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Tuesday, December 30, 2014

आर्यों का मूलस्थान भारत के समर्थन में तर्क

Arguments for supporting Aryan from Indian Soil 

                                                आर्यों का मूलस्थान भारत के समर्थन  में तर्क 

                                                      History of Haridwar Part  --35   
                                            हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -35                                                                                      
                           
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती

यद्यपि पुरात्व , भाषा विज्ञान के तर्क सिद्ध नही होता है कि आर्य भारत की धरती के ही हैं।  फिर भी कुछ इतिहासकार भारत  आर्यों का मूलस्थान मानते हैं। 
  इन इतिहासकारों का  आर्यों का मूलस्थान  विदेशी धरती मानने  विरुद्ध तर्क दिए हैं -
१- पुरातन भारतीय साहित्य में कोई गाथा नही मिलती जो कहती हो कि आर्य बाहर से आये थे।  वास्तव में प्राचीन साहित्य में आर्यों की जम्नभूमि सप्तसिंधु कहा गया है। 
२-आर्य संस्कृत भाषा  वैदिक  व प्राकृत शब्द अधिक मिलते हैं व विदेशी शब्द कम मिलते हैं।  यदि आर्य बाहर से आये होते तो संस्कृत  विदेशी  शब्द अधिक मिलते। 
३- आर्यों का मूल साहित्य ऋग्वेद है।  यदि आर्य विदेश से आते तो  वहां भी किसी  ऋग्वेद की भी रचना होती होती। 
४-ऋग्वेद की ऋचाओं  में भौगौलिक वर्णन से पता चलता कि ऋग्वेद  रचनाकार पंजाब के आस पास रहते थे। 
यद्यपि हिन्दू इतिहासकार भावनावश भारत को आर्यों का मूलस्थान मानते हैं किन्तु सिंधु घाटी की उत्तरी व पश्चमी भारत  फैली होने से यह तर्क समाप्त हो जाता है कि आर्यों का मूलस्थान भारत था। सिंधु घाटी के नृ -कपालों से सिद्ध होता है कि हड़प्पा मानव आर्य नही थे।
              गढ़वाल में सप्तसिंधु की कपोल कल्पना 
कुछ भावुक गढ़वाली आर्यों  जन्मभूमि गढ़वाल मानते हैं हैं।  जब कि महाभारत में गढ़वाल के स्थानीय नागरिकों को अनार्य (खस , कुलिंद , तंगण , किरात , दरद आदि कहा गया है।  ऋग्वेद में हिमालय का वर्णन  ना के बरोबर है। बाद के साहित्य में भी गढ़वाल -कुमाऊं -हिमाचल निवासियों को खस ही कहा गया है। 



Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India 25 /12/2014 


Contact--- bckukreti@gmail.com 
History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास  -भाग 36           

(The History of  Haridwar, Bijnor , Saharanpur write up is aimed for general readers) 

History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ; History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ; History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ; History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ; History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ; History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ; History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ; History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ; History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ; History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ; History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ; History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ; History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar; History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;History of Bijnor; History of Nazibabad Bijnor ; History of Saharanpur 
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