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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, March 1, 2018

सम्राट अशोक के पगलपन से भारत में विज्ञान सोच समाप्त होना

(पर्यटन प्रबंध में निरंतरता की महत्ता ) 


( अशोक काल में उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म ) 
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उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (पर्यटन इतिहास )  -23
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   Medical Tourism Development in Uttarakhand  (Medical Tourism History  )     -  23                  
  (Tourism and Hospitality Marketing Management in  Garhwal, Kumaon and Haridwar series--128  

      
उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 128    

    लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन  विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ ) 
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 सम्राट अशोक की प्रशंसा में हजारों टन कागज लग चुका होगा।  अशोक का राज्य स्तर पर सामाजिक हित कार्य की प्रशंसा होनी ही चाहिए।  इतने बड़े राष्ट्र में लाटों , शिलालेखों व अन्य माध्यमों से अपनी मनशा को जन जन में पंहुचाने का  कार्य अपने आप में इन्नोवेटिव , मौलिक था। 
     किंतु यदि अशोक के खाते में Credit है तो साथ में Debit भी है।
       बौद्ध धर्म प्रचार के ठसक  में कई लाख श्रुतियों का विनाश 
    
     महात्मा बुद्ध यदि महात्मा बुद्ध बने तो उसमे केवल देव व्रत का व्यक्तिगत हाथ नहीं था अपितु भारत में हजारों साल से चली आ रही एक विशेष सोच का हाथ है।  महात्मा गांधी ने अहिंसा को स्वतंत्रता पाने हेतु  हथियार बनाने की बात की और भारतीय समाज ने चट से मान लिया तो उस मानसिकता के पीछे महाभारत से लेकर बुद्ध साहित्य , जैन साहित्य , भारतीय दर्शनों , पुराणों का हाथ था जो भारतीय मन में हजारों साल तक वैसे के वैसे जमा रही जो महाभारत के अंतिम खंडों में रचा गया था। 
              सामंत अशोक के सम्राट बनने के बाद अशोक ने  अपने मानसिक हठ  ''एक राज्य -एक धर्म'' हेतु सनातन धर्म विरुद्ध वास्तव में एक हिंसात्मक व अंहिसात्मक युद्ध छेड़ दिया था।  इससे क्या हुआ ? जो विज्ञान , जो कला , कृषि शास्त्र आदि जो भी  शास्त्र श्रुति रूप में विद्यमान थे वे अशोक के 'हेतुवाद ' की बलि चढ़ गयी। महाभारत के कई खंड अशोक के बाद सम्पादित हुए।  महाभारत के वनपर्व 190 वे खंड में वर्णित है कि किस तरह अशोक के 'हेतुवाद'  प्रचार ने उन ब्राह्मणों को समाप्त किया जिनके मष्तिष्क में विभिन्न विज्ञान -शास्त्र सुरक्षित थे।  जिनके मष्तिष्क में विज्ञान व शास्त्र सुरक्षित थे उनको प्रताड़ित कर बौद्ध धर्मी बना दिया गया और उन मुनियों को शिष्य बनाने के सभी अवसर समाप्त कर दिए गए और विज्ञान -शास्त्र -कला की स्मृतियों -संहिताओं को सुरक्षित रखने वाले व उन्हें फिर आगे बढ़ाने वाले कोई न रहे।  जो भी ज्ञान था वह  अशोक के समय थम गया , अशोक काल व बाद में भी ज्ञान -विज्ञान में अन्वेषण करने हेतु सुविधा ही समाप्त कर दी गयी।  यह महाभारत के भीष्म मृत्यु खंड (इसका संपादन अशोक के बाद हुआ ) में उद्घृत भी है कि वृहस्पति के एक लाख श्लोक समाप्त कर दिए गए या खो गए।  याने वृहस्पति सिद्धांत के श्लोकों को कंठस्त करने के लिए जब शिष्य  मिले  ही नहीं होंगे तो वृहस्पति  विज्ञान शाखा ही समाप्त  हो गयी ।  
             अशोक या उनके अनुचरों द्वारा हेतुवाद प्रचार की हठवादिता ने भारत वर्ष में जो भी विज्ञान अन्वेषित हुआ था उसका 80 प्रतिशत से अधिक  समाप्त कर दिया।  राज्य का संसाधन जब धर्म प्रसार में लग जाय तो भविष्य अन्धेरा ही होगा।  यदि हम ध्यान दें तो पाएंगे कि अशोक के समय या बाद में भारत में कृषि में , चिकित्सा , पशुपालन आदि विज्ञान में कोई उल्लेखनीय प्रगति अंग्रेजी शासन काल तक नहीं हुआ।  उसका कारण था श्रुतियों की समाप्ति।  जो भी चरक संहिता , व्याकरण , कौटिल्य का अर्थ शास्त्र , अनेक शास्त्र आदि रचे गए थे वे अशोक से पहले रचे (create ) गए थे और उनका संकलन -सम्पादन बाद में होता गया।  अशोक व उसके बाद रचना (Innovation and Practice ) तकरीबन समाप्त ही हो गए थे और विज्ञान शाखा ही समाप्त हो गयी। गुरुकुल समाप्ति का अर्थ है विचार उत्तपत्ति  , अन्वेषण , क्रियान्वतिकरण और परिणाम का प्रचार -प्रसार संस्कृति की समाप्ति। 
                 उत्तराखडं  में स्थानीय भाषा समाप्ति से हानि  
  इतिहास अपने को दोहराता है क्योंकि इतिहास से हम कुछ नहीं सीखते हैं।  अंग्रेजों ने उत्तराखंड में शिक्षा को जीवित किया किन्तु साथ में शिक्षा की हिंदी माध्यम ने स्थानीय भाषाओं को मृत प्रायः भी कर डाला।  यही कारण है कि कृषि , आयुर्विज्ञान आदि विषयक कथ्य (Phrases ) ही समाप्त हो गए।  इन कथ्यों में कई गंभीर सिद्धांत छुपे थे जॉब अब नहीं मिलते हैं। 
         नारायण दत्त तिवारी का पर्यटन उद्यम योजनाएं और परवर्ती शासकों द्वारा निरंतरता का विनाश 
     
       मेरी दृष्टि में नारायण दत्त तिवाड़ी एक दूरदृष्टि वाले राजनीतिज्ञ हैं जो उनकेउत्तराखंड  मुख्यमंत्री काल (2002 -2007 ) में बने पर्यटन योजनाओं में साफ़ दृष्टिगोचर होता है।  उनके काल में उत्तराखंड पर्यटन की योजनाओं की जो आधारशिला रखी गयीं और उन पर जो कार्य शुरू हुए और बाद के मुख्यमंत्रियों द्वारा स्वार्थी राजनीति के तहत अनुकरण न करने से वास्तव में पर्यटन उद्यम को सबसे अधिक नुक्सान हुआ।  पर्यटन उद्यम तभी फलता -फूलता है जब प्रशासनिक व राजनैतिक निरंतरता बनी रहे।  तिवाड़ी के बाद पर्यटन संबंधी  किसी मुख्यमंत्री की वह दूरदृष्टि थी ही नहीं कि उत्तराखंड पर्यटन को सही दिशा मिल सके।  फिर हर दो साल में मुख्यमंत्री बदलने से भी पर्यटन योजनाओं में निरंतरता में कमी आयी और आज भी उत्तराखंड में पर्यटन उद्यम  उस गति से नहीं विकसित हो रहा है जिस गति का उत्तराखंड पर्यटन हकदार है।  



Copyright @ Bhishma Kukreti  24 /2 //2018   

Tourism and Hospitality Marketing Management  History for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...

उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन श्रृंखला जारी 

                                   
 References

1 -
भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना शैलवाणी (150  अंकों में ) कोटद्वार गढ़वाल
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी 
3 - शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड का इतिहास -part -3, page 140- 200
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  Asoka broke continuity in science thinking , Loss in science thinking in Asoka time 
  Medical Tourism History  Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History of Pauri Garhwal, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Chamoli Garhwal, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Rudraprayag Garhwal, Uttarakhand, India , South Asia;  Medical   Tourism History Tehri Garhwal , Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History Uttarkashi,  Uttarakhand, India , South Asia;  Medical Tourism History  Dehradun,  Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Haridwar , Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History Udham Singh Nagar Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;  Medical Tourism History  Nainital Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;  Medical Tourism History Almora, Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History Champawat Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Pithoragarh Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia; 

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