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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, December 22, 2014

चाय कु चस्का !

चाय कु रसिया  ::: भीष्म कुकरेती 
 जु क्वी ब्वालल बल भारत मा मर्च बंद करो, भारत मा अल्लु खाण पर रोक लगण चयेंद अर चाय पीण पाप माने जावो तो विश्व हिन्दू परिषद  वाळुन राम मंदिर मांग छोड़िक आंदोलन करण कि मर्च , अल्लु अर चाय बंद करणै मांग याने हिन्दू संस्कृति खतम करणै मांग। मर्च , अल्लु अर चाय वास्तव मा अंग्रेजुं ब्वालो या यूरोपियनुं की देन च। अर आज भारतीय संस्कृति की   पछ्याणक छन।
मि त चायक रसिया छौं।  सुबेर साड़े तीन बजि बिजुं या सवा छै बजि मि बिजिक चाय पींदु ।  रात दारु घटकौं  या नि घटकौं  पर चाय पीण जरूरी च। 
जख तलक चाय पीणो याद की बात च त ब्वेक दूदिक बाद चाय की कितलि ही मि तैं याद आंद कि ज्वा मि तैं बचाण , बणाण मा काम ऐ। 
तब गढ़वाळम  चाय का द्वी चार नियम छा।  तब रिवाज थौ बल जड्डू मा चाय मा गुड़ उबाळण अर   गर्म्युं मा चाय गुड़ै  कुटकी दगड़ पीण,   बरसात मा कुछ बि कर ल्यावो। कुछ मौ जौंक इख जन हमर इख काळी मर्च हो तो जड्डू मा हफ्ता मा द्वीएक दिन चा मा काळि मर्च डाळे जांद छे।  कुछ दाळ चिन्नी पत्ता डाळदा छा। 
हमरि टैम पर पौणु स्वागत हुक्का पाणि ना बल्कण मा मेहमानो का स्वागत चाय से कु रिवाज शुरू ह्वे गे छौ। 
देहरादून मा पढ़ै बगत चाय पीण पढ़ण से अधिक महत्वपूर्ण छौ। 
मुंबई आण पर सेल्स लाइन मा नौकरी लगण से मी पर तीन रोग लगिन।  एक दारु पीण , सिगरेट पीण अर दिन मा कम से कम आठ दस कप चा पीण। मुख मा दांत नीन, पेट मा आंत नीन पर यि तिनि व्यसन  नि छुटणा छन । 
सेल्स लाइन मा पंजाब , हिमाचल , कश्मीर छोड़िक सरा भारत घूम पर  गुजरात अर मध्य प्रदेश मा ही चाय कु मजा कुछ हौरि आंद।  इख ठेला की चाय याने आदु (अदरक ) ,हरी इलायची की चाय। केरल , कर्नाटक , तामिलनाडु मा चाय मा मजा नि आंद इख कॉफी कु ही मजा सवादी हूंद। आंध्र प्रदेश मा चाय अर कॉफी द्वी सवादी हूंद।  गोआ मा दुकानदार मित्र चाय की मांग से परेशान रौंदन।  ऊख दारु पैग मांगो तो व्यापारी मित्र खुश ह्वे जांदन किंतु चाय मांगो तो उंकी ननि मर जांदी।  गोआ मा हर चौथी दुकान दारु की हूँदि अर एक बगत त चाय की दुकान हुंदी नि छै। 
रोडवेज का अड्डा अर रेलवे स्टेसनो मा चाय असल मा आज बि घळतण्या चा  ही हूंद।  रेलुं मा   बहुत सा क्षेत्रों मा एक खास एरिया मा प्राइवेट चाय पिलाण वाळ हूंदन जु ख़ास चाय का नाम से प्रसिद्ध छन।  जन कि नवापुर से जलगांव रेल से आंद तक आंद दैं तुम तैं हर स्टेसन ही न ट्रेन मा बि चा बिचण वाळ बुलद - चौधरी की असली चाय। इनि भौत सा जगा अलग अलग नाम से चाय  प्रसिद्ध छन। 
मि तै मैंगा होटलुं मा रौण आवश्यक हूंद अर यूं मैंगा होटलुं मा चाय मा मजा इ नि आंद।  मि तैं चाय , चिन्नी अर दूध सब उबाळीक गरमा - गरम चाय पसंद च किंतु यूं होटलुं मा टी बैग , मिल्क पावडर अर सुगर क्यूब से अफिक चाय बणान पड़द अर सच्ची बोलुं त इन चा दस कप पेक बि मजा नि आंद।  मि इन होटलुं से भैर जांदु अर कै ठेला पर चाय पेक आंद। हवाई जाज की चाय तो चा बुले इ नि सक्यांद ! 
भैर देस खासकर यूरोप मा चाय अर बियर की कीमत   बरोबर हूंद तो जब बि मि विदेश ग्यों तो दगड़म टी बैग अर मिल्क पावडर लिजाण नि बिसरदो छौ अर होटलक बाथरूम का गरम पाणि या होटल रूम मा कैटल से पाणि गरम करिक चाय बणाण पड़द।  मजा त नि आंद पर विदेश मा चा का ठेला बि त नि मिल्दन। जापान मा टी सरमनी भौत प्रसिद्ध च।  जापान मि ग्यों नि छौं त पता नी ऊख चाक क्या स्वाद हूंद धौं। 
मि तैं घौरम गिलास पर चाय पीणै आदत च। 
आज बस!  किलैकि मीन लिखद लिखद चार अदा अदा गिलास  चाय पियेन अर पंचौं गिलास चाक बान किचन मा जाणु छौं। 


20/12/14 Copyright Bhishma Kukreti , Mumbai India 

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