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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Friday, June 19, 2015

बौ सुरीला का चार पति (गढ़वाली में एकालाप अनुदित नाटक )

मूल लेखिका -- लौरा एम . विलियम्स 
अनुवाद --  भीष्म कुकरेती 
चरित्र 
बौ सरीला 
रणधीर - एक बिगरैलु जवान 
गोविन्दु -जवान अर सौम्य ड्रेस वळ 
छैला - कलाकार लम्बो बाळ वळ 
बर्मा - दाड़ी  वळ सबसे बुड्या 
(पति  चरित्र एकी मनिख निभांद अर हर दृश्य मा झुल्ला बदलिक आंद )
 स्थान - लिविंग रूम
                                             बौ सुरीला
-उफ़ ,  फिर वै बात ह्वे गे।  म्यार फिर से तलाक ह्वे गे। मि सबसे भाग्यहीन जनानी छौं। भौत से एकी खसम से खुस रौंदन या खुस हूणों नाटक करदन।  अर मीन चार बदल देंन पर। [खांसद अर अखबार पढ़न लगद ]. उंह सौ प्रति माह। आदिम  स्वार्थी हूंदन। 
म्यार चौथू खसम ! यु संभव नी च। हम चित्तार्षक जनान्युं तै इथगा भुगण पड़द।  हूँ 
( पैलु फ्रेम मा रणधीर प्रकट हूंद , सुरीला पिक्चरक पास जांद ) आह ! रणधीर ! बांका सजीला जवान पति ! मि त्वे तै कबि नि बिसर सौकु।  बिसरण बि किलै छौ ? सजीला , बिगरैला पति भुलणै चीज हूंद क्या ? रणधीर तू ख़ूबसूरत छौ अर प्यारो।  मि प्यार मा त्वे तै प्यारे प्यारे करिक  भट्यान्दु छौ। तब मि सोळा की छौ अर तू चौबीस को।  त्वै तै मेरी जवानी अर मूर्खता माफ़ करण चयेंद छौ। पर मरद जात अपण अलावा कैक बारा मा कख सुचदि ? तीन मि तै भगणो सलाह दे कि तीम पैसा नि छन । तीन मि तै गलत समझ। 
क्या एक जवान लड़की का काम सब्जी काटण , आटु उलण इ रै जांद ? [रणधीर दुःख मा हंसद ] पर सबसे बड़ी गलती तेरी या छे कि तू गोविंदु तै घर लै गे। अर मि अपण आकर्षण कम थूका कौर सकुद छौ ? तू क्या चांदी छे कि मि अपण आकर्षक बाळ काटिक नंगमुंडी ह्वे जान्दि ? क्या मि अपण सफेद दाँतपाँटी पर क्वीलतार फेरी दींदु ? [हंसदी ] हाँ तू इनि विश्वास करदु छे कि मि अनार्षक ह्वे जौं। तू कथगा जल्थमार छै हैं [गंभीर ] हैं ? यु त्यारि दोष छौ त्वै तै वै तै ड्यार नि लाण चयेणु छौ। पता नि कब मरद सीखल कि यदि वैकि कज्याणि खबसूरत हो तो दोस्तों तै घर का आस पास बि नि आण दीण चयेंद। 
रणधीर तब तू असह्य ह्वे गे छै हाँ ! गोविंदु अर म्यार दगड होटलम डिन्नर पार्टी मा नि आन्दु छौ।  जब बि गोविंदु मि तै वा चीज भेंट करदो छौ जु तू नि दे सकद छौ तो तो जळीक म्वास  ह्वे जांद छौ। त्यार फोकट का घमंड से सब कुछ बर्बाद ह्वे।  अरे गोविंदु मि तै कान का फूल आदि इ त भेंट माँ दींदु छौ। अर वा घड़ी ? गोविन्द द्वारा मि तै घड़ी दीणो बाद तो सब कुछ समाप्त ह्वे गे। हम अलग हुवाँ।  तयार फोकट का घमंड अर स्वार्थी प्रवृति का कारण मि तै भौत भुगण पोड। 


