Contribution by Hsuan Tsang for Uttarakhand Branding
( हर्षवर्धन काल में में उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म )
-
उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (पर्यटन इतिहास ) -34
-
Medical Tourism Development in Uttarakhand (Tourism History ) - 34
(Tourism and Hospitality Marketing Management in Garhwal, Kumaon and Haridwar series--139 ) उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 139
गुप्त काल से हर्षकाल तक कुछ महत्वपूर्ण छवि वर्धन प्रतीक
-
-
गुप्तकाल से हर्षवर्धन काल (450 से 606 ईश्वी ) के मध्य उत्तराखंड में हूण आक्रमण , नाग वंश , यादव वंश , मौखरि राज रहा है।
इस समय उत्तरी गढ़वाल में गोपेश्वर व बड़ाहाट में त्रिशूल अभिलेख , सिराली अभिलेख महत्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रतीक हैं।
लाखामंडल के मंदिरों में ५ शिलालेख प्रशस्ति विशेषकर ईश्वरा प्रशस्ति से पता चलता है कि लाखामंडल क्षेत्र पर्यटन आकर्षीय क्षेत्र था। लाखामंडल व उत्तरी उत्तराखंड शैव मतावलम्बियों हेतु पुण्य पर्यटक क्षेत्र बन चुके था।
बुद्ध धर्मावलम्बी दक्षिण उत्तराखंड की यात्रा करते रहते थे।
-
हुयेन सांग /युअन च्वांग द्वारा उत्तराखंड वर्णन
-
हुयेन सांग /युअन च्वांग द्वारा उत्तराखंड वर्णन
हर्षकाल में चीनी बौद्ध धर्म अन्वेषक /यात्री हुयेन सांग /युअन च्वांग भारत पंहुचा था और भारत यात्रा दौरान हुयेन सांग /युअन च्वांग ने उत्तराखंड यात्रा भी की थी। हुयेन सांग /युअन च्वांग ने अपनी भारत यात्रा (629 -645 ) वर्णन लिखा जो आज तक प्रसारित होता रहता है। हुयेन सांग /युअन च्वांग का यात्रा वर्णन 'भारतीय बौद्ध मत पर प्रकाश डालने वाले तीन दर्पणों में से एक दर्पण है।
हुयेन सांग /युअन च्वांग के उत्तराखंड यात्रा विवरण पर कई इतिहासकार जैसे त्रिपाठी , वाटर्स , कनिंघम , चटर्जी व डा डबराल ने विस्तार से विश्लेषण किया है।
हुयेन सांग /युअन च्वांग के उत्तराखंड यात्रा विवरण पर कई इतिहासकार जैसे त्रिपाठी , वाटर्स , कनिंघम , चटर्जी व डा डबराल ने विस्तार से विश्लेषण किया है।
उपरोक्त विद्वानों के विश्लेषण से निम्न महत्वपूर्ण सामग्री सामने आती है -
श्रुघ्न ( Su -lu -kle ) --- 1000 मील के इस प्रदेश /राज के मध्य में यमुना बहती थी तो पूर्व में गंगा और उत्तर में महान पर्वत (हिमालय ) खड़ा था।
ब्रह्मपुर जनपद - इतिहासकारों की राय में यह क्षेत्र गढवाल प्रदेश का क्षेत्र होना चाहिए।
गोविषाण जनपद - कुमाऊं का भाभर -तराई क्षेत्र
हुयेन सांग /युअन च्वांग ने श्रुघन नगर , मयूर नगर (हरिद्वार अथवा पूर्व हरिद्वार का निकटवर्ती नगर ) , ब्रह्मपुर नगर (विद्वानों में इस नगर की स्थिति बारे में मतभेद है ); गोविषाण नगर (काशीपुर ) नगरों का वर्णन मिलता है।
हुयेन सांग /युअन च्वांग ने विभिन्न क्षेत्रों में जलवायु भेद का उल्लेख भी किया है।
हुयेन सांग /युअन च्वांग ने उपजों , निर्यात हेतु वस्तुओं , हिम निर्यात , जन व्यवहार आदि का वर्णन भी किया है। कहां कहाँ बौद्ध धर्मी थे उसका वर्णन भी हुयेन सांग /युअन च्वांग यात्रा वर्णन में मिलता है।
ब्रह्मपुर जनपद - इतिहासकारों की राय में यह क्षेत्र गढवाल प्रदेश का क्षेत्र होना चाहिए।
गोविषाण जनपद - कुमाऊं का भाभर -तराई क्षेत्र
हुयेन सांग /युअन च्वांग ने श्रुघन नगर , मयूर नगर (हरिद्वार अथवा पूर्व हरिद्वार का निकटवर्ती नगर ) , ब्रह्मपुर नगर (विद्वानों में इस नगर की स्थिति बारे में मतभेद है ); गोविषाण नगर (काशीपुर ) नगरों का वर्णन मिलता है।
हुयेन सांग /युअन च्वांग ने विभिन्न क्षेत्रों में जलवायु भेद का उल्लेख भी किया है।
हुयेन सांग /युअन च्वांग ने उपजों , निर्यात हेतु वस्तुओं , हिम निर्यात , जन व्यवहार आदि का वर्णन भी किया है। कहां कहाँ बौद्ध धर्मी थे उसका वर्णन भी हुयेन सांग /युअन च्वांग यात्रा वर्णन में मिलता है।
उत्तराखंड पर्यटन का जब भी इतिहस विवेचन होगा तो हुयेन सांग /युअन च्वांग का नाम सदा स्मरणीय होगा और हुयेन सांग /युअन च्वांग यात्रा वर्णन हमेशा एक महत्वपूर्ण सूचना स्रोत्र मना जायेगा।
हुयेन सांग /युअन च्वांग यात्रा वर्णन से पता चलता है कि उत्तराखंड के पर्यटन ब्रैंड था जो पर्यटकों को आकर्षित करता था।
हुयेन सांग /युअन च्वांग ने भारत भ्रमण मध्य उत्तराखंड यात्रा की या लोगों ने उसे यात्रा करने प्रेरित किया तो उसके पीछे उत्तराखंड ब्रैंडिंग का तागतवर ब्रैंड होना ही था।
हुयेन सांग /युअन च्वांग यात्रा वर्णन से पता चलता है कि उत्तराखंड के पर्यटन ब्रैंड था जो पर्यटकों को आकर्षित करता था।
हुयेन सांग /युअन च्वांग ने भारत भ्रमण मध्य उत्तराखंड यात्रा की या लोगों ने उसे यात्रा करने प्रेरित किया तो उसके पीछे उत्तराखंड ब्रैंडिंग का तागतवर ब्रैंड होना ही था।
Copyright @ Bhishma Kukreti 7 /3 //2018
Tourism and Hospitality Marketing Management History for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...
उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य
1 -भीष्म कुकरेती, 2006 -2007 , उत्तरांचल में पर्यटन विपणन
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
3 - शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड का इतिहास -part -3
-
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments