [इख कैन ज़िंदा नि बचण
]
----------------------------------------------दृश्य 12 - , Scene 12
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--------------------समुद्रौ छाल /किनारा -----------------------------------------
[जनरल महेशा समुद्रौ तरफ मुख करिक बैठ्याँ छन। नंदा आंद। वु बैठणो इशारा करद ]
महेश - औ तो तू छे -
नंदा [बैठद ]- आप तै इखम बैठिक समुद्र
दिखणम आनंद आंद?
महेशा - हाँ , आनंददायक जगा च। प्रतीक्षा करणो वास्ता बढ़िया -
नंदा -प्रतीक्षा ? क्यांक प्रतीक्षा ?
महेशा -अंत। पता च ना ? जाणदी छे इ ना ? सच बात च कि ना ? कि हम सब अंत की जग्वाळ करणा छंवां।
नंदा -क्या मतलब ?
महेशा -मतलब ! हम क्वी बि ये द्वीप नि
छोड़ सकदां। यो इ योजना च। तू बि जाणदी छे। बस इनमा तू नि जाणदी कि चैन कन लिए जाय /
नंदा -आनंद ? चैन ?
महेशा -हाँ ! देख एक दिन आंद जब पर तू अबि जवान छे। चैन आंद जब त्वे तै पता चल जांद कि तुमन जु
करण छौ स्यु कौरि आल - अर अब अधिक दिन तक भार नि उठए सक्यांद। तू बि एक दिन अनुभव करली कि अब कुछ नी बच्युं च। मि अनीता तै दिल से प्यार करदो
छौ।
नंदा -अनिता आपकी घरवळि छे ?
महेशा -हाँ वा मेरी घरवळि छे। बड़ी बिगरैलि छे। वा खुस रौंद छे। मि वीं पर गर्व करदु छौ। मि वीं से भौत प्रेम करदु छौ - तबि त मीन इन कार -
नंदा -तुमर मतलब -
महेशा -अब मना करिक क्वी फायदा बि नी च-जब हमन बचण इ नी च त । मीन इ राजेन्द्र तै मौत का मुख मा भेजि। मि राजेन्द्र तै
पसंद करदु छौ। बड़ो कर्तव्यपरायण अर उत्साही युवक
छौ। पर वेक नाजायज संबंध अनिता का साथ छया। मीन प्रेम पत्र पढ़िनं। मीन
वै तै इन जगा भेज कि बचण नामुमकिन छौ। एक तरां से हत्या इ छे। मि न्यायप्रिय
अर अनुशासन प्रिय छौं तो मि तैं वैबगत लग कि मीन उचित ही कार। मि तै क्वी पश्चाताप नि छौ वै तै डंड मिलण इ चयेंद छौ। पर फिर वेक बाद -
नंदा -हैं ? वैक बाद ?
महेशा -पता नि वैक बाद कुछ ह्वे गे। मि तै नि पता कि मेरी घरवळिन अंदाज लगै होलु। मेरी घरवळि कखि दूर चल गे अर फिर मरि गे। मि अकेला ही -
नंदा -अकेला ?
महेशा -हाँ अकेला ही भुगतण सब तै अंत
-सब्युंक अंत -त्वै तै बि आनंद होलु कि अंत मा -
नंदा[एकदम उठद ] -पता नी क्या बखणा
छंवां।
महेशा -मेरी बच्ची ! सब जाणदु छौं।
नंदा -तुम कुछ नि जाणदा। कुछ बि ना।
महेशा -अनिता ?
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