( चंद शासन कुमाऊं में उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म )
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उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (पर्यटन इतिहास ) -38
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Medical Tourism Development in Uttarakhand (Tourism History ) - 38
(Tourism and Hospitality Marketing Management in Garhwal, Kumaon and Haridwar series--143 ) उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 14
कुमाऊं पर चंद शासन कब शुरू हुआ , कैसे शुरू हुआ , कहाँ शुरू हुआ यहां तक कि किसने शासन शुरू किया पर विद्वानों मध्य मतभेद हैं। यहां तक कि पउपलब्ध विभिन्न चंद वंशावलियों में भी अंतर है। अधिकतर थोरचंद याने सोम चंद को कुमाऊं में चंद शासन का शुरुवाती शासक मानते हैं ।
थोरचंद उर्फ़ सोमचन्द कैसे कुमाऊं पंहुचा पर भी मतभेद हैं। किन्तु यह सर्वमान्य है कि थोरचंद /सोमचन्द कुमाऊं में सेना नौकरी करने झूंसी /कालिंजर / (?) से कुमाऊं आया या लाया गया। सोमचन्द घरजवाईं था या बनाया गया पर अधिकांश विद्वान सहमत हैं।
एक जनश्रुति अनुसार थोरचंद /सोमचन्द अपने साथ कई व्यक्तियों के साथ मुमाऊं में आया था या आमत्रित किया गया। कोई आठवीं सदी में थोरचंद /सोमचन्द शासन प्रारम्भ का मत देते हैं किन्तु सन 1200 से पहले चंद वंशीय शासन शुरू हुआ इतिहास सम्मत प्रमाणित नहीं होते।
एक मत है कि सन 1223 के लगभग थोरचंद /सोमचन्द झूंसी से अपने कुछ सैनिक साथियों के साथ कुमाऊं आया और क्राचल्ल का सैनिक कर्मचारी बना। उसके बाद चंद वंश की नींव पड़ी होगी।
उत्तराखंड में आजीविका पर्यटन
लगभग सन 1000 के पश्चात भारत के मैदानी भागों में पश्चिम से मुस्लिम आक्रांता आक्रमण करने लग गए थे और उत्तर भारत में राजनैतिक अस्थिरता शुरू हो गयी थी। उत्तराखंड शांत प्रदेश होने से कुछ लोगों हेतु शरण गाह व उत्तर भारत के कुछ लोगों हेतु उत्तराखंड एक शीर्षत आजीविका प्रदान करने वाला क्षेत्र था। थोरचंद की दो तीन जनश्रुति से विदित होता है कि उत्तरप्रदेश से राजपूत सैनिक ही नहीं , ब्राह्मण व शिल्पी भी कुमाऊं आने , यहां के निवासी की पुत्री से शादी क्र यहीं बसने की चाह में कुमाऊं बसने लगे थे। उत्तराखंड का यह पर्यटन ऐसा ही था जैसे 1915 के पश्चात उत्तराखंडी आजीविका की खोज में मुंबई प्रवास में जाने लगे थे। थोरचंद तो राजा या उच्च सैनिक अधिकारी बन गया। किन्तु बहुत से सैनिक जो उत्तरप्रदेश के थे वे कुछ समय अंतराल पश्चात वापस अपने मूल स्थान जाते रहे होंगे और फिर आवश्यकता पड़ने पर उत्तराखंड आते रहे होंगे। आजीविका खोज में जो भी पर्यटन होता है वही पर्यटन 1000 से उत्तराखंड में शुरू हो गया था।
नई युद्धनीति व सामाजिक रणनीति का प्रवेश
थोरचंद के शासन प्रारम्भ ने उत्तराखंड को कई नई युद्धनीतियाँ दीं। साथ साथ नए सामाजिक रणनीतियां भी प्रदान कीं।
आजीविका पर्यटन या पलायन से नई समस्या व चुनौती
आजीविका हेतु , सुरक्षा हेतु या अन्य कारणों से गैर उत्तराखंडियों द्वारा उत्तराखंड में पहले पर्यटन करना , आजीविका खोज व फिर उत्तराखंड में बसने की घटनाओं ने पूर्व सामजिक विन्यास को ही चकनाचूर कर डाला जिसका वर्णन आगे भी होता रहेगा। जो समस्या 1875 के बाद मूल मुंबई व निकटवर्ती क्षेत्र वासियों ने दूसरे क्षेत्रवासियों का मुंबई में बसने से झेला या झेल रहे हैं वही समस्या कुमाऊं में चंद या गढ़वाल में पंवार वंशीय शासन के बाद मूल उत्तराखंडियों ने झेला (यद्यपि तब के मूल वासी भी कभी प्रवासी बनकर ही उत्तराखंड आये थे )।
Copyright @ Bhishma Kukreti 11 /3 //2018
Tourism and Hospitality Marketing Management History for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...
उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य
1 -भीष्म कुकरेती, 2006 -2007 , उत्तरांचल में पर्यटन विपणन
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
3 - शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड का इतिहास -part -10
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