पैळी सेवा हिंवळी डांडा कांठो तै जोंsन हमतै पाळी पोषी
हैंकी सेवा गाड़ गदन्यो धारा पन्देरा,पांणी जोंकू अमृत बणी
तिसरू ध्यान धरदू देवतों का ठोंs जू हमरा रक्षपाल रैन बण्यां
वीं जळम भूमी तै सेवा ळांदू जख वीर भड़,राजोन, ऋषि मुनि अर देवतौsन बास करी
या वs धरती छ जैंका गुण केदारखंड अर मानसखंड भी पूरू नी भज सकदन
केदारखंड अर मानसखंड से देबतो की भूमि व्हे नौs पड़ी उत्तराखंड
जै हो मेरा उत्तराखंड, जै हो तेरु इतिहास ।
या वा धरती छ जख देवतों दगडी मनखी भी रौंदन
हुंण,खस,नाग अर सकास भी तेरो जस गांदन पौरव,कुशान,गुप्त,कत्यूरी,पाळ,चं द,परमार,पयाळोन भी यख ऐश्वर्य भोगी
पैळू राज कुणिंदोन करी जौंन चंदी अर कांसी का टक्का बंणायी
फिर ऐंनी शक राजा अर सेवा ळांदू कटारमल मंदिर तैँ जू तुमुन यख चिंण्यायी ।
नाग वंश,कुषाण अर कत्यूरी भी ऐतैं चली गेनी
मानसखंडs नौs पड़ी कुमौ,छबीलो प्यारो मेरु कुमौ
गोरखोंन तख राज करी,अंग्रेज बण्यां बैरी तब बैरी अंग्रेजोंन तख खुट्टा पसारीन
चन्द रज्जा मुख देखदू रैगी,अर कुमौ चळगी ईस्ट इण्डिया का धोरा ।
केदारखंडै कथा अब सुंणा,बावन गढ़ो को इतिहास नौs पड़ी रंगीळो गढ़वाळ
पूर्व मा चांदपुर गढ़ कू राजा व्हे भानुप्रताप,जैंका राज मा आयी राजा कनकपाळ
पंवार वंशी राजा कनकपाळ देबतों का दर्शनों केदारखंड आयी
भानुप्रताप औ-भगत मा यन लगी की जिया की ळाड़ळी दगड़ा राज पाट भी दे ग्यायी ।
चांदपुर गढ़ो नयु रज्जा व्हे कनकपाळ,येका नौ से पंवार वंश अगनै बड़ी
कनकपाळ कू वंश अगनै बड़ी,ये वंश मा तब व्हे राजा अजयपाळ
राजा अजयपाळ होलू ज्ञानी,ध्यानी,धर्मात्मा अर बडू भारी प्रतापी
बावन गढ़ो का बावन ठाकुर जौंन एकमुठ्ठ करी तब नौ पड़ी जै गढ़वाळ ।
देवी की किरपा व्हे राज पाट बढ़ण ळग्गी नै रजधानी व्हे देवळगढ़
राजराजेश्वरी कुळदेवी व्हे ,भगत की भक्ति से खुश व्हेन नाथ का भी औघड़
देवी कू श्री यंत्र बाठू बतोंदू तब रज्जा नै रजधानी बणोंदू रौंतेळा श्रीनगर
वंश वृद्धि व्हे तब पैदा व्हे राजा बळभद्र जैंन पायी शाह की उपाधि
ये पंवार वंश मा जळम ळिनी बीर योद्धा राजा महिपतिशाह ।
धन हो महिपति तेरु सेनापति माधो सिंह भंडारी जू छौ बीर भड़
तेरु ही त्याग छौ जू पांणी का खतीर त्वेन चढाई अफ़रा नौना कू धड़
विधाता कू ळेख अटल छ राजा महिपति ळड़ै मा वीरगति व्हे
इतिहास हौड़ फरकदू अर रांणी कर्णावती राजपाट सम्भळदी
रांणी होली बिरांगना होळी निति कुशल देख भाळी राज करदी
मुगळो का नाक काटी भगौन्दी तब जैतैं नौs पड़ी रांणी नककटी ।
पांणी बगदू ग्यायी बंश बढ़दू ग्यायी तब व्हे राजा प्रद्युमनशाह
निर्दयी गोरखोंन अत्याचार कै राजा होन्दू ळड़ै मा वीरगती प्राप्त
उत्तराधिकारी सुदर्शनशाह अंग्रेजो का दगड़ा मिळी गोरखों तैँ भगौन्दू
भगीरथी अर भिलंगना का तट परै राजा टिहरी तै रजधानी बाणोंदू ।
टिहरी... होळी बैठी कखी पांणी का तौळ खुदेंणी होळी अफ़रा मैत्यो तै
जख छा रज्जो का रजवाड़ा मनख़्यो का थौळा रौळाा अर देवतों का ठौs
तब जळ्मेन प्रतापशाह, कीर्तिशाह अर बोळ्दा बद्री नरेंद्रशाह
जोंका नौs से रजधानी व्हेन प्रतापनगर कीर्तिनगर अर नरेंद्रनगर ।
राजशाही घामोs अछयेंणs बगत आयी ब्यखुन्दा को रज्जा व्हे मानवेंद्रशाह
देश मा ळोकशाही की बिन्सिरी व्हे , टिरी भी मूळकै दगड़ा रौळ मिसे गी
आजादी कू रंणसिंग बजे पर विकासो घाम मेरा मुळ्क नी पौंछे
उत्तराखंड आंदोळन की झौsळ ळगी, मुळ्का भै बंद ये झौळ मा फुके
खटीमा,मसूरी,मुजफ़्फ़रनगर,नैनीताल ,श्रीयंत्र काण्ड इतिहासौ काळू मौसू बंणी
संकल्प छौ जैंका बाना ळेेयु वू डाँडी कांठियो कू उत्तराखंड बंणी ।
पर मोस्यांण दयारादूंन बंणी रजधानी अर गैरसैंण त गैर ही रायी
आठ रज्जा थरपेनी पर मेरा मुळ्कन अजु तक क्वी ढंगौs टेक्वा नी पायी
पर आस छ भरोस छ रुख्यांणा बाद बसन्त भी आळो
सैरी जगा ळमडी ळमडी तै विकाश अफडी हैरयाळी यखी जमाळो
धन धन छ म्यारू उत्तराखंड अर जुगराजी रैंय्या तेरु इतिहास
हथ जोड़ी सेवा सौंळी करदू ,यखी दूंणा जलम लेंणै छ आस ।
"रचना- अखिलेश अलखनियाँ"
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