मूल स्रोत्र श्री शिव शरण धस्माना ग्राम बौन्दर , पिन्ग्लापाखा
पुस्तक : डा शिवा नंद नौटियाल -----गढवाल के नृत्य गीत
इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
जब होली खिलंदर किसी गाँव में प्रवेश करते हैं तो वे गाते हैं नृत्य करते हैं
1-
खोलो किवाड़ मठ भीतर
दरसन दीज्यो माई आंबे -झुलसी रहो जी
तीलू को तेल कपास की बाटी
जगमग जोत जले दिन राती -झुलसी रहो जी
इष्ट देव , ग्राम देवता पूजा के बाद होली नर्तक गोलाकार में नाचते गाते हैं
जल कैसे भरूं जमुना गहरी जल कैसे भरूं जमुना गहरी
खड़े भरूं तो सास बुरी है
बैठे भरूं तो फूटे गगरी , जल कैसे भरूं जमुना गहरी
ठाडे भरूं तो कृष्ण जी खड़े हैं
बैठे भरूं तो भीगे चुनरिया , जल कैसे भरूं जमुना गहरी
भागे चलूँ तो छलके गगरी , जल कैसे भरूं जमुना गहरी
यह अत्यंत जोशीला नृत्य गीत है जिसमे उल्ल्हास दीखता है और श्रृंगार भी है
इसके बाद भजन गीत है जो उसी उल्हास के साथ नृत्य-गीतेय शैली का है
-----2-------
हर हर पीपल पात जय देवी आदि भवानी I
कहाँ तेरो जनम निवास जय देवी आदि भवानी I
कांगड़ा जनम निवास , जय देवी आदि भवानी I
कहाँ तेरो जौंला निसाण , जय देवी आदि भवानी I
कश्मीर जौंल़ा निसाण , जय देवी आदि भवानी I
कहाँ तेरो खड्ग ख़पर, जय देवी आदि भवानी I
बंगाल खड्ग खपर , जय देवी आदि भवानी I
हर हर पीपल पात जय देवी आदि भवानी I
--३--
यह गीत भी होली में प्रसिद्ध है . यह गीत श्रृंगार व दार्शनिक है
चम्पा चमेली के नौ दस फूला , चम्पा चमेली के नौ दस फूला
पार ने गुंथी शिवजी के गले में बिराजे , चम्पा चमेली के नौ दस फूला
कमला ने गुंथी हार ब्रह्मा के गले में बिराजे , चम्पा चमेली के नौ दस फूला
लक्ष्मी ने गुंथी हार विष्णु के गले में बिराजे , चम्पा चमेली के नौ दस फूला
सीता ने गुन्ठो हार राम के गले में बिराजे , चम्पा चमेली के नौ दस फूला
राहदा ने गुंथे हार कृष्ण के गले में बिराजे
--४---
श्रृंगार व उत्स्साही रस भरा गीत है
मत मरो मोहन पिचकारी
काहे को तेरो रंग बनो है
काहे को तेरी पिचकारी बनी है, मत मरो मोहन पिचकारी
लाल गुलाल को रंग बनी है
हरिया बांसा की पिचकारी , मत मरो मोहन पिचकारी
कौन जनों पर रंग सोहत है
कौन जनों पर पिचकारी , मत मरो मोहन पिचकारी
रजा जनों पर रंग सोहत है
रंक जनों पर पिचकारी , मत मरो मोहन पिचकारी
---५--
जब होली खेलने वाली टोली होली खेल चुके होते हैं तो उन्हें होली इनाम मिलता है (पहले बकरा मिलता था , अब पैसा आदि ) और उस समय यह आशीर्वाद वाला नृत्य गीत खेला जाता है
हम होली वाले देवें आशीष
गावें बजावें देवें आशीष ---१
बामण जीवे लाखों बरस
बामणि जीवें लाखों बरस --२
जिनके गोंदों में लड़का खिलौण्या
ह्व़े जयां उनका नाती खिलौण्या --३
जौंला द्याया होळी का दान
ऊँ थै द्याला श्री भगवान ----४
एक लाख पुत्र सवा लाख नाती
जी रयाँ पुत्र अमर रयाँ नाती ---५
हम होली वाले देवें आशीष
गावें बजावें देवें आशीष
सौजन्य एवम आभार :
मूल स्रोत्र श्री शिव शरण धस्माना ग्राम बौन्दर , पिन्ग्लापाखा
पुस्तक : डा शिवा नंद नौटियाल -----गढवाल के नृत्य गीत
पुस्तक : डा शिवा नंद नौटियाल -----गढवाल के नृत्य गीत
इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
जब होली खिलंदर किसी गाँव में प्रवेश करते हैं तो वे गाते हैं नृत्य करते हैं
इष्ट देव , ग्राम देवता पूजा के बाद होली नर्तक गोलाकार में नाचते गाते हैं
यह अत्यंत जोशीला नृत्य गीत है जिसमे उल्ल्हास दीखता है और श्रृंगार भी है
इसके बाद भजन गीत है जो उसी उल्हास के साथ नृत्य-गीतेय शैली का है
यह गीत भी होली में प्रसिद्ध है . यह गीत श्रृंगार व दार्शनिक है
श्रृंगार व उत्स्साही रस भरा गीत है
जब होली खेलने वाली टोली होली खेल चुके होते हैं तो उन्हें होली इनाम मिलता है (पहले बकरा मिलता था , अब पैसा आदि ) और उस समय यह आशीर्वाद वाला नृत्य गीत खेला जाता है
सौजन्य एवम आभार :
मूल स्रोत्र श्री शिव शरण धस्माना ग्राम बौन्दर , पिन्ग्लापाखा
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