                                          बौ सुरीला [गोविंदु दुसर  फ्रेम मा आंद आर वा गोविंदु की तस्वीर जिना देखिक ]
गोविंदु भौत आलोचनात्मक दृष्टि से नि देख।  यु सब तेरी गलती च। जब मि प्यार से नाखुश छौ तो त्वै तै कुछ नि सुणण चयेणु छौ बल्कि में से दूर रौण चयेंद छौ।  तुम सब मर्द भावनात्मक मुर्ख हुँदा। मि अबि बि त्वे अर प्यारे तै नि बिसर सौकुं। अहा क्या दिन छया हैं ! इना रणधीर अर उना तू याने गोविंदु। रणधीरन ब्वाल , "गोविंदु ! मेरी कज्याण नाखुश च किलैकि मि वीँ तै सब कुछ नि दे सकुद। "
तीन ब्वाल , " त्वै तै सुरीला तै व सब कुछ दीण चयेंद जांक वा ख्वाइस करदि। " अर फिर मीन रणधीर से तलाक ले अर त्यार दगड़ ब्यौ कर। इख्मा म्यार क्वी दोष नि छौ। 
त्वी बि मानली कि मि एक पतिव्रता नारी छौ। शिकैत की कखि जगा नी  च । तीन बोलि छौ कि सब कुछ मीम रालो। वा सुफेद मोटर बड़ी बिगरैलि छे। तीन बेकार शिकायत कार। मि तै नि पता छौ बल तू इथगा काईयाँ प्रवृति कु ह्वेल। जब मि क्वी चीज खरीदद छौ तो तू नराज ह्वेक कुणकुण ,  गुरगुर करदो छौ। तू असह्य प्राणी साबित ह्वे जब बि मीन क्वी जवारात खरीद। असह्य !
            इन मा मेरी तब्यत खराब हूणी छे सो ह्वे। क्वी बि भली जनानी इन वातावरण मा नि रै सकदी। मि तै त्वे से पीछा छुड़ानो बान यात्रा करण पोड। (उफ़ ) स्वार्थी मनिख ! मीन अब त्वै तै क्षमा कर याल। 
खैर तीन म्यार तलाक की भरपाई का वास्ता का खूब दे।  पर मि तै सामंजस्य पसंद च। मि तै तड़क भड़क पसंद छौ अर त्वै तै सरलता बस या ही परेशानी छे।  तू मि तै नि समझ सकी। अरे इन दौलत का क्या करण जु दुसर पर रौब नि मारे सक्या ? गोविंदु सैत च इथगा धनी हूणों बाद बि तू एक साधारण मनिख ही छौ।
                    बौ सुरीला [छैला  तिसर फ्रेम मा आंद आर वा छैला की तस्वीर जिना देखिक ]
अहा छैला अर तेरी तुलना करीं बगैर मि नि रै सकदु।   शादी से पैल वैन मेकुण अजीब अजीब अलंकृत भाषा मा ल्याख।  छैला एक भावुक जानवर छौ। वैक लम्बा बाळु अर स्वप्नीली/  सुपनेळी  आंख्युं मि तै धोखा दे। मि तै भरवस छौ बल उ मि तै समजल। पर ना। 
मि  लगद कि एक हैंक तै इलै नि समज स्कड किलैकि स्वार्थ बीच मा ऐ जांद।  
छैला ! मीन त्यार दगड ब्यौ करणो बान आलिशान मकान छवाड़। तीन या बात कबि नि समज।  ठीक च मीम गोविंदु का दियां घना छ अर पैसा छौ। पर मि तै यु असह्य छौ कि तू उखमादे इक पैसा  बि ले। 
मि तै लगद छौ कि तू प्रसिद्ध ह्वेलि। पर ना - जब मि स्टडी रूम मा आंद छौ तो तू या तो लिखणु रोंद छौ या पढ्नु रौंद छौ। तू रात भर लिखणु रौंद छौ अर म्यार आराम माँ खलल पड़दु रौंद छौ।  फिर त्वै तै जबरदस्ती कखि भैर लीजाण पड़द छौ। तू तब बि लेख सकद छौ जब में तै तेरी जरूरत नि हूंदी छे कि ना ? पर यांसे मेरी खबसूरती मा कमि आंद गई। तू अफु मा इ व्यस्त रै। 
मि तै आशा छे कि तू म्यार व्यक्तित्व समजिल पर सब बेकार। मीम नाटक का एक बढ़िया कहानी छे। हाँ याद आई कथा छे कि एक लड़की रात रात स्टेज मे काम करदी छे अर एक रात   वा प्रसिद्ध ह्वै गे। फिर व तबि घर लौट जब ठीक समय पर वींक गरीब मा तै वींक जरूरत छे।  पर तीन मेरी सहायता नि कार।
तू अफु मा व्यस्त छै अर जु बि तू लिखद छौ मेर समज मा कुछ नि आंद छौ। 
अब तू धनी अर प्रसिद्ध ह्वे गे पर जब हम दगड छया तो तेरी आय कुछ ख़ास नि छे।  सब तै लगद  छौ कि तू  धनी छौ अर तबी मि इथगा सुंदर ड्रेस पैरदु । मीन तेरी सहायता करण चाहि पर तीन मना कर दे छौ। फिर हम द्वी अलग ह्वे गेवां।  वेक बाद क्वी युवा नि मील अर युवा स्वार्थी अर महत्वाकांक्षी जि हूंदन। 
त्वै छुडनो दुःख तो छैं च। 
                        बौ सुरीला [ चौथू फ्रेम मा वर्मा बुड्या आंद वा वैक दगड बात करदी ]
जब मि बर्मा तै मील तो इथगा धोका मीन कबि नि खै। मीन समज बल उ एक सज्जन आदिम च। अब बथावदी एक सौतेली मा कनकैक दूसरौ बच्चों तै अपण मानी ल्यावो ? मि बर्माक बच्चों तै अपण मानि नि सौक ! ठीक च शादी से पैल मि ऊँ तै कथा सुणान्दु छौ पर शादी बाद में से कथा तो क्या उंक दगड़ बात करणो ज्यु बि नि बुल्याइ। बर्मा तीन बि मि तै समजण मा गलती कार।  अरे में पर कुछ खर्चा पर्चा करण मा त्यार क्या जाणु छौ।  सब कुछ बच्चा ही नि हून्दन । बच्चो पर खर्चा अर मेपर कुछ ना।  तीन वूं तै बिगाड़न ही च तो बिगाड़। 
ऊख बर्माक दगड बि दाल नि गौळ।  कैन बि मि तै सही तरां से नि समज।
अब मि स्टेज माँ काम करण चांदु अर एक मर्द की तलास च जु मि तै स्टेज मा चमकाण मा मदद कर साको।
हे सब पतियों ! वु तुम सब पर भारी पोड़ल अर फिर मि टॉम तै शायद याद नि बि करुल ! 
अर वु म्यार पंचौं खसम ह्वालु। 


मूल लेखिका -- लौरा एम . विलियम्स 
अनुवाद -भीष्म कुकरेती जून 2015

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