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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, March 13, 2014

कुछ काम में से नि हूणन

चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती        

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
अब जब कि राजनीति मा झूठ नंगी नाच नचणु ह्वावो तो में सरीखा मनिखम  सुचणs अलावा कुछ काम रै बि नि जांद। त मि सुचणु छौ कि मि क्या क्या काम नि कौर सकुद या मीन क्या क्या काम कबि बि नि करणन। 
जन कि में से नि हूण कि मि कैं सड़क या जंगळ कु नाम अपण   नाम से धरवै द्यूं। 
में से टोपी  बि नि पैर्याण  अर इलै मि आप पार्टी मा नि ग्यों जौंक पैलि  शर्त टुपल पैरणो छे।  पौड़ी संसदीय चुनाव लड़णो बान जनरल टीपीएस रावत से पैल आप पार्टिन   में से ही प्रार्थना कौर छे पण टुपला पैरणो डौरन मीन मना कौर दे। 
खैर में से चुनाव बि नि लड्याण किलैकि पर्चा भरण से लेक संसद तक झूट बुलण में से नि ह्वे सकुद। 
फिर सांसद बणणो बान भाषण बि दीण पड़दन अर में से भाषण नि दिए सक्यांद। 
में से कै पुतला पर माल्यार्पण बि नि ह्वे सकण।    अब एक बात बतावो जै नेता तैं जिंदगी भर गाळि दीणा रावो अर फिर वैक मरणो बाद वैक मूर्ति पर माळा चंढान कखक न्याय च भै ?
में से ब्यौ काज मा बि कैक दगड़ फोटो नि खिंचयांद !
में से रात देर से सीण अर सुबेर दुफरा मा बिजण बि नि हूण।  
में से नेताओं की (झूटी ) आत्मकथा बि नि पढ़यांद। 
में से अपण आत्मकथा बि नि लिखे सक्यांद।  झूट मीन लिखण नी च अर सच लिखुल त अनावश्यक घपरोळ ह्वे जालो। अब एक उदाहरण द्यूंद कि जब मि लिखुल कि मी तैं राहुल गांधीक  भाषण दीणो तरीका पसंद नी च त फ़ोकट मा सोनिया बौन नराज ह्वे जाण अर बौ विदेशी ह्वावो या देसी मि कै बि बौ तैं नराज नि कौर सकुद। बौउं अर स्याऴयूं तैं नाराज मि   नि कौर सकुद। 
में से दाढ़ी बणानो बाद फोकट का  आफ्टर शेविंग लोसन बि नि लग सक्याण।  पैल कैक अंगुळि काटो अर फिर डा कम करणो बान मुतण कखक न्याय च भै ?
ढेरों पैसा मिलणो बाद बि में से उत्तराखंड का भूतपूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवाड़ी , रमेश निशंक अर विजय बहुगुणा की प्रशंसा नि ह्वे सकण।  
अब जन कि मीन  पहाड़म नि बसण किलैकि अब मि पहाड़ लैक रयुं बि नि छौ।  उन में से न्यू यार्क मा बि नि बस्याण किलैकि न्यू यार्क मा बसणो मेरी औकात नी च। 
भौत सा काम छन जु में से नि हूणन जन कि गूगल से चुरयां फोटो फेस बुक मा अपण नाम से दीण में से नि हूण। 
इनी फेस बुक मा  हाइ गाइज  ! गुड मॉर्निंग या गुड इवनिंग पोस्ट करण में से नि हूण। 
जन कि हिंदी किताबुं समीक्षा बि में से नि हूण पर अपण गांवक भुला हेमंत कुकरेती की कविताओं की समीक्षा मीन कुकरेती वंशावली का वास्ता अवश्य करण पर कुकरेती वंशावली छपवाण मेरि बसै बात नी च। 
में से कुत्ता , बिरळ , तोता आदि बि नि पळेणन। 
में से भौत सा काम नि हूणन पर भोळ म्यार विचार बदल ग्याई तो मि नि बोल सकुद।  विचार बदलण  अर राजनीतिक पार्टी बदलण हमर संवैधानिक मौलिक अधिकार च।   
  


Copyright@ Bhishma Kukreti  8/3/2014 

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।  
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]  

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