Garhwali Prose of Nineteenth Century from Garhwal
गढ़वाली का उनीसवीं सदी का गद्य -2
गढ़वाली का उनीसवीं सदी का गद्य -2
जसपुर के बहुगुणाओं का संस्कृत से गढ़वाली टीका साहित्य में योगदान -2
प्रस्तुति -भीष्म कुकरेती
(आभार ------------जसपुर के समस्त बहुगुणा परिवार विशेषतः श्री शत्रुघ्न प्रसाद पुत्र स्व पंडित खिमानन्द बहुगुणा )
अन्य दो गढ़वाली में टीका के पृष्ठ जो मुझे प्राप्त हुए उनसे लगता है कि ये पृष्ठ किसी विषय के बीच के अंश हैं और उपरोक्त दो पृष्ठों के बाद के लिखे गए हैं। कारण है स्याही अभी भी ताज़ी हैं और लाल स्याही से बनाए गए दोनों ओर दो दो हासिये हैं। प्रथम पृष्ठ में दाहिने हासिये के अंदर वर्टिकली श्री गणेशाय नमः और सीधा गोरी लिखा है। नीचे साकलं और गोरी लिखा है। इबारत इस प्रकार है -
ग लेणो फिर शेष ३० न भाग लेणो फिर शेष ६० न गुणणो टीवी ता को धक (अस्पष्ट ) व क कर्नो अपणी दशान गुणणो योग नी दशा की तरह रीत र्नी II 2 II अष्टो तरि दशा होवू : अथ काल चक्री दशा : अ . आ . ध . श . मृ . सुर्य्य दशा अ . कृ . पु . श्ले. ह. मूल पू.र्भा.भौम दशा उ: षा.रे .भ . ति . चि .शनि दशा: पू.षा .स्वा . शुक्र दशा उत्र. भा . चन्द्र दशाः रो . म . वि .श्र . गुरु दशा = पु .फा . उ .फा . ज्ये. वुध दशाः काल चक्री जै न क्षेत्र को भुक्त हो वू तैमा १५ घटाणो नी घट त रण देणो जैकी दशा होवू तै तै गुणणो १५ न भाग लेणो शेष १२ न गुणों १५ ना भाग लेणो प्रथम दशा गो छ ढीस तै का वर्ष घटाण स्या प्रथम दशा होवू दसौं का वर्ष जोड़ दो जांणो काल चक्री दशा होवू : II ३ II अथ स्वर दशा कि भाका : साकल दो २ जगा धर्नो एक जगा २२ न गुणणो ४२ ६१ जोड़णो १८७५ न भाग लेणो सो भाग पृथक जो साकाल धरयूं छ तैमा जोड़णो ६० न नष्ट कर्नो शेष जो छ सम्ब्त्सर होवू तै सम्ब्त्सर मा ५ न भाग लेणो शेष. वाल १ कुमार २ युवा ३ वृद्धि ४ मृति स्वर दशा होवू जैमा १८७५ को भाग लेय सो सेष अंक १२ न गुणणो १८७५ न भाग लेणो फिर शेष ३० न गुणणो १८७५ न भाग लेणो फिर सेष ६० न गुणणो १८७५ को भाग लेणो तैमा टुप्प स्फुट युक्त कर्नो ढीस वर्सुमा १२ जोड़ दो जाणो स्यास्वर दशा होवू II ४ II
अथ कलुयुग दशा की भाशा : जन्म नक्षेत्र मा ७ जोड़नो ९ न नष्ट कर्नो शेष जतना रवू गर्भ १ जन्म २ उत्स्व ३ काम ४ क्रोध ५ लोभ ६ माह ७ अहंकार ८ मृत्यु ९ माह दशा का धक्र वक युंका वर्षुन गुणणो फेर वर्ष जोड़ दो जांणो कलियुग दशा होवू II ५ II
कल एक ही विषय अध्याय में गढ़वाली एवं हिंदी टीका वर्णन पढ़िए ……
9 /6 /2015
9 /6 /2015
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