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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, December 1, 2014

हरिद्वार के इतिहास संदर्भ में मंगलवंशी किरात

Palaeo- Mongoloid Race in Haridwar History Context 
                            हरिद्वार के इतिहास संदर्भ में मंगलवंशी किरात 

                     Racial Elements in Haridwar Population of Prehistoric Period-9  

                                  हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर की नृशस शाखाएं -एक ऐतिहासिक विवेचन -9  

                                       हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -18    

                                                      History of Haridwar Part  --18   
                                                         
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती

                    जब कोल , मुंड , शवर जातिहिमालय के वनों , शिवालिक वनों में आखेट आदि वृति से जीवन विता रही थी तो पूर्व से आसाम होती हुई मंगोल जाति ने हिमालय क्षेत्र में प्रवेश किया और पश्चिम की ओर बढ़ना प्रारम्भ किया। धीरे धीरे यह जाति कोल , मुंड , शवर जातिको जंगलों में धकेलती हई हिमालय की श्रेणियों में आसाम से स्पीति , लाहुल , लद्दाख तख फ़ैल गयी। 
प्राचीन इतिहास में इस जाति को कीर , किन्नर , किम्पुरुष , आदि नामो से पुकारा गया है।  किरात  कीर जाति का दूसरा नाम चिर भी था जिससे चिरायता  चिल -आत या चिलात शब्द भी रचे गए हैं। 
         हिमालय के दक्षिण में तराई में किर जाति के तिर , मीड़ व गिर रूप मिलते हैं  यह जाति थारु नाम से जानी जाती है। देहरादून भाभर /तराई में मिर अब मिहिर कहलाते हैं तो यमुना से पश्चिम की ओर  जम्मू तक गिर अब गिरत या घिरत कहलाते हैं।  गढ़वाल का भाभर , बिजनौर का भाभर , हरिद्वार का भाभर , देहरादून के भाभर में यह जाति मिलती थी। हरिद्वार के जनगणना में अब थारु जाति नही मिलती किन्तु हरिद्वार से सटे जिले देहरादून में मिलते हैं। थारु बिजनौर में निवास करते हैं। इतिहासकार मजूमदार ने थारु को मंगलवंशी कहा है।
                                   मंगोलवंशियों का भारत में आगमन 
  वैदिक साहित्य में किरात व किलात दोनों शब्द मिलते हैं। 
  इतिहासकारों ने मोहन जो दाड़ो , और वर्मा , मलाया , हिन्दचीन आदि के पाषाण काल खुदाई से यह अंदाज लगाया कि मंगोल जाति का आगमन भारत मे 2600 -2800 BC से पहले हो चुका था।
                                          पर्वताश्रयी 
  किरात जाति का प्रसार मुख्यतया हिमालय की पहाड़ियों में हुआ। आसाम , भूटान , सिक्किम , में किरात जाति का बाहुल्य है। 
वैदिक साहित्य में किरात जाति को गुफाओं में रहने वाली जाति कहा गया है।  आयुर्वेद में इस जाति के लोग वनऔषधि खोदने व इकट्ठा करने वाली जाति रूप मे उल्लेख मिलता है।  शतपथ व अन्य ब्राह्मण साहित्य में किलात का नाम प्रयोग हुआ है। कई पुराणो में किरात जाति का कई बार उल्लेख हुआ है (डा डबराल , उखण्ड का इतिहास -2 पृष्ठ 175) .
                            मुखाकृति व शारीरिक विन्यास 

 चपटी मुखाकृति , चपटा माथा  ,छोटी -चिपकी नाक , दाढ़ी मूछों में कम बाल , पीला से गेंहुआ रंग , नाटा आकार किरात जाति की विशेषतायें हैं। 


मंगलवंशी किरात का अन्य वर्णन अगले अध्याय में ....... 

Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India 1/122014


History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग 19          

(The History of  Haridwar write up is aimed for general readers) 
Palaeo- Mongoloid Race in History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; Palaeo- Mongoloid Race in History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ; Palaeo- Mongoloid Race in History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ; Palaeo- Mongoloid Race in  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ; Palaeo- Mongoloid Race in History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ; Palaeo- Mongoloid Race inHistory of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ; Palaeo- Mongoloid Race inHistory of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ; Palaeo- Mongoloid Race in History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ; Palaeo- Mongoloid Race in History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ; Palaeo- Mongoloid Race in History of Laksar, Haridwar, Uttarakhand ; Palaeo- Mongoloid Race in History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ; Palaeo- Mongoloid Race in History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ; Palaeo- Mongoloid Race in History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ; Palaeo- Mongoloid Race in History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar; Palaeo- Mongoloid Race in History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;Palaeo- Mongoloid Race in History of Bijnor; Palaeo- Mongoloid Race in History of Nazibabad; Palaeo- Mongoloid Race in History of Saharanpur 

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