इंटरनेट का पाठकुंक मिजाज अर गढ़वळि साहित्यकार -2
फोकट की सलाह - भीष्म कुकरेती
गढ़वळि साहित्यकारुं तै एक बात लेखी लीण चयेंद कि आम गढ़वळि मनिख /मनख्याणी गढ़वळि नि पढ़न चाँद किलैकि गढ़वळि पढ़न मा औसंद आदि , नना ददा याद ऐ जांदन।
तो इंटरनेट मा पाठक आपक साहित्य बांचो तो इ जरूरी च कि आपका शीर्षक मा आकर्षण हो। कुछ सलाह या च -
१- शीर्षक कै बि चीज /विचार तै विभाजित करणो सूचना दिंदेर हूण चयेंद। अमर नियम विभाजित कारो अर राज कारो।
२- शीर्षक झसका , चसका अर ढसका लगंदेर हूण चयेंद
३- शीर्षक समाचार बणन लैक हूण चयेंद
४- शीर्षक अलग संस्कृति बणाण वळ सूचक हूण चयेंद
५- शीर्षक माँ संख्या हो तो भौत बढ़िया
६- शीर्षक माँ आकर्षक विशेषण हूणी चयेंद
७- कृपया कबि बि शीर्षक माँ चीजुं विषय नि द्यावो अपितु विचार , कारण ,सूत्र , रस्ता , तरीका , गुटप , राज , आदि हूण चयेंद
८- शीर्षक माँ क्या , उद्देश्य , किलै , कैकु, कैकुण , कथगा आदि आण चयेंद
९- शीर्षक माँ प्रतिज्ञा, करार , वादा , संभावना आण चएंदी
जरा बताओ तो सही कि क्या कबि आपन शीर्षक खुज्यांद दै मथ्याक बथुं पर बि ध्यान दे ?
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