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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, June 30, 2015

शीर्षक खचांग लगाण वळ , तपन दीण वळ अर खबर बणन लैक हूण चयेंद

 इंटरनेट का पाठकुंक  मिजाज अर गढ़वळि साहित्यकार -2 
                              फोकट की सलाह - भीष्म कुकरेती 
 
  गढ़वळि साहित्यकारुं तै एक बात लेखी लीण चयेंद कि आम गढ़वळि मनिख /मनख्याणी गढ़वळि नि पढ़न चाँद किलैकि गढ़वळि पढ़न मा औसंद आदि , नना  ददा याद ऐ जांदन। 
  तो इंटरनेट मा पाठक आपक साहित्य बांचो तो  इ जरूरी च कि आपका शीर्षक मा आकर्षण हो।  कुछ सलाह या च -
१- शीर्षक कै बि चीज /विचार तै विभाजित करणो सूचना दिंदेर हूण चयेंद।  अमर नियम विभाजित कारो अर राज कारो। 
२- शीर्षक झसका , चसका अर ढसका लगंदेर हूण चयेंद 
३- शीर्षक समाचार बणन लैक हूण चयेंद 
४- शीर्षक अलग संस्कृति बणाण वळ सूचक हूण चयेंद 
५- शीर्षक माँ संख्या हो तो भौत बढ़िया 
६- शीर्षक माँ आकर्षक विशेषण हूणी चयेंद 
७- कृपया कबि बि शीर्षक माँ चीजुं विषय  नि द्यावो अपितु  विचार , कारण ,सूत्र , रस्ता , तरीका , गुटप , राज , आदि हूण चयेंद 
८- शीर्षक माँ क्या , उद्देश्य , किलै , कैकु,  कैकुण , कथगा आदि आण चयेंद 
९- शीर्षक माँ प्रतिज्ञा, करार , वादा , संभावना आण चएंदी 
जरा बताओ तो सही कि क्या कबि आपन शीर्षक खुज्यांद दै मथ्याक बथुं पर बि ध्यान दे ? 

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