चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
अचकाल 2014 आम चुनाव की गर्मी हमर क्षेत्र मा बि हौर जगा तरां फैलीं च।
एक पुरण पार्टी कु चुनावी एजेंट तैं लोग पुछ्दन बल - यदि तुमर पार्टी जीती जाली तो हमर क्षेत्र मा यी जु सुंगरुं , गूणी बांदरुं समस्या दूर ह्वे जाली क्या ?
चुनावी एजेंट चौक बिटेन मूंड मा चौढ़ जांद अर जोर की धै लगाँद - गाँव वळा ! हमारी पार्टी जनता की सेवक च अर जनसेवक हूणो नातो मी दुसर पार्टीक चुनावी एजेंट तैं पुछण चांदो कि वैक बुबान सन सैंतालीस मा अपण गौड़क पूछ मरोड़ छौ वांक क्या हवाइ ? जब तक स्यु नि बतालु कि वीं गौड़ी पूछोs क्या ह्वे तब तलक यु निसाब नि ह्वे सकुद कि हमर गां मा भविष्य मा सुंगरुं , गूणी बांदरुं उपद्रव कनकै रुके जावु।
गां मा जथगा बि वोटर छन अधिकतर जवान ही छन अर वूं तैं पता ही नि छौ कि सन 1947 मा दुसर पार्टीक चुनावी एजेंटs बुबान अपण गौडिक पूछ मरोड़ छौ। सब तैं सुंगरुं , गूणी बांदरुं उपद्रव रुकणै चिंता छे तो सब लोग इना उना भगदन कि पता लगाये जावु कि आखिर सन 47 मा गौड़िक पूछ मरोड़े गे छे तो वांक क्या ह्वे। द्वी चार दिन तक लोग गौड़ीक पूछ मरोड़नो इतिहास खुज्याणा रैन। जब गौड़ि पूछ मरोड़नो बाद गौड़िक क्या ह्वे छौ त लोग दूसर पार्टीक चुनावी एजेंट मा गेन।
इख स्थानीय लोगुन दुसर चुनावी एजेंट का समिण सवाल उठायुं छौ - यदि आपकी पार्टी चुनाव जीती गे तो क्या हमर गांवक अस्पताल मा कम्पोडर अर डाकटर आला कि ना ? जब बिटेन अस्पताल खुल तब बिटेन ये अस्पतालन जाणि ही नी कि डाकटर -कंपोडर बि क्वी जीव हुँदैन।
इथगा मा दुसर चुनावी एजेंट तैं पता चल गे कि वैपर पुरण पार्टी वाळन अभियोग लगै दे तो वो मूल प्रश्न कु जबाब दीणो जगा लोगुं तैं ही पुछण मिसे गए - तुम मि तैं पुछणा छंवां कि कबि यु अस्पताल डाक्टर -कम्पाउंडर कु मुख बि द्याखल पर तुम पुरण पार्टीक चुनावी एजेंट से प्रश्न किलै नि पुछणा छंवां कि सन 1936 मा वैक ददान गांवक रस्ता मा गांवक संडा का दांत तोड़ि छा वांक क्या हवाइ ? जब तक हमारी पार्टी तैं यु जबाब नि मीलल कि सन 36 मा गांवक संडा कु दांत टुटि छा तो वांक क्या ह्वे छौ ? तब तलक मि नि बताइ सकुद कि अस्पताल मा डॉकटर अर कम्पाउंडर आला कि ना ?
तिसर पार्टी क चुनावी एजेंट तैं लोगुन पूछ कि हमर गां मा घट्टूं (पनचक्की ) से बिजली बणानो योजना पूरी होली कि ना ? अर ये प्रश्न सुणिक तिसर पार्टिक चुनावी एजेंट गुस्सा मा ऐ गे , वैक आँख लाल ह्वे गेन , मुखक फ्यूण पुछ्द पुछ्द वै चुनावी एजेंटन ब्वाल - भाड़ में जाय तुम्हारा घराटों से बिजली बनाने की योजना। पैल चौथी पार्टीक एजेंट से पूछो कि वैक बूडददा सन 1942 मा घड्यळ छोड़िक कख गे छौ ? जागरिको बीच घड्यळ बिटेन उठिक जाण क्वी जसीली बात च क्या ?
म्यार क्षेत्र मा सब जगा चुनावी सभा मा इनी हूणु च।
2014 का आम चुनाव मा चुनावी एजेंट से पूछे जांद कि - गाउँ मा अंग्रेजी स्कूल हूण जरूरी छन तो हम तैं बतावो कि तुमर पार्टीक शिक्षा नीति क्या च ?
त चुनावी एजेंट कु जबाब हूंद - तेल लगाने गयी शिक्षा नीति ! पैल हम तैं इ पता लगाण जरूरी च कि सन 1972 मा गाँव क बीच मा म्वारुं पेथण कैन फ्वाड़ ? पता च म्वारुंन पांच आदिम बुकै छा। आज पैल समस्या च कि पता लागए जाव कि सन 1972 मा पेथण कैन फोड़ि छे ?
चुनावी एजेंट से पूछे जांद कि मनरेगा मा इथगा भ्रस्टाचार चलणु च वांक तोड़ क्या च ?
त चुनावी एजेंट कु उत्तर हूंद - मनरेगा मा भ्रस्टाचार की ऐसी तैसी। पैल दुसर पार्टी वाळु से पूछो कि ये गां मा सन 1968 मा एक सिमळौ डाळ छौ। सन 1968 मा वु डाळ कैन काट ?
मि जख जाणु छौ तख एक पार्टी दूसर पार्टी तैं सवाल पुछणि छे कि बीसवीं उन्नीसवीं सदी मा जु ह्वे छौ वांक क्या ह्वे। पर क्वी बि पार्टी इन नि बताणी छे कि 2020 कु भारत कन ह्वालु ?
मीन गां की सबसे सयाणि भानुमती ददि से पूछ बल - हे ददि सन 2014 का चुनाव मा सन 1936 का सवालुं जबाब ढुंढ़याणो क्या तुक ?
भानुमती ददिक उत्तर छौ -
जब नेता लोग दिमागी तौर से दिवालिया ह्वे जांदन तो वो जनता तैं भूतकाल मा लिजांदन।
जब नेतृत्व दुर्र्दृष्टि विहीन ह्वे जावो तो वू नेतृत्व असली मुद्दों तैं छोड़िक वु नेतृत्व भूतकाल का गड्यां मुर्दा उखाड़द जांसे लोग भरमै जावन।
जब अफुम जबाब नि ह्वावो तो दूसरों से जादा सवाल पूछे जांदन।
जब अफु भारी पाप कर्युं हो तो अपण पाप छुपाणो बान दुसरों पाप लोगु समिण दिखाए जांदन।
Copyright@ Bhishma Kukreti 20 /3/2014
*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी द्वारा जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले द्वारा भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी द्वारा पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ]
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments