Importance of Ganga Ji and Proto- Australoid Race Culture in Haridwar, Bijnor, Saharanpur
Proto- Australoid Race in Context History of Haridwar -5
कोल , मुंड , शवर जाति और हरिद्वार का इतिहास -5
Racial Elements in Haridwar Population of Prehistoric Period-8
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर की नृशस शाखाएं -एक ऐतिहासिक विवेचन -8
हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -17
गंगा का महात्म्य
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 29 /11/2014
गंगा जी की महत्ता और हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर में कोल , मुंड , शवर जाति
Proto- Australoid Race in Context History of Haridwar -5
हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -17
History of Haridwar Part --17
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
गंगा का महत्व भी कोल , मुंड , शवर जाति ने समझा और इसी जाति ने संभवतया गंगा जी को नदी , गंगा जी को पुनीत नदी का नाम दिया। संभवतया गंगा जी के पानी के गुणों को कोल , मुंड , शवर जातिने पहचाना और इसी पुनीत नदी माना।
भारत से कोल , मुंड , शवर जाति दक्षिण पूर्व की और चली लंका , वर्मा , श्याम , हिन्दचीन , मलाया , दक्षिण चीन महासागरीय द्वीपों म इ पंहुची। तो भी गंगा जी के पवित्रता को नही बिसरी।
लंका बालीद्वीप में महाबलीगंगा व दक्षिणपूर्व एशिया के नदियों के आगे जुड़े कौंग और कियांग प्रत्यय को गंगा जी का रूपांतर माना जा सकता है।
वेदों में गंगा जी का नाम केवल एक बार आया है किन्तु महाभारत व परवर्ती साहित्य पुराणो में गंगा को महत्व दिया गया है। वेद के आर्य गंगा को नही समझ सके थे कोल , मुंड , शवर जाति के सम्पर्क में आने के पश्चात गंगा के महत्व को समझे और तभी महाभारत में गंगा महिमा का बखान हुआ है (मजूमदार और पुसलकर ) ।
केवल गंगा ही नही भारत की अन्य नदियों का नाम भी कोल , मुंड , शवर जाति दिया और विद्वानो की धारणा है कि नदी नामान्त शब्द 'दा' अथवा 'ता ' जैसे नरमदा , शारदा , केनदा, द -सान ; तिसता, प्रणिता और इसी तरह छोटी नदियों के अंत में गाड , गड्ड , खड्ड शब्द भीकोल , मुंड , शवर जाति के दिए हैं (कनिंघम , आर्कियोलॉजिकल सर्वे रिपोर्ट ) ।
संभवतया गंगाद्वार (हरिद्वार ) का महत्व भी कोल , मुंड , शवर जाति ने पहचाना होगा और कालांतर में गंगाद्वार धार्मिक स्थान में परिर्तित हुआ।
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History of Haridwar to be continued in हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग 18
(The History of Haridwar write up is aimed for general readers)
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