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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, March 1, 2018

वन अजवाइन , अजमोड़ / राधुनी मसाला , औषधि उपयोग इतिहास

 History, Origin, Introduction,  Uses  of  Wild Celery  as   Spices ,  in Uttarakhand 
 
उत्तराखंड  परिपेक्ष में वन वनस्पति   का मसाला , औषधि  व अन्य   उपयोग और   इतिहास -  2                                             
           

  History, Origin, Introduction Uses  of    Wild Plant  Spices ,  Uttarakhand -  2                      
         
  उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास --  91
History of Agriculture , Culinary , Gastronomy, Food, Recipes  in Uttarakhand -91
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 आलेख -भीष्म कुकरेती (वनस्पति व सांस्कृति शास्त्री ) 
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वनस्पति शास्त्रीय नाम - Trachyspermum roxburghianum 
सामन्य अंग्रेजी नाम - Wild Celery 
संस्कृत नाम -अजमोड़ / वन यवनक 
हिंदी नाम -अजमोदा  /बंगाली राधुनी 
नेपाली नाम -  वन जवानो 
उत्तराखंडी नाम -वण अजवाइन , बण अज्वैण 
  वास्तव में कृषि जनित अजवाइन में और वन अजवाइन में कुछ ही अंतर् है और दिखने भी कम ही अंतर् है। सुगंध में कुछ अंतर् है। 
जन्मस्थल संबंधी सूचना - अधिकतर वैज्ञानिकों की एकमत राय है कि वन अजवाइन का जन्मस्थल इजिप्ट /मिश्र क्षेत्र है। 
संदर्भ पुस्तकों में वर्णन - अजमोदा  का उल्लेख चरक संहिता , शुश्रुता संहिता , अमरकोश , मंदपाल निघण्टु , कैयदेव निघण्टु , सातवीं सदी के बागभट्ट का अष्टांग हृदयम , ग्यारवहीं सदी के चक्र दत्त , बारहवीं सदी के गदा संग्रह , तेरहवीं सदी के सारंगधर संहिता , सत्रहवीं सदी के योगरत्नकारा , अठारवीं सदी के भेषजरत्नावली ,  आदि में हुआ है।
       वन अजवाइन का औषधि उपयोग
वास्तव में घरलू या जंगली अजवाइन दोनों का मुख्य उपयोग औषधि रूप में ही होता है , उत्तराखंड के हर घर में जंगली या घरेलू अजवाइन अनिवार्य मसाला या औषधि होती ही है।  पेट दर्द या बुखार में लोग अपने आप अजवाइन भूनकर या बिना भुने फांक लेते हैं।  लोग परम्परागत रूप से अदरक , गुड़ या शहद व जंगली या घरेलू अजवाइन बीज या पीसी अजवाइन का क्वाथ सर्दी -जुकाम भगाने हेतु उपयोग करते हैं।

बच्चों के गले में कपड़े के ताजिब में भी जंगली या घरेलू अजवाइन बीज बाँधने का रिवाज तो उत्तरखंडियों के मध्य मुंबई में भी है।
     वन अजवाइन मसाले के रूप में
 आम लोग अजवाइन बीज को गरम  तासीर , वातनाशक , कफ नाशक मानते हैं और जाड़ों में तो दिन में एक बार भोज्य पदार्थ में चुटकी भर अजवाइन डाल ही  देते हैं विशेषकर उड़द  दाल जैसे भोज्य पदार्थ में।  वास्तव में अजवाइन अन्य मसालों की सहेली है।  
  जाड़ों में चाय में भी डालने का रिवाज है।  मिठाईयों में विशेष स्वाद हेतु वन अजवाइन प्रयोग की जाती है।    



Copyright@Bhishma Kukreti Mumbai 2018

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