उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Monday, March 19, 2018

कालिदास साहित्य में उत्तराखंड टूरिज्म के मुख्य तत्त्व

Factors for  Uttarakhand Tourism in Kalidas Literature 
(  कालिदास साहित्य में उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म ) 
  -
उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (पर्यटन इतिहास )  -33
-
  Medical Tourism Development in Uttarakhand  (Tourism History  )     -  33                  
(Tourism and Hospitality Marketing Management in  Garhwal, Kumaon and Haridwar series--138         उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 138   

    लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन  विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ ) 
-- 

  कालिदास साहित्य में मध्य हिमालय का वर्णन अधिक आया है विशेषतया गंगा घाटी का।  कालिदास साहित्य में निम्न  वर्णन उत्तराखंड सबंधी हैं  (डबराल )-
                
पर्वत --कालिदास साहित्य कैलास , क्रीड़ाशैल,कौन्चरन्ध्र, गौरीगुरुपर्वत , गंधमादन , अचल , सिकितपर्वत , सुमेरु ,सुरभिकंदर, हेमकूट 
नदियां - गंगा , मंदाकिनी , महाकोशी , मालनी 
सरोवर -मानसरोवर व अन्य ताल 
जलवायु - षटऋतु आदि 
वनस्पति -नवमल्लिका , नवमालती , नलनी , कुमुदनी , माधवी , बासंती ,कन्दली , जूही , कमल , मौलिश्री फूल।  बृक्षों में आम , सप्तवर्ण वृक्ष , शिरीष , कुरबक , कर्कन्धु , निचुल , जम्बू , कदम्ब , रक्तकदंब , बेंत , मंदार , कल्पवृक्ष , अशोक , कीच वेणु (रिंगाळ ), देवदारु , भुर्ज  , सरल, थुनेर  , लोध्र , सिरस आदि 
पशु   -सारंग , मृग , कोल -बराह , शार्दुल , रीछ , महिष , शूकर , हाथी , चमरी , कस्तूरी मृग , शरभ , सिंह , उत्तम जाति  के घोड़े 
पक्षी -मोर , चकवा , कोकिल , राजहंस , हंस , सारिका 
कीट -बीरबहूटी , भौंरे
                 निवासी
किन्नर , किरात , यक्ष ,विद्याधर , सिद्ध , अप्सरा , उतसवसंकेत ,
          वस्तियां
अलका में बहुमंजिले महल , औषधिप्रस्त , कनखल , कण्वाश्रम , वशिष्ठ आश्रम ,शक्रावतार , हेमकूट
    स्थान दूरी 
कालिदास साहित्य में एक स्थान से दूसरे स्थान की दूरी परोक्ष या अपरोक्ष रूप से बतलाया गया है।
        जीवन 
विभिन्न ऊंचाई पर रहने वाले मनुष्यों की जीवन शैली -मकान , आदि
      वेश भूषा 
स्टेटस व पद , जाति के अनुसार बेष -भूषा वर्णन मिलत है
        भाषा 
सामान्य जन स्थानीय (प्राकृत ) बोली बोलते थे तो सभ्रांत विद्वान् संस्कृत
   धार्मिक मान्यताएं 
विभिन्न पद , जाति अनुसार धार्मिक मान्यताओं का वर्णन मिलता है , पारिवारिक जीवन भी पद व जाति अनुसार दिखाया गया है।
     स्वभाव 
सत्यवादी , धर्म निष्ठ , प्राचीन मान्यताओं के मानने वाले छल कपट रहित किन्तु बुद्धिमान व मैदानी से छले जाने वाले जैसे शकुंतला
श्रृंगार 
स्त्रियों के श्रृंगार वर्णन कालिदास साहित्य में खूब मिलता है 

   मनोरंजन के साधन
 पुरुष व स्त्री चित्रकला सीखते थे।  चित्र भोजपत्र , कागज या शिलाओं पर बनाये जाते थे।
मेनका -उर्वशी तो नाच गाने के प्रतीक थे ही 
 संगीत खूब प्रचलित था।  मृदंग वीणा साथ साथ बजाया जाता था। 
ताली बजाकर मोरोन को नचाना द्योतक है कि ताली एक अहम कारक थी। 
गप मारने से भी मनोरंजन किया जाता था।  
 बालू से मूर्ति बनाकर मनोरंजन होता था। 
धातु , लकड़ी व मिटटी , पत्थर से गुड़िया आदि भी बनाई जाती थीं। 
मदिरालयों से भी मनोरंजन होता था।
   परिहवन 
मैदान में रथ का वर्णन मिलता है और पहाड़ों में घोड़ों का वर्णन मिलता है।  

      कालिदास साहित्य में औषधि व रोग निवारण वर्णन
कालिदास साहित्य में  उत्तराखंड में औषधि व रोग निरोधक तत्वों का भी वर्णन मिलता है। 
  अभिज्ञान शाकुंतलम में हेमकूट में अपपराजिता महाऔषधि का रोचक वर्णन किया है। 
 भाभर में इंगुदी होती थी जिसे आश्रमवासी सर पर मलते थे व घावों पर मलते थे (अभिज्ञान शाकुंतलम 4 /16 )
 पोखरों में मुस्ता होती थी (शाकुंतलम 2 /6 )
खस लेप  ताप शान्ति हेतु प्रयोग होता था (शकुंतलम अंक 3 )।
कालिदास ने बहुत सी वनस्पतियों का वर्णन किया जिन्हे उस काल में भी औषधि हेतु प्रयोग होता था। 
  मेघदूत उत्तर ( 2 ) में बताया गया है कि अलका नगरी की स्त्रियां मुख पर लोध्र पुष्प के पराग  मलकर मुख को आकर्षक बनाती थीं।
       औषधिप्रष्थ
 कुमार सम्भव में हिमालय की राजधानी औषधिप्रष्थ  थी जहां निवासी आजीवन युवा रहते थे (कुमारसम्भव 6 /46 ). 
  यह पर्वतीय स्थान रात में जड़ी बूटियों से चमकता था (कुमारसम्भव 6 /38 )।  अवश्य ही यह बुर्या घास आदि की ओर संकेत करता है।    

Copyright @ Bhishma Kukreti  6 /3 //2018   

Tourism and Hospitality Marketing Management  History for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...

उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन श्रृंखला जारी 

                                   
 References

1 -
भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना शैलवाणी (150  अंकों में ) कोटद्वार गढ़वाल
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी 
3 - शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड का इतिहास -part -3 पृष्ठ 312 -336 
-

  
  Medical Tourism History  Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History of Pauri Garhwal, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Chamoli Garhwal, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Rudraprayag Garhwal, Uttarakhand, India , South Asia;  Medical   Tourism History Tehri Garhwal , Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History Uttarkashi,  Uttarakhand, India , South Asia;  Medical Tourism History  Dehradun,  Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Haridwar , Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History Udham Singh Nagar Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;  Medical Tourism History  Nainital Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;  Medical Tourism History Almora, Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History Champawat Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Pithoragarh Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia; 

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments