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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, December 1, 2014

सब अपण चाटिक मारन चाट घाळिक काम करदन !

Best  Harmless Garhwali Humor  , Satire,Wit , Sarcasm  Selfishness : 

                                                    सब अपण चाटिक मारन चाट घाळिक काम करदन !
                                                 

                                                चाटिक मार बण्युं लिख्वार  ::: भीष्म कुकरेती 
      जैक बि जनम गौं मा ह्वे होलु , जैक बि जनम   गढ़वाळम ह्वे होलु अर जैन बि जख्या -भंगुल खै होलु वै तैं यु शब्द सुणणो मील होलु।  वैन अवश्य ही दिन मा यु शब्द तीन , द्वी निथर एक दैं त सुणि ह्वाल।  शब्द च -अपण चाटिक मार ! 
शब्द कब शुरू ह्वे ? शब्द कैन शुरू कार अर टिहरी मा शुरू ह्वे या पौड़ी मा शुरू ह्वे ? ये शब्द कु जन्म का बारा मा गढ़वाली भाषा  विद्वान , इतिहासकार  अर हिंदी साहित्यकार , सांसद डा रमेश पोखरियाल निशंक क्या कैतैं नि पता   कि यु शब्द गढ़वाली शब्दावली मा कब आयि। मि बि तुमतैं बेवकूफ नी बणै   सकणु छौं कि ये शब्द कु जन्म कब ह्वे हवालु ? 
        उन शब्द मा द्वी अक्षर बतांदन कि शब्द मा लम्बै च ,  चौड़ै    च अर बड़ो मन्तब्य  च।  चाटिक याने चाट करके अर मार / मारिक माने   जबरदस्ती।  यदि आज क्वी ये शब्द तैं गढ़वळि मा गंठ्यांद तो वो पद्मश्री की मांग करद , सरकार से उत्तराखंड विभूति की मांग करद निथर किताब छपणो संस्कृति विभाग से रुप्या तो मांगदो ही।  अवश्य ये  शब्द     तैं बिठ मरदन त नि गंठे होलु , अवश्य ही चाटिक मारन    शब्द की कल्पना कैं जनानी या शिल्पकारन (हरिजनन  )   करी होलि तबि त राजान ये शब्द गंठ्यान वळ /वळि तैं थोकदारी नि दे। 
  चाटिक मार /चाटिक मारन शब्द कु शाब्दिक, भावानात्मक अर उन अर्थ च   स्वार्थ बस , बेबसी मा.
 अब चम्बा दादी सुबेर सुबेर जब बुल्दी छे बल ये पधानन यु बाटु हमकुण थुका बणाइ उ त वैक डूंडू नौन तै पुरण गौळ नि चौड़ सकुद छौ।  तो सब तैं पता चल गे कि पधान कु यु काम समाज हितौ नि छौ बल्कण मा पुत्र हित मा छौ। 
 अब जब चैतु सरा दुनिया मा धै लगांदु कि वैक भैजि चतरू ब्वे तैं अपण दगड़ ब्वेक प्रेम मा , ब्वेक सेवाक बान नि रखणु च , बल्कण मा अपण चाटिक मारन रखणु च।  सरा जग मा चैतुक रैबार पौंछ जांद कि उन त चतरू क कज्याणि सासुक  सूरत देखिक बि बितक जांदि छे पर  चूँकि चतरूक छ्वटा -छवटा बच्चा छन तो बच्चों तै पकड़णो बान चतरू ब्वे तैं अपण दगड़ रखणु च। स्वार्थ सासुप्रेम की निसाणि ह्वे गे। 
अब जब चंदरुन सँजैत कूल खत्यायी तो समिण पर क्वी नि बुल्दु छौ पर पीठ पैथर सबि बुल्दा छा बल अपण चाटिक मारन चंदरुन कूल खत्यायी।  कूल नि खत्यांद त वैक पाणि तौळक   पुंगड़ हमेसा तींदा -गिल्ला  ही रौंदा । 
अब जब कॉंग्रेस की मनोरमा डोबरियाल उत्तराखंड से राजयसभा सदस्य बण गे त सबि बुलणा छन , कॉंग्रेस हाईकमांड तैं सोनिया गांधी अर प्रिंयका गांधी अलावा कौनसे जनान्युं पड़ी च। वो तो हरीश रावत अर विजय बहुगुणा का पंख कटण छा तो चाट मारिक कॉंग्रेस हाई कमांड तैं मनोरमा डोबरियाल तै राज्य सभा मा भिजण पोड। 
भारतीय जनता पार्टी ब्वालो या नरेंद्र मोदीक तपन  , अगन , ज्वाला से अब कॉंग्रेस , कम्युनिस्ट त छवाड़ो ममता दीदीक जिकुड़ बि जळण मिसे गे अर ममता दीदी तैं चाटिक मारन जनम जाति दुश्मन सीतारम येचुरी का समिण हंसण पोड़णु च; अर चाटिक मारन लालू , कालू अर नितीश कुमार बि पैलि एक ह्वे गेन । 
काश्मीरौ चुनाव जितण जरूरी च तबि त चाटिक मारन भाजपान धारा 370 तैं हिंदमहासागर ना , प्रशांत महासागर ना बल्कि अफ्रिका का कै जंगळ मा गबै दे।  तो चाटिक मारन शब्द वास्तव मा बड़ो चलमुल, चचकौण्या अर चित्वाळखु (तुरंत चौकन्ना करण वाळ ) शब्द च। 
पर चाट   घाळिक अर चाटिक मारन शब्दों माँ जमीन असमान ; आकास -पताळ ; बाग़ अर कूड़ जन अंतर च।  चाट घाळिक को अर्थ हूंद बहुत -बहुत ध्यान देकि अर चाटिक मारन कु अर्थ हूंद विवशता वस  या स्वार्थ वस ! 
अब द्याखो ना मि ड्यारो काम कर नि सकुद , उल्ट लाब सुल्ट करण मै नि आंद तो चाटिक मारन टैम पास करणो बान चाट घाळिक मि सुबेर सुबेर चबोड़्या -चखन्यौर्या -घपरोळया लेख लिखदु !



Copyright@  Bhishma Kukreti 29  /11 /2014   

   *लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं। 

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