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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, June 15, 2015

ये बरस नागराजा पूजा यात्रा की तयारी

Religious Tour Memoir for Nagraja Puja
                                            ये बरस  नागराजा पूजा यात्रा की तयारी 
                                        मुंबई बटें जसपुर तक नागराजा पूजा जात्रा -4  
                                       अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक यात्रा वृतांत                    
                                     
                                                           जत्र्वै - भीष्म कुकरेती 

                 गाँव मा सन 1996 से हर तीसरो  साल सार्वजनिक नागराजा पूजा अनुष्ठान चलणु रै किन्तु मि 2015 की पूजा मा इ शामिल ह्वे सकु।  उन मेरी माँ अर तिनि भाई हर पूजा मा शामिल ह्वेन पर मि नि जै साक।  कारण कुछ ख़ास नि छौ मि तब केनस्टार मा उच्च पद पर छौ अर हमर कम्पनी एयर कंडीसनर अर एयर कूलर का व्यापार मा छे तो फ़रवरी से जून तक छुट्टी मिलण कठण बि छे अर छुट्टी का बारा मा सुचण इ गैरवाजबी छौ। 
                   जब परिवार वळा अर गाँव वाळ नागराजा पूजा करिक मुंबई आंद छया तो गावक वर्णन सुणान्दा छा  तो मि तै वा प्रवासी यहूदी (यिडिश भाषा ) कथा याद ऐ जांद छौ जखमा एक सैकड़ो साल का प्रवासी यिडिश रूस से जेरुसेलम जांद अर उख यहूदी कर्मकांड पूर्ण करिक आंद अर फिर जेरुसेलम मा बितायां दिन अपण प्रवासी भाइयों तै सुणान्द तो वो प्रवासी यहूदी भौत ही भावुक ह्वे जांद छया अर जत्र्वे से बनि बनि किस्मौ सवाल करदा छा।  प्रवास अवश्य ही अपण दगड़ एक समृद्धि लांद , एक नया ज्ञान दींद किन्तु सांस्कृतिक विछोह की पीड़ा साखियों (जनरेसन्स ) तक दे जांद। मुंबई प्रवास से म्यार  परिवार तै सब कुछ मील जु कामना करे सके अर अब हम नागराजा पूजा जन गणेश उत्सव वेही उत्साह , भक्ति से मनौन्दा जै  हिसाब से नागराजा -ग्विल पूजा अर थड्या  नाच गीतुं जगा गुजराती डांडिया तै अपण ही नाच गीत मानण बि लग गेवां फिर बि सांस्कृतिक विछोह की पीड़ा सहन करणी पड़दी।  
 मी बि हर बार  गाँव से बौड़्यां अयाँ भयूँ , मा या चंद्रमोहन जखमोला भाई से कथगा इ सवाल करदो छौ कि गाँव मा कु कु आयि ,जु  नि आयि वु किलै नि ऐ होलु।  फिर पूजा मा क्या क्या ह्वै आदि आदि। सांस्कृतिक विछोह मिटाणो बाण उत्तर चयेंदन तो मि सबसे उत्तर लींदो रौंद छौ।  अर विरोधाभास या च कि म्यार लालन पोषण आर्य समाजी हिसाब से ह्वे अर जब तक म्यार ताऊ जी बच्यां रैन (बीएससी तक ) तब तक हमर ड्यार सत्यनारायण व्रत कथा अर घड्यळ आदि कुछ नि ह्वे छौ।  पर सामाजिक -सांस्कृतिक छोप जल्दी नि हटद।  सामूहिकता की ललक ही तो पूजा च अन्यथा पूजा तो व्यक्तिगत बि  हूंद। 
पिछली बार बल नागराजा पूजा मा हमर गाँव मा समापन दिवस याने हवन का दिन 24 कार जमा ह्वे गे छई।  यु समाचार बड़ो ही रोमांचक , दिल बड़ो हूणों अर उलारपूर्ण छौ कि दिल्ली -देहरादून आदि से 24 गाडी जसपुर ऐन। इनि भोत सि घटनाओं का बारा मा सुणणो मिल्दो छौ कि सार्वजनिक नागराजा पूजा मा शामिल हूणों बिगरौ हमेशा लग्युं रौंद छौ।  
   जब नागराजा पूजा का दिन 25 मई से 27 मई घोषित ह्वे गे तो ये साल यु निर्णय लीण मा क्वी देरी नि ह्वे कि ये साल मीन  सपत्नी नागराजा पूजा मा शामिल हूण। अब तयारी रेल टिकेट पर निर्बाह्र छौ। 

क्या मुंबई से जसपुर गढ़वाल जाण इथगा सरल च ?
अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक यात्रा वृतांत का बाकी  भाग 5  में पढ़िए

Copyright @ Bhishma Kukreti 15 /6/15
bckukreti@gmail.com
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