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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, March 13, 2014

क्या अछेकि गढ़वाळ खतरा मा च ? क्या अछेकि गढ़वाम प्रजातंत्र खतरा मा च ?

चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती        

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
 सि परसि मि ड्यार जयूँ छौ त जख जौं तख डर कु माहौल छौ।  हरेक डर्युं छौ या हरेक एक हैंक तैं डराणु छौ। 
हमर क्षेत्र की  विधायिकान सरे आम ऊंची धार मांगन धाद दे दे बल यदि यीं दैं भाजपा का प्रत्यासी तैं वोट नि देल्या त गढ़वाल खतरा मा ऐ जाल। 
सरा क्षेत्र का लोग भाजपाऊं छुट मुट नेताओं तैं पुछणा छन कि ठीक च भाजपा तैं वोट नि द्योला त गढ़वाल पर खतरा ऐ जाल ! पर  बतावो तो सै कि कै गढ़वाल पर खतरा आल ? टिहरी , उत्तरकाशी , चमोली , रुद्रप्रयाग , पौड़ी या लैंसडाउन  गढ़वाल मादे कै गढ़वाल पर खतरा आलु ? भाजपा का क्षेत्रीय नेता दिल्ली फोन लगाणा छन पर उख बिटेन जबाब आंद कि हम  नागपुर से पुछिक बताइ द्योला कि कै गढ़वाल पर बिपदा आली। अर यांसे सब भगवान से प्रार्थना करणा छा कि हैंक गढ़वाल मा जथगा बि खतरा आवु त आवु पर हे नरसिंग ! हे नागराजा ! हे ग्विल्ल हमर क्षेत्र कु गढ़वाल से खतरा टाळी दे।  सब चाणा छन कि दुसर गढ़वाल पर ही आपदा आवु।  
फिर हमर क्षेत्र की कॉंग्रेसी नेत्याणन बि  ढोल बजैक हल्ला मचै दे कि यदि गढ़वाल मा कॉंग्रेस नि जीतलि तो अल्पसंख्यक खतरा मा ऐ जाल अर अल्पसंख्यकु बड़ो नुकसान ह्वे जालु।  अब   सब परेशान छन कि गढ़वाल मा अल्पसंख्यक कै तैं माने जावु ? उर्दू , नेपाली , पंजाबी -गुरमुखी भाषाओं तैं त उत्तराखंड मा  संवैधानिक दर्जा मिल्युं च अर गढ़वाली भाषा ही तैं संवैधानिक दर्जा नी मिल्युं च तो ये हिसाब से हरेक गढ़वाली अफु तैं अल्प संख्यक मानणु च तो हरेक तैं डौर लगीं च कि यदि कॉंग्रेस नि जीतलि तो सब गढ़वाल्यूं तैं बड़ी यातना झेलण पोडल अर हरेकन निर्णय ले आल कि  क्वी बि जीतो या हारो हम तैं शीघ्र ही पलायन करण मा ही फायदा च।   
इना उत्तराखंड क्रान्ति दल अर उत्तराखंड परिवर्तन जन पार्टी बि पिम्परी बजैक कखि कखि अफवाह फैलाणा छन कि यदि स्थानीय दलूं प्रत्यासयुं की जमानत जफ्त ह्वे जाल तो  श्रीलंका का साथ गलत विदेस नीति का वजह से गढ़वाल पर खतरा बढ़ जाल।  पैल त लोगुं समज मा नी आयि कि क्षेत्रीय पार्ट्यूं की  श्रीलंका का साथ गलत विदेस नीति से क्या मतलब च ? बाद मा पता चौल कि उत्तराखंड की क्षेत्रीय पार्ट्यूंन तामिलनाडु की डीएमके अर एडीएमके पार्ट्यूं क चुनावी घोषणा पत्र की पूरी  नकल करिक अपण घोषणापत्र छाप दे अर लोगुं मा विदेस नीति क डौर फैले दे।  
अचकाल गढ़वाल मा बि आप पार्टी   पौंछि गे अर आम आदमी पार्टीन लोगुं तैं डराणै कोशिस कार कि यदि कॉंग्रेस या भाजपा की सरकार बणलि त भ्रस्टाचार हौर बढ़ जाल।  पर क्वी बि गढ़वाली आम आदमी पार्टीक भकलाण मा नि आयीं किलैकि सब्युं तैं पता च कि जैं पार्टी मा जनरल टीपीएस रावत सरीखा नेता होला वीं पार्टी पर क्या भरोषा करण ? पर फिर बि डौर त फैली ही गे कि चुनाव बाद हौर बि भ्रस्टाचार बढ़ जालु ! 
फिर पता नि कै पार्टीक रैबार आयि धौं कि यदि वा पार्टी नि जीतलि त प्रजातंत्र खतरा मा ऐ जाल पर यांसे क्वी नि डौर किलैकि प्रजातंत्र पर खतरा से कैक जाती पर खतरा त हूंद नी च तो लोग प्रजातंत्र पर खतरा से नि घबरैन।  

Copyright@ Bhishma Kukreti  12/3/2014 

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।  
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]   

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