उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Tuesday, June 1, 2010

"प्रेम माया" & "ठंडु मतलब"

"प्रेम माया"

एक गीतकार और कविन,
लिखि गढ़वाळी मा,
एक गीत "प्रेम माया",
तू नारंगी की दाणी छैं,
रूपवान यथगा कि,
ज्वानु कि दवै,
बुढ्यौं कू बुखार छैं,
जोन जनि मुखड़ी तेरी,
प्यारी फूर्कि बांद छैं.

गितांग भैजिन जब,
प्रेम माया गीत गायी,
एक सुन्दर सी नौनिन,
ऊँका धोरा अैक बताई.

बोन्न बैठि हे गितांग जी,
जन्मपत्री क्या जुड़ौण,
गितांग बोन्नु माफ़ी चान्दु,
तुम ऊँ गीतकार कवि जी मू जावा,
जौन यू गीत लिखि,
ऊंमा अपणा मन की बात,
प्यार सी बतावा,
किलैकि, ऊ अजौं क्वांरा छन.

पौंछिगि जब वा,
गीतकार अर कवि जी का धोरा,
देखि अर बोलि,
हे गीतकार अर कवि जी,
तुम बगोट जी सी भौत कमजोर छै,
कनुकै उठि तुमारा मन मा,
कल्पना मा "प्रेम माया".

रचनाकार: जगमोहन सिंह जयाड़ा "ज़िग्यांसु"
(सर्वाधिकार सुरक्षित ३.४.२०१०)


"ठंडु मतलब"

बांज बुरांश का बण मा,
ढुंगा का नीस बिटि निकल्दु,
कांच की तरौं छाळु,
निकळ्वाणि पाणी,
कखन पेण अब,
पहाड़़ मा पौंछिगि,
बोतळ बन्द पाणी.

प्रसून जोशीजिन,
ठंडा कू मतलब,
कोकाकोला बतायी,
बोडिन देखि टेलीविजन फर,
एक दिन जब गै बजार,
ठंडु पाणी समझिक,
वींन कोकाकोला की बोतळ,
घट्ट घटकाई.

रचनाकार: जगमोहन सिंह जयाड़ा "ज़िग्यांसु"
(सर्वाधिकार सुरक्षित ४.४.२०१०)

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments