Palaeo- Mongoloid Race in Haridwar History Context
हरिद्वार के इतिहास संदर्भ में मंगलवंशी किरात
Racial Elements in Haridwar Population of Prehistoric Period-9
हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -18
History of Haridwar Part --18
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
जब कोल , मुंड , शवर जातिहिमालय के वनों , शिवालिक वनों में आखेट आदि वृति से जीवन विता रही थी तो पूर्व से आसाम होती हुई मंगोल जाति ने हिमालय क्षेत्र में प्रवेश किया और पश्चिम की ओर बढ़ना प्रारम्भ किया। धीरे धीरे यह जाति कोल , मुंड , शवर जातिको जंगलों में धकेलती हई हिमालय की श्रेणियों में आसाम से स्पीति , लाहुल , लद्दाख तख फ़ैल गयी।
प्राचीन इतिहास में इस जाति को कीर , किन्नर , किम्पुरुष , आदि नामो से पुकारा गया है। किरात कीर जाति का दूसरा नाम चिर भी था जिससे चिरायता चिल -आत या चिलात शब्द भी रचे गए हैं।
हिमालय के दक्षिण में तराई में किर जाति के तिर , मीड़ व गिर रूप मिलते हैं यह जाति थारु नाम से जानी जाती है। देहरादून भाभर /तराई में मिर अब मिहिर कहलाते हैं तो यमुना से पश्चिम की ओर जम्मू तक गिर अब गिरत या घिरत कहलाते हैं। गढ़वाल का भाभर , बिजनौर का भाभर , हरिद्वार का भाभर , देहरादून के भाभर में यह जाति मिलती थी। हरिद्वार के जनगणना में अब थारु जाति नही मिलती किन्तु हरिद्वार से सटे जिले देहरादून में मिलते हैं। थारु बिजनौर में निवास करते हैं। इतिहासकार मजूमदार ने थारु को मंगलवंशी कहा है।
वैदिक साहित्य में किरात व किलात दोनों शब्द मिलते हैं।
इतिहासकारों ने मोहन जो दाड़ो , और वर्मा , मलाया , हिन्दचीन आदि के पाषाण काल खुदाई से यह अंदाज लगाया कि मंगोल जाति का आगमन भारत मे 2600 -2800 BC से पहले हो चुका था।
किरात जाति का प्रसार मुख्यतया हिमालय की पहाड़ियों में हुआ। आसाम , भूटान , सिक्किम , में किरात जाति का बाहुल्य है।
वैदिक साहित्य में किरात जाति को गुफाओं में रहने वाली जाति कहा गया है। आयुर्वेद में इस जाति के लोग वनऔषधि खोदने व इकट्ठा करने वाली जाति रूप मे उल्लेख मिलता है। शतपथ व अन्य ब्राह्मण साहित्य में किलात का नाम प्रयोग हुआ है। कई पुराणो में किरात जाति का कई बार उल्लेख हुआ है (डा डबराल , उखण्ड का इतिहास -2 पृष्ठ 175) .
मुखाकृति व शारीरिक विन्यास
चपटी मुखाकृति , चपटा माथा ,छोटी -चिपकी नाक , दाढ़ी मूछों में कम बाल , पीला से गेंहुआ रंग , नाटा आकार किरात जाति की विशेषतायें हैं।
मंगलवंशी किरात का अन्य वर्णन अगले अध्याय में .......
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 1/122014
History of Haridwar to be continued in हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग 19
(The History of Haridwar write up is aimed for general readers)
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