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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, March 27, 2014

मेनिफेस्टो माने ज़िंदा वोटरूं तैं श्रद्धांजली दीणै फंडधुळी परम्परा

चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती        

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )  
 मास्टर जी - यो निर्भाग्युं कख मोर्यां छा ? इंटरवल आधा घंटाक हूंद अर तुम अब आणा छा ? कख छे तुमरि निफ़्ल्टि लगीं ?
एक स्कुल्या - मासाब ! आज मेनिफेस्टो मेनिफेस्टो जन मजाकिया खेल खिलणा छा त अबेर ह्वे गे। 
मास्टर जी - चलो मोरो ! अपण अपण सीटुं मा मोरो। 
मास्टर - अब क्यांक विषय च ?
सबि स्कुल्या - निंबंध ।
मास्टर - ठीक च आज हम मेनिफेस्टो पर ही निबंध लिखला।  तो पैल हम तैं पता हूण चयेंद कि मेनिफेस्टो क्या च ? मेनिफेस्टो कु  उद्येश्य क्या च , कैकुण मेनिफेस्टो हूंद? , मेनिफेस्टो कख लागू हूंद ?मेनिफेस्टो कु तयार करद अर क्या हूंद ?
सबि स्कुल्या - मासाब ! भलो भलो ! हम तैं सब पता च मेनिफेस्टो क्या हूंद।
मास्टर - हाँ त तू बोल मेनिफेस्टो की परिभाषा हूंद ?
एक स्कुल्या - मेनिफेस्टो एक इन दस्तावेज हूंद जांसे राजनीतिक पार्टी खुलेआम मतदाताऊं दगड़  लिखित हंसी -मजाक , मसखरी , चबोड़ , चखन्यौ  करदन। 
हैंक स्कुल्या -म्यार हिसाब से राजनीतिक पार्ट्यूं द्वारा मेनिफेस्टो लोकार्पण इनी च जन हम अपण ब्वे -बुबा मुरण पर मुण्ड मुंडेदा पर ना त पंडित तै पता हूंद अर ना ही मुंड्याण वाळ तै पता हूंद कि मुंडन अर छुपल पैरण कु मकसद क्या च ? बस लोग मुंड्यांद छन इनी राजनीतिक पार्ट्यूं द्वारा मेनिफेस्टो   बस छपाये जांद। 
हैंक स्कुल्या - मेनिफेस्टो प्रकाशन इनी च जन मृतक तैं   श्रद्धांजलि दींणो बान पंजाबी -सिंध्युं मा चौथ या राजस्थानी -गुजरात्युं मा बैठक -बेसाणा जन एक कार्यक्रम हूंद।  ज़िंदा वोटरूं तैं श्रद्धांजलि दीणो परम्परा तै मेनिफेस्टो रिलीज  बुल्दन। 
मास्टर - मेनिफेस्टो कु ख़ास ख़ास उद्येश्य क्या क्या हूंदन ?
एक स्कुल्या -मेनिफेस्टो तैयार करण अर मेनिफेस्टो रिलीज करण महज एक चुनावी परम्परा च। 
हैंक स्कुल्या -मेनिफेस्टो रिलीज एक उद्येश्यहीन कार्यक्रम च। जन कि हम लोग अपण बूड -खूडूं तै बस दिखाणो सिवा लगाणो ऐक्टिंग करदा , नलटन करदां ऊनि मेनिफेस्टो महज एक चुनावी ड्रामा च।
हैंक स्कुल्या - मेनिफेस्टो रिलीज से कार्यकर्ताओं मा शायद एक ऊर्जा आंदि होलि। 
हैंक स्कुल्या - उद्येश्यहीन उद्येश्य प्राप्ति का वास्ता उद्येश्यहीन परम्परा कु क्वी उद्येश्य ही नी च।  दस अप्रैल 2014 कुण आम चुनाव शुरू ह्वाल अर अबि तलक भाजपान अपण चुनावी घोषणा पत्र जारी ही नि कार. याने चुनावी घोषणा पत्र महज एक खानापूरी कु ढोंग मात्र च। 
मास्टर - चुनावी घोषणा पत्र कु तैयार करद अर यांकी क्या प्रक्रिया च ?
एक स्कुल्या - पैल त सन 2002 तक पोलिटिकल पार्टी सन 1952 का कैबि मेनिफेस्टो की नकल कौर दींद छा पर अब अमेरिका रिटर्न  एमबीए भारतीय युवा राजनैतिक पार्ट्यूंक मेनिफेस्टो रिलीज करदन। याने झोलाछाप डाकटर मरीजुं इलाज का वास्ता किताब लिखदन। 
हैंक स्कुल्या - एक हैंकाक नकल करिक मैफेस्टो तैयार हूंद जन कि अबि कॉंग्रेसन मोदी कु गुजरात चुनावक मेनिफेस्टो का द्वी चार आश्वासनों की पूरी नकल करी दे।  अमेरिका रिटर्न झोलाछाप एमबीएयूँ तैं नकल करण बि नि आंद। 
मास्टर - चुनावी घोषणा पत्र से क्या क्या लाभ छन ?
एक स्कुल्या - अमेरिका रिटर्न झोलाछाप एमबीए वाळु तैं नौकरी मिल जांद। 
हैंक स्कुल्या -टीवी चैनेल वाळु कुण टीआरपी बढ़ाणो बान एक नुक्सा च।  मेनिफेस्टो पर बहसबाजी का वास्ता पत्रकारों तैं मुवावजा प्राप्त करणो एक जरिया या साधन च। मेनिफेस्टो टीवी का दर्शक या अखबारों पाठकों बान उद्येश्यहीन मनोरंजन कु साधन च। 
हैंक स्कुल्या - प्रिंटरूं तैं काम मिलद। 
हैंक स्कुल्या - चूँकि चुनावी घोषणा पत्र पार्टी ऑफिस मा ही सड़ जांदन तो धिवड़ याने दीमक आदि कीड़ों वास्ता एक बहु  विटामिन अर हार्मोन्स युक्त भोजन च अर मेनिफेस्टो मूसों कुण आपदा -विपदा कु भोजन बि च। 
हैंक  स्कुल्या - चुनावी घोषणा पत्र रद्दी वाळु कुण प्रोफिट कमाणो एक साधन च।  किलैकि आम जनता का वास्ता चुनावी घोषणा पत्र रिलीज नि करे जांद बल्कि पत्रकारो मा बांटे जांद अर अधिकाँश मेनिफेस्टो रद्दी की दुकानु की शोभा बढ़ान्दन ,
मास्टर -आम जनता अर चुनावी घोषणा पत्र कु आपस मा क्या संबंध च ?
एक स्कुल्या - जन कनाडा मा जादा बरफ गिरण इख भारतीयों का वास्ता सिरफ एक न्यूज या समाचार च ऊनि राजनीतिक पार्ट्यूं मेनिफेस्टो रिलीज आम जनता का वास्ता केवल एक समाचार च बस। 

Copyright@ Bhishma Kukreti  27 /3/2014 

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।  
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  

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