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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, March 19, 2018

अमाल्डू के स्व. जयराम उनियाल और IAS होने के लिए समाज का सकारात्मक योगदान

गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की मुहिम  –हर उत्तराखंडी  IAS बन सकता है )
IAS/IRS/IFS/IPS  कैसे बन सकते हैं श्रृंखला  -53
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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती 
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    किसी भी समाज में आईएस बनने के लिए समाज ही अधिक उत्तरदायी होता है , समाज  सर्वाधिक भूमिका निभाता  है और समाज ही पथदर्शक  भी होता है।  उत्तराखंडी अधिक से अधिक आईएएस बने तो इस कामना पूर्ति हेतु उत्तराखंडी समाज को ही एक अहम भूमिका निभानी होगी। 
    समाज कैसे सकारात्मक भूमिका निभा सकता है पर मैं अपने अनुभव सांझा करना चाहूंगा। 
    मेरी माँ के फूफा जी का नाम था स्व जयराम उनियाल त्रिकालदर्शी।  स्व उनियाल जी ज्योतिष के प्रखर विद्वान् थे , अमाल्डू डबराल स्यूं  (पौड़ी गढ़वाल ) के रहने वाले थे व उनका ज्योतिष कार्यालय झंडा मुहल्ला देहरादून में था।  उनके मेरे गाँव जसपुर में उनके पुस्तैनी जजमान बहुगुणा थे तो पंडिताई हेतु उन्हें जसपुर साल में दो तीन बार आना ही होता था।  जब भी जसपुर आएं तो मेरे ताऊ जी के साथ बैठना होना लाजमी था।  मैं तब छोटा था तो उनकी एक हास्य कविता ही याद है मुझे --मूंगफली में दाना नहीं मैं भी तेरा नाना नहीं।  
  जब मैं पांच या छः दर्जे में गया हूँगा तो उनका आना बंद हो गया। शायद देहरादून शिफ्ट हो गए थे। 
   किन्तु हर महीने एक या दो बार मेरे ताऊ जी स्व बलदेव प्रसाद मास्टर जी उनको याद कर ही लेते थे।  जब भी मैं छुट्टियों में घर आऊं तो ताऊ जी स्व जयराम जी के कथन को दुहराना नहीं भूलते थे।  स्व जयराम जी कहा करते थे कि "दुनिया में सबसे बड़ी पढ़ाई गणित में M. SC.  की होती है "।  मेरे ताऊ जी चाहते थे कि मैं आधुनिक गणित विशेषज्ञ रामानुज बनूं तो हर बार अवसर आने पर ताऊ जी स्व उनियाल जी का कथन "दुनिया में सबसे बड़ी पढ़ाई गणित में M. Sc .  की होती है " दोहराते थे।  स्व जयराम जी के तीनों पुत्रों ने गणित या भौतिक विज्ञान में MSc किया था। 
      मेरे दिमाग में घर कर गया कि मुझे M . Sc . करना है।  मेरा  रुझान स्वयमेव ही विज्ञान की ओर होता गया।  मेरी पढ़ाई का उद्देश्य MSc हो गया था।  किन्ही कारणों से मैंने गणित से MSc नहीं किया पर MSc अवश्य किया।  मेरे MSc करने के पीछे मेरे ताऊ जी का सर्वाधिक हाथ रहा है व कई अन्य लोगों का भी सहयोग रहा है।  किन्तु MSc ही करना है के पीछे मेरे ताऊ जी व स्व उनियाल जी द्वारा मेरे ताऊ जी को मंत्र बतलाना भी रहा है।  मनुष्य बचपन में लिया गया उद्देश्य पूरा करता ही है। उद्देश्य को मन में बसाना और उद्देश्य पूर्ती हेतु अन्य कार्य आवश्यक हैं किन्तु 'उद्देश्य ' निश्चित करना सबसे पहला कार्य है। 
      उत्तराखंड में स्वौ निवेदिता कुकरेती IPS अधिकारी हैं और अपने कर्मठता हेतु जानी जाती हैं।  निवेदिता IPS बनी उसके पीछे उसके माँ पिताजी , चाचा-चाची  जी का तो हाथ है ही साथ में सुन्दर श्याम भाइयों के एक मित्र का भी हाथ है जो बचपन में ही कहा करते थे कि निवेदिता IAS अधिकारी अवश्य बनेगी। मच पाने के लिए मन में उद्देश्य घर करना आवश्यक है। 
          समाज को विद्यार्थियों को उत्साहित करना आवश्यक है !
      यदि उत्तराखंडी चाहते हैं कि अधिक  से अधिक IAS बने तो यह आवश्यक है कि वे बच्चों के मन में IAS बनने की महत्वाकांक्षा भरते जायँ।  या जिस विषय में विद्यार्थी पारंगत होना चाहता है उस विषय में विद्यार्थी को निरंतर उत्साहित किया जाय।  विद्यार्थी के सामने दो शब्द " तुम IAS बनने के लायक हो  ' ही काफी हैं।  

शेष IAS/IPS/IFS/IRS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला  में..... 54
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कृपया इस लेख व 
हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है" 
आशय को   लोगों तक पँहुचाइये प्लीज ! 
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