हे पार्थ! तू उत्तराखण्ड मा सरकारी नौकरी हत्यौ. भाग -२
अथ सिरीकृष्ण-अर्जुन दूसरो अध्याय.(पर कृपा करी तैं यॉ तैं चबोड़्या/चखन्यौर्या/हास्य-ब् यग्य/हंसी-ठट्टा- मजाक मानिकै ही बिग्यॉ-समझ्यॉ-पढ्यॉ. कैकी बी भावनौं तैं ठेस पौंछाणो मेरो उद्देश्य नी छ. हाँ जौंक जिकुड़ी फुकणो लेखी उंक जिकुड़ी अवश्य फुके जैन )। .
त साब कृष्ण माराज कळजुगि रथ ; जीप की डरेबरै सीट परैं बैठ्यॉ छया .जग्वाळ कना कि अर्जुन अबि आल, अबि आल , अर्जुन तबि आलो।
उनैं महाभारत सज्यूं छ. तुर्री रणसिंगा-भंकोर बजणा। बस कृष्ण माराज का शंख की टंकोर बजणै जग्वाल होणी. हस्तिनापुर मा धृतराष्ट्र संजय तैं घच्वरणु बल बोल- संजय क्या होण लग्यूं छ? कृष्ण कख छ ?अर्जुन क्या कनू छ अर मेरो दुर्योधन कख छ?.
ऐग्ये अर्जुन- झकळयूँ सि! कृष्ण माराजन पूछे- हे पॉण्डु पुत्र तू कख गैब हुयूं रै? देख सब तयार हुयॉ छन.उठौ अपणो गॉण्डीव- लगौ बाण अर शुरू ह्वै जा।
अर्जुन पर क्वी असर नि ह्वै। वो चुपचाप अपणि सीट पर बैठ्यूं इनैं -फुनैं ह्यरण पर लग्यू रै।
. हे पॉण्डु पुत्र ; क्या ह्वे;त्वे तैं क्या ह्वैग्ये. तुत इनो बैठ्यूम थिंच्यूं- थंच्यू जन ब्वलेंद त्वे तै पद्म सिरी का वास्त नामित नि करेग्ये.? हे वत्स ! औ कुरुक्शेत्र मा डटि जा.मि छौं त छौं त्वे दगड़.।
अर्जुनन बोले- हे गोपाल-ब्याळि - परसी तुमन जो बी सुणाये- हजम नि ह्वे पाई..कुछ औरि बतावा जॉसे फटफटाक मेरो कल्याण ह्वै जावा।
द्ववारिकाधीश अन्तरयामी जो ठैरा;बींगि गैं कि अर्जुनौ मन उचाट छ हुयूं.ब्वन लैगैं-हे गांण्डीवधारी अच्छु त तू इनो कैर कि उत्तराखण्ड मा डाक्टर की नौकरी पकड़.। तू योग्य छई। सरकारी डॉक्टर बण. सरकारी डिसिपेन्सरी बटि शुरुआत कैर। नजीक मा अपणो प्राइवेट क्लीनिक खोल। सरकारी दवै-वख जमा कैर। .डिस्पेेन्सरीम जो मरीज आन्द वेतैं अपणा किलीनिक मा आणौ बोल। रुप्या बिटोळ . मेडिकल सर्टीफिकेट बणौ अर .रुप्या बटोळ , फिटनेस सर्टिफिकेट बणौ .रुप्या घूळ ! बड़ा प्राइवेट अस्पताल़ों से सम्पर्क कैर। .मरीजों तैॉ वख जोग कौर । कमीशन खा। मरीजुं तैं तपास , टपास , जांच, परीक्षण , टेस्टिंग को झांसा मा फंसा ।.खून-टट्टी-पेशाब-एक्सरे-सीटी स्कैन-ईसीजी-यमआरआई अर तमाम , टपास , जांच करण वाळु से कमीशन फिक्स कौर अर अपण मवासी बणा , दूसरों मवासी पर गरीबी का धब्बा लगा ।
अर्जुनकुछ कुछ बींगि पर फिर बि घंघतोळ दूर करणो वास्ता पूछ - तो परीक्षण सिफारिस का वास्ता क्या करण ?
कृष्णन समझाई - जै मरीज तैं पुटको पीड़ा हो तो खुट का परीक्षण बि करा अर पॉलीक्लिनिक से कमिसनो गुटका खा ! कपाळ पीड़ा हो तो अपण ईमान तैं गिरवी धरिक मरीज से घुण्ड मुंड का टेस्टिंग करवा अर अपण बैंक बैलेंस बढ़वा ! जैक कमर दर्द हो वैक आंखू टेस्टिंग करवा अर सुभद्रा कुण जेवरात बणवा व अभिमन्यु कुण कार खरीदवा !
अर्जुनन शंका जताई - पर हे सर्वेश्वर ! डाक्टरी एक जुमेवारी काम च अर जीवात्मा , आत्मा , जमीर बि त कुछ हूंद कि ना /
भगवनन बिंगाई - हे युधिष्ठर बंधु ! आत्मा , चेतना अर जमीर बेवकूफों बान बणयां, बौगाणो बान खिल्वणी छन। फिर आत्मा तैं मार , जीवात्मा तैं ज़िंदा गाड़ याने जमीर को कत्लेआम कौर अर फिर कमीसनखोर डाक्टर बौण। जमीर का इंतकाल ही त्वे तैं प्रसिद्ध डाक्टर बणाल!
अर्जुनन पूछ - हे कंसमार ! मेडिकल टेस्टिंग का बहाना से कमीसन खाणो गुर तो मि सीखी ग्यों। पर मेडिकल रेप्रेसेंटेटिव से कमिसन खाणो तरीका बि बताओ !
आधुनिक व्यास - पूरण पंत पथिक (देहरादून )
अथ सिरीकृष्ण-अर्जुन दूसरो अध्याय.(पर कृपा करी तैं यॉ तैं चबोड़्या/चखन्यौर्या/हास्य-ब्
त साब कृष्ण माराज कळजुगि रथ ; जीप की डरेबरै सीट परैं बैठ्यॉ छया .जग्वाळ कना कि अर्जुन अबि आल, अबि आल , अर्जुन तबि आलो।
उनैं महाभारत सज्यूं छ. तुर्री रणसिंगा-भंकोर बजणा। बस कृष्ण माराज का शंख की टंकोर बजणै जग्वाल होणी. हस्तिनापुर मा धृतराष्ट्र संजय तैं घच्वरणु बल बोल- संजय क्या होण लग्यूं छ? कृष्ण कख छ ?अर्जुन क्या कनू छ अर मेरो दुर्योधन कख छ?.
ऐग्ये अर्जुन- झकळयूँ सि! कृष्ण माराजन पूछे- हे पॉण्डु पुत्र तू कख गैब हुयूं रै? देख सब तयार हुयॉ छन.उठौ अपणो गॉण्डीव- लगौ बाण अर शुरू ह्वै जा।
अर्जुन पर क्वी असर नि ह्वै। वो चुपचाप अपणि सीट पर बैठ्यूं इनैं -फुनैं ह्यरण पर लग्यू रै।
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अर्जुनन बोले- हे गोपाल-ब्याळि - परसी तुमन जो बी सुणाये- हजम नि ह्वे पाई..कुछ औरि बतावा जॉसे फटफटाक मेरो कल्याण ह्वै जावा।
द्ववारिकाधीश अन्तरयामी जो ठैरा;बींगि गैं कि अर्जुनौ मन उचाट छ हुयूं.ब्वन लैगैं-हे गांण्डीवधारी अच्छु त तू इनो कैर कि उत्तराखण्ड मा डाक्टर की नौकरी पकड़.। तू योग्य छई। सरकारी डॉक्टर बण. सरकारी डिसिपेन्सरी बटि शुरुआत कैर। नजीक मा अपणो प्राइवेट क्लीनिक खोल। सरकारी दवै-वख जमा कैर। .डिस्पेेन्सरीम जो मरीज आन्द वेतैं अपणा किलीनिक मा आणौ बोल। रुप्या बिटोळ . मेडिकल सर्टीफिकेट बणौ अर .रुप्या बटोळ , फिटनेस सर्टिफिकेट बणौ .रुप्या घूळ ! बड़ा प्राइवेट अस्पताल़ों से सम्पर्क कैर। .मरीजों तैॉ वख जोग कौर । कमीशन खा। मरीजुं तैं तपास , टपास , जांच, परीक्षण , टेस्टिंग को झांसा मा फंसा ।.खून-टट्टी-पेशाब-एक्सरे-सीटी स्कैन-ईसीजी-यमआरआई अर तमाम , टपास , जांच करण वाळु से कमीशन फिक्स कौर अर अपण मवासी बणा , दूसरों मवासी पर गरीबी का धब्बा लगा ।
अर्जुनकुछ कुछ बींगि पर फिर बि घंघतोळ दूर करणो वास्ता पूछ - तो परीक्षण सिफारिस का वास्ता क्या करण ?
कृष्णन समझाई - जै मरीज तैं पुटको पीड़ा हो तो खुट का परीक्षण बि करा अर पॉलीक्लिनिक से कमिसनो गुटका खा ! कपाळ पीड़ा हो तो अपण ईमान तैं गिरवी धरिक मरीज से घुण्ड मुंड का टेस्टिंग करवा अर अपण बैंक बैलेंस बढ़वा ! जैक कमर दर्द हो वैक आंखू टेस्टिंग करवा अर सुभद्रा कुण जेवरात बणवा व अभिमन्यु कुण कार खरीदवा !
अर्जुनन शंका जताई - पर हे सर्वेश्वर ! डाक्टरी एक जुमेवारी काम च अर जीवात्मा , आत्मा , जमीर बि त कुछ हूंद कि ना /
भगवनन बिंगाई - हे युधिष्ठर बंधु ! आत्मा , चेतना अर जमीर बेवकूफों बान बणयां, बौगाणो बान खिल्वणी छन। फिर आत्मा तैं मार , जीवात्मा तैं ज़िंदा गाड़ याने जमीर को कत्लेआम कौर अर फिर कमीसनखोर डाक्टर बौण। जमीर का इंतकाल ही त्वे तैं प्रसिद्ध डाक्टर बणाल!
अर्जुनन पूछ - हे कंसमार ! मेडिकल टेस्टिंग का बहाना से कमीसन खाणो गुर तो मि सीखी ग्यों। पर मेडिकल रेप्रेसेंटेटिव से कमिसन खाणो तरीका बि बताओ !
भत्ता गीता भोळ क्रमश:......जारी छ..
Copyright@ Puran Pant Pathik , Dehradun , 2/12 /2014
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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