चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
अचकाल अर्थशास्त्र याने इकोनोमिक्स कु प्रभाव हम पर इथगा ह्वे गे कि हमर बोलचाल मा इकोनोमिक्स का मुहावरा याने अर्थशास्त्रीय जुमला भरे गेन।
जन कि परसि मि डाकटरम ग्यों त मीन ब्वाल -डा साब म्यार म्यार बाळ द्याखदि।
डाकटर कु जबाब छौ - तुमर बाळ रिसेसन का शिकार ह्वे गेन अर मि इनफ़्लेसन कु इंजेक्सन लगै द्युन्द।
हमर मुम्बई मा एक पुंडीर जी छन , सामजिक कार्यकर्ता छन अर जब बि सभा -सोसायटी -पार्टी मा मिल्दन तो जो बि सिगरेट पीणु ह्वावु वैमंगन बेशरमी से सिगरेट मांगि दींदन। मीन एक तैं पूछ कि पुंडीर जी दुसर मांगन सिगरेट किलै मांगदन ? तो जबाब मील बल -पुंडीर जी भौत साल तक कोलकत्ता रैन अर बामपंथी ह्वे गेन कि जैम जरा बि कुछ च तो छीनो।
अर्थशास्त्र ही इन विधा च जखमा एक विषय कु समर्थन अर विरोध मा लिखण वाळ द्वी अर्थशास्त्र्युं तैं एकी साल नोबल पुरुष्कार या पद्म विभूषण मील जांद। जन कि कैपिटलिज्म का समर्थक लेखक अर अंटीकैपिटलिज्म का लिखवार तैं एक दगड़ी पद्म पुरुष्कार मिल जांद।
बेंटली कु अर्थशास्त्र कु दुसर सिद्धांत बुलद -अर्थशास्त्री से एकी चीज जादा नुकसानदेय हूंद अर वा च अव्यवसायी अर्थशास्त्री ।
अर बरटा कु अर्थशास्त्रीय सिद्धांत बुलद बल अव्यवसायी अर्थशास्त्री से अधिक खतरनाक व्यवसायी अर्थशास्त्री हूंद।
एक नामी गिरामी भारतीय अर्थशास्त्री तैं सन २०१४ मा पूछे गे बल इंदिरा गांधी कु 'गरीबी हटाओ ' नारा कु भारतीय आर्थिक नीतियों पर क्या फरक पोड़ ?
पद्म भूषण प्राप्त अर्थशास्त्री कु जबाब छौ - अबि भौत जल्दी च यांक जबाब ढुंढण , यांक प्रभाव कु असली पता त 2114 तक लग सकद।
आजकल जैक अणब्या बेटी घौरम रौंद त वु बुलद -म्यार घौरम इनफ़्लेसन च ज्वा रोज लम्बी हूणी च।
गरीबी कम करणो सबसे बढ़िया तरीका भारतीय अर्थशास्त्र्युंन ख्वाज गरीबी रेखा ही तौळ लया अफिक गरीबी कम ह्वे जांद।
योजना आयोग का उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह तैं पूछे गे भारत से गरीबी कब हटली ?
मोंटेक सिंह कु उत्तर छौ - भारत कु नाम बदल द्यावा भारत से गरीबी तुरंत हट जाली।
मनमोहन सिंह जी एक दिन कोंग्रेस कोर कमेटी मा बताणा छा असली अर्थशास्त्री वु हूंद जु वु बुलद च खुद वैक समज मा बि नि आंद अर अभियोग श्रोता (सुणण वाळ ) पर लगै द्यावो।
मोंटेक सिंह एक युवा अर्थशास्त्र्युं सम्मेलन मा बताणा छा - अर्थशास्त्री तैं हरेक वस्तु कु बाजार भाव पता त रौंद च किन्तु कै बि वस्तु की कीमत पता नि होंदि.
एक प्रश्न - भगवानन अर्थशास्त्री किलै पैदा करीन ? उत्तर - जांसे लोगुं तैं मौसम की अच्छी जानकारी मिल्द जावु।
*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी द्वारा जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले द्वारा भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी द्वारा पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ]
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