History, Origin, Introduction, Uses of Sichuan pepper, Timur as Spices , in Uttarakhand
उत्तराखंड परिपेक्ष में वन वनस्पति मसाले , औषधि व अन्य उपयोग और इतिहास - 11
History, Origin, Introduction Uses of Wild Plant Spices , Uttarakhand - 11
उत्तराखंड में कृषि, मसाला , खान -पान -भोजन का इतिहास --100
History, Origin, Introduction Uses of Wild Plant Spices , Uttarakhand - 11
उत्तराखंड में कृषि, मसाला , खान -पान -भोजन का इतिहास --100
History of Agriculture , spices , Culinary , Gastronomy, Food, Recipes in Uttarakhand -100
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आलेख -भीष्म कुकरेती (वनस्पति व संस्कृति शास्त्री )
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( उत्तराखंड में कृषि, मसाला , व भोजन का इतिहास ; पिथोरागढ़ , कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि , मसाला व भोजन का इतिहास ; कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि , मसाला व भोजन का इतिहास ;चम्पावत कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि , मसाला व भोजन का इतिहास ; बागेश्वर कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि , मसाला व भोजन का इतिहास ; नैनीताल कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि , मसाला व भोजन का इतिहास ;उधम सिंह नगर कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि , मसाला व भोजन का इतिहास ;अल्मोड़ा कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि , मसाला व भोजन का इतिहास ; हरिद्वार , उत्तराखंड में कृषि , मसाला व भोजन का इतिहास ;पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि , मसाला व भोजन का इतिहास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि , मसाला व भोजन का इतिहास ; रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि , मसाला व भोजन का इतिहास ; देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि , मसाला व भोजन का इतिहास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि , मसाला व भोजन का इतिहास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि , मसाला व भोजन का इतिहास ; हिमालय में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तर भारत में कृषि , मसाला व भोजन का इतिहास ; उत्तराखंड , दक्षिण एसिया में कृषि व भोजन का इतिहास लेखमाला श्रृंखला )
वनस्पति शास्त्रीय नाम - Xanthoxylum armatum
सामन्य अंग्रेजी नाम - Prickly Ash, Sichuan pepper or Toothache Tree
संस्कृत नाम -आयुर्वेद नाम -तेजोह्वा , तुम्बुरु:
हिंदी नाम -टिमुर , तेजबल
नेपाली नाम - टिमुर
उत्तराखंडी नाम -टिमुर
टिमुर के की कंटीली झाड़ियां उत्तराखंड में 1000 मीटर से लेकर 2250 मीटर की ऊंचाइयों पर मिलती हैं।
जन्मस्थल संबंधी सूचना -
टिमुर का जन्मस्थल हिमालय ही है .
टिमुर का जन्मस्थल हिमालय ही है .
संदर्भ पुस्तकों में वर्णन - उत्तराखंड का टिमुर काल में भी प्रसिद्ध था और पाणनि साहित्य में लिखा है कि उत्तराखंड से अशोक व् अन्य राजाओं हेतु टिमुर निर्यात होता था। (डा शिव प्रसाद डबराल , उखण्ड का इतिहास -2 )
डा कला लिखते हैं कि सदियों से भोटिया समाज टिमुर ( Xanthoxylum की चार प्रजाति ) उपयोग विनियम माध्यम (Exchange Medium ) करते हैं।
भावप्रकास निघण्टु (डा डी एस पांडे संपादित व हिंदी टीका 1998 ) के 113 -115 श्लोक में टिमुर पर प्रकाश डाला गया है। नेपाली निघण्टु में भी टिमुर पर प्रकाश डाला गया है। डा अनघा रानाडे व आचार्य सूचित करते हैं कि टिमुर का उल्लेख धनवंतरी निघण्टु (ग्यारवीं सदी के लगभग ) में भी हुआ है । मदनपाल निघण्टु में टिमुर उल्लेख है।
धार्मिक उपयोग
नरसिंग आदि ली सोटी , यज्ञोपवीत में आवश्यक लाठी के रूप में प्रयोग होता है। साधू टिमुर की लाठी को पवित्र मानते हैं
दांतुन
टिमुर से दांतुन किया जाता है। चार धामों में अभी भी भोटिया टिमुर के दांतुन बेचते हैं (डा सी पी काला )
औषधीय उपयोग
टिमुर के विभिन्न भाग पेट दर्द , एसिडिटी , अल्सर , आंत की कृमि , त्वचा रोग , दांत दर्द निवारण हेतु प्रयोग करते हैं। जाड़ों में भोटिया समाज बीजों को भूनकर चबाते हैं जिससे ठंड का असर न पड़े। आयुर्वेद में कफ व वात निर्मूल हेतु उपयोग होता है।
टिमुर के विभिन्न भाग पेट दर्द , एसिडिटी , अल्सर , आंत की कृमि , त्वचा रोग , दांत दर्द निवारण हेतु प्रयोग करते हैं। जाड़ों में भोटिया समाज बीजों को भूनकर चबाते हैं जिससे ठंड का असर न पड़े। आयुर्वेद में कफ व वात निर्मूल हेतु उपयोग होता है।
मसाले व भोजन में उपयोग
टिमुर का सबसे अधिक उपयोग भोटिया समाज करता आया है। भोटिया टिमुर को सूप में उपयोग तो करते ही हैं साथ ही बीजों व बीजों के भूसे का मसाले में उपयोग होता है। भोटिया डुंगचा नामक चटनी बनाने हेतु भीटिमुर का यपयोग करते हैं।
टिमुर का सबसे अधिक उपयोग भोटिया समाज करता आया है। भोटिया टिमुर को सूप में उपयोग तो करते ही हैं साथ ही बीजों व बीजों के भूसे का मसाले में उपयोग होता है। भोटिया डुंगचा नामक चटनी बनाने हेतु भीटिमुर का यपयोग करते हैं।
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