( शुंग कण्व काल में उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म )
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उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (पर्यटन इतिहास ) -25
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Medical Tourism Development in Uttarakhand (Medical Tourism History ) - 25
(Tourism and Hospitality Marketing Management in Garhwal, Kumaon and Haridwar series--130 )
उत्तराखंड में पर्यटन व आ तिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 130
उत्तराखंड में पर्यटन व आ
इंटरनेट माध्यम के उत्तराखंड पर्यटन वृधिकारक कुछ लेखक-पत्रकार
उत्तराखंड वास्तव में लेखकों व पत्रकारों की खान है . उत्तराखंड विशेष रूप से पहाड़ों में इतनी कम जनसंख्या के बाबजूद सानुपातिक हिसाब से पत्रकार व लेखक अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक हैं .अधिक ल्र्ख्क –पत्रकार स्तिथि वास्तव में उत्तराखंड प्रयत्न हेतु सकारात्मक स्तिथि है .
उत्तराखंड पर्यटन हेतु सबसे अधिक कार्य प्रचार –प्रसार व जन सम्पर्क का होता है कि अन्य क्षेत्रों के पर्यटकों को उत्तराखंड के बारे में सूचना ही न मिले अपितु परोक्ष व अपरोक्ष रूप से पर्यटकों को प्रेरित भी किया जाय . फेसबुक में मेरे कुछ निम्न पत्रकार लेखक Friends उत्तराखंड पर्यटन को परोक्ष या अपरोक्ष रूप से लाभ पंहुचा रहे हैं –
श्री महिपाल मेहता उर्फ़ ‘माही मेहता ‘ – श्री माही मेहता वास्तव में उत्तराखंड के इनसाइक्लोपीडीया हैं . मेरापहाड़ .कॉम में उन्होंने उत्तराखंड संबंधी हर क्षेत्र की सूचना मुहय्या करवाई है और उत्तराखंड पर्यटन संबंधी साहित्य को नया आयाम दिया है . यदि कोई पर्यटक उत्तराखंड के बारे में जानना चाहता है तो उसे मेरा पहाड़ .कौम में बहुत कुछ वांछित सूचना मिल जाती है .
श्री डी ऐन बडोला – कई सालों से श्री डी ऐन बडोला मेरापहाड़.कौम में लगातार रानीखेत के बारे में अंग्रेजी में लिखते थे . उनकी पाठक संख्या व नियमित पाठक संख्या भी काफी अच्छी है . स्थान छवि करण का सराहनीय उदाहरण है श्री बडोला जी . मेरी उनसे सदा प्रार्थना रहती है कि वे फेसबुक में भी रानीखेत साहित्य पोस्ट करें .
श्री विनोद गडरिया – श्री मेहता की भाँती श्री गडरिया ने भी उत्तराखंड विषयक सैकड़ों सूचनाएं मेरा पहाड़ .कौम में दीं हैं .
श्री हेम पन्त – हेम पन्त अधिकतर कुमाऊं की सांस्कृतिक धरोहरों की सूचना मेरा पहाड़ ,कौम में देते हैं और उत्तराखंड पर्यटन को उर्जावान बनाते हैं .
श्रीमती हेमा उनियाल – श्रीमती हेमा उनियाल सोसल मीडिया छोड़कर इंटरनेट पर कम दिखतीं हैं किन्तु श्रीमती उनियाल की दो पुस्तकें ‘केदारखंड ‘ व ‘मानसखंड ‘ धार्मिक पर्यटन साहित्य में अद्वितीय साहित्य है . सोसल मीडिया में भी श्रीमती हेमा जहां जातीं हैं वहां की सांस्कृतिक –ऐतिहासिक सूचना देकर पाठकों को पर्यटन हेतु प्रेरित करती हैं .
श्री मनोज इष्टवाल - श्री मनोज इष्टवाल कई प्रकार के धार्मिक स्थलों , सांस्कृतिक व सामाजिक स्थलों की सूचना पारम्परिक व इंटरनेट माध्यम से देकर उत्तराखंड पर्यटन को लाभ पंहुचाने में सफल हैं . मनोज इष्टवाल की वेब साईट हिमालय डिस्कवर भी उत्तराखंड पर्यटन की सहभागी बनने में सकारात्मक भूमिका निभा रहा है . श्री मनोज की लेखमाला श्रृंखला ‘विलोम पलायन ‘ आंतरिक पर्यटन वर्धक है .
