Uttarakhand in Meghdoot , Abhigyanshakuntalam, Vikramorvarshiyam by Kalidas
( कालिदास साहित्य में उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म )
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उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (पर्यटन इतिहास ) -32
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Medical Tourism Development in Uttarakhand (Tourism History ) - 32
(Tourism and Hospitality Marketing Management in Garhwal, Kumaon and Haridwar series--137 ) उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 137
कालिदास साहित्य आज भी उत्तराखंड पर्यटन ब्रिंग में एक सहयोगी घटक है , दुनिया भर के छात्र, अन्वेषक व विद्वान् कालिदास साहित्य अध्ययन करते हैं और कालिदास साहित्य में वर्णित उत्तराखंड अथवा हिमालय के प्रति आकर्षित होते रहते हैं।
कालिदास कृत मेघदूत में उत्तराखंड
कालिदास कृत पूर्वमेघ में यक्ष मेघ से कुरुक्षेत्र से कनखल तक जाने की प्रार्थना करता है (पूर्व मेदू 53 ) . आगे कनखल से गंगास्रोत्र यात्रा की कथा है और गंगा स्रोत्र में शिलाओं में कस्तूरमृग बैठे दिखाए हैं (पूर्व मेदू 56 )
मेघदूत पूर्व के 57 से 67 श्लोकों में गंगा जी से कैलास , अलकापुरी वर्णन है।
उत्तरमेघ में अलकापुरी वर्णन है
कालिदास कृत नाटक अभिज्ञानशाकुंतलम में उत्तराखंड
अभिज्ञानशाकुंतलम के प्रथम अंक में गंगा की सहायक नदी मालनी तट का वर्णन मिलता है।
द्वितीय से चतुर्थ अंक में सभी घटनाएं कण्वाश्रम में घटित होती हैं और उत्तराखंड की सामाजिक , सांस्कृतिक व्यवस्थाओं का ज्ञान मिलता है।
सातवें अंक की घटनाये कश्यप आश्रम -मंदाकिनी घाटी में स्थित हेमकूट की हैं।
कालिदास कृत नाटक विक्रमोर्वशीयम में उत्तराखंड
कालिदास कृत नाटक विक्रमोर्वशीयम में उत्तराखंड
विक्रमोर्वशीयम के प्रथम अंक की घटना हेमकूट में घटित होती हैं तो चौथे अंक की घटनाएं मंदाकिनी तट गंधमादन में घटित होती हैं।
पुरुरवा द्वारा उर्वशी खोज में हिमालय वर्णन है।
Copyright @ Bhishma Kukreti 5 /3 //2018
Tourism and Hospitality Marketing Management History for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...
उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य
1 -भीष्म कुकरेती, 2006 -2007 , उत्तरांचल में पर्यटन विपणन
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
3 - शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड का इतिहास -part -3
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