श्री धर्मेन्द्र पन्त – श्री धर्मेन्द्र पन्त यद्यपि खेल पत्रकार हैं तथापि उनके कई लेख उत्तराखंड पर्यटन सहभागी हैं . उनकी वेब साईट भी पर्यटन वर्धक साईट है .
श्री दिनेश कंडवाल – उनकी पत्रिका देहरादून डिस्कवर तो पर्यटन वर्धक पत्रिका है ही . सोसल मीडिया में उनके पशु –पक्षी –वनस्पति –स्थान चित्र वास्तव में आंतरिक पर्यटन वर्धक सिद्ध होते हैं . श्री दिनेश कंडवाल यदि इन चित्रों को संगठित रूप से साथ में अंग्रेजी में टिप्पणी देकर इंटरनेट में प्रकाशित करेंगे तो उत्तराखंड को वाह्य प्रयत्न विकास में सहयोग मिलेगा .
श्री वेदउनियाल – श्री वेद उनियाल की ‘हिमालयी आपदा ‘ पुस्तक वास्तव में पर्यटन सहभागी पुस्तक है .
श्री सुनील नेगी – उनके अंग्रेजी लेख उत्तराखंड पर्यटन हेतु आवश्यक अवयव हैं . श्री सुनील नेगी द्वारा श्री वेद उनुयल की पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद एक मील का पत्थर है जो अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों प्रेरित करने हेतु कामयाब पुस्तक है .
रमाकांत बेंजवाल - रमाकांत बेंजवाल की पुस्तक 'गढ़वाल हिमालय ' उत्तराखंड पर्यटन हेतु एक सम्बल है।
श्री कमल जखमोला – यायावारी संस्मरण वास्तव में यात्रा विकास उद्यम की रीढ़ की हड्डी होती हैं . सोसल मीडिया में श्री कमल जखमोला का यात्रा वृत्तांत वास्तव में आंतरिक पर्यटन वृद्धि कारक लेख हैं . श्री जखमोला को इन लेखों को संगठित रूप से चित्रों के साथ मेरा पहाड़ जैसी वेब साईट में प्रकाशित करवाना चाहिए .
श्री रतन सिंह असवाल – श्री रतन सिंह असवाल द्वारा कई यात्राओं की चित्रात्मक आलेख आंतरिक पर्यटन को ऊर्जा देते हैं . विलोम पलायन संबंधी कई सूचनाएं आंतरिक पर्यटन को बढ़ावा देते हैं . असवाल स्यूं के एक मिर्चोड़ा गाँव को उन्होंने प्रसिद्ध करवा दिया यह एक उदाहरण है कि किस तरह प्लेस ब्रैंडिंग की जाती है .
इस कोंसेप्ट को टूरिज्म ब्रैंडिंग में फ़ोकस ऑन ए पार्टिकुलर प्लेस कहते हैं . याने यदि किसी स्थान को बार बार सूचना पटल पर लाया जाय तो वह विशेस स्थान बन जाता है . श्री दिनेश कंडवाल द्वारा साइकल वाडी –किम्सार की सूचना देकर उदयपुर पट्टी को प्रसिद्धि दिला रहे हैं .
श्री सतेश्वर प्रसाद जोशी – श्री सतेश्वर प्रसाद जोशी द्वारा बार बार थल नदी क्षेत्र के गेंद मेले की सूचना देकर स्थान छविकरण का अच्छा उदाहरण दिया है .
असंगठित रूप से सोसल मीडिया में श्री नरेंद्र गौनियाल द्वारा धूमाकोट की सूचनाएं देना, श्री रूप चंद जखमोला द्वारा ढांगू की सूचनाएं पोस्ट करना , श्री नवीन कंडवाल द्वारा योग केंद्र , श्री नरेश उनियाल द्वारा राठ, देवेश आदमी की रीठाखाल की सूचनाएं वास्तव में प्लेस ब्रैंडिंग के उदाहरण हैं . फेसबुक में श्री सतीस कुकरेती द्वारा द्वारीखाल ब्लौक के धार्मिक स्थान ग्रुप वास्तव में प्लेस ब्रैंडिंग का प्रशंसनीय प्रयास है .
उत्तराखंड में पर्यटन पत्रकारों –लेखकों की भूमिका जारी रहेगी ....
Copyright @ Bhishma Kukreti 26 /2 //2018
Tourism and Hospitality Marketing Management History for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...
उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य
1 -भीष्म कुकरेती, 2006 -2007 , उत्तरांचल में पर्यटन विपणन
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
3 - शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड का इतिहास -part -3
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