Kumaoni Food, Garhwali Food, Ethnic Food of Uttarakhand , Himalayan Food
उसयाँ बुखण
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बुखण माने जू बुकये जांद . . बुखण द्वी बनिक होंदन . अनाज/दाळऊँ तैं भुजिक बणयाँ बुखण या अनाज/ दालुं उसयाँ बुखण .
अनाज / दाळ तैं इखुली या रल़ो मिसों करिक उसए जांद अर उसयाँ बुखणु मा पिस्युं लूण मर्च मिलैक उन्नी खै ल्याओ
निथर बुखणु तैं छौंके बि जांद . छौंकणोऊ तेल मा पैलि भ्न्गुल को छौंका लगये जांद फिर बुखणु तैं लूण मर्च, मैणु मसालों दगड़ छौंके जान्दन
उन दाळ क उसयाँ बुखणु तै पीसिक मस्यट बि बणदू जंक साग बणदू भर्याँ रूटळ/स्वाळ बणदन
उसयाँ बुखण कुणि अनाज :----
मुगरी
दाळ क बूखण ::---
गौथ
सूँट
लुब्या (राजमा )
रयांस
चणा
भट्ट
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Kumaoni Dishes, Garhwali Dishes, Ethnic Dishes of Uttarakhand, Himalayn Dishes
पहाड़ी लोग केकड़ा क्यों नहीं खाते हैं ?
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उत्तराखंड में पीने के पानी (धार) के आस पास केकड़े (गिगुड़ , Crabs) बहुतायत में पाए जाते हैं .
किन्तु पहाडी केकड़े नहीं खाते हैं. हाँ मैदान में विषेशत: मुंबई में खा लेते हैं .
पहाड़ों में केकड़ा न खाने का मुख्य कारण है कि केकड़ा (गिगुड ) भूतों का खाना माना जाता है.
भूत पूजै में केकड़े को भूतों के खाने के साथ चढाया जाता है . यही कारण है कि पहाड़ों में केकड़ा नहीं खाया जाता है
इखाडी/इकहड़ी रोटी भी नहीं खायी जाती है
इकहडी अथवा इखाड़ी रोटी का अर्थ है है कि जो रोटी एक ही और पकाई जाती हो . पहाड़ों में इखाड़ी रोटी भी नही खाई जाती है क्योंकि
इखाड़ी रोटी भी भूतों के भोजन स्वरुप भूत पूजा में चढाई जातीं है (खासकर बच्चों पर लगे भूत शांति हेतु )
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Himalayan Dishes, Recipes , Food, Dishes of Uttarakhand , Recipes of Garhwal, Food of Kumaon
फाणु
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सामान्यत: फाणु गौथ (गहथ , कुलथ ) कु बणदू छौ . उन मूंग, हरड़ , उड़द , सूंट, मसूर कु बि फाणु बणद .
फा णु बणाणा खुण दाळ तैं भिजये जांद , फिर सिलवट/मिक्सी मा पीसिक मस्यट बणये जांद
फिर आंच मा धरीं कढ़ाई मा तेल डाळीक कुछ मस्यट से पट्यूड़/ या पकोड़ी बणये जांद .
पट्यूड़/ पकोड़ी तैं अलग धौरिक मस्यट तैं तेल में भुने जांद अर फिर लूण, मैणु मसाला आदी क दगड़ पाणि मिलैक थड़कए जांद . दगड़ मा
कट्यां हरा पत्ता ( प्याज, कण्डाळी , पलिंगु, मूल़ा, खीरा टुखुल ) बि डाल़े जान्दन .
जब फाणु तैयार ह्व़े जावू त फाणु मा पटुड़ी क टुकडा या पक्वड़ी डाळ दिए जांद
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Garhwali Recipes, Kumaoni Recipes, Uttarakhand Recipes, Himalayan Recipes
कुछ खाणक जू अब प्रचलन मा नी छन
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पैलि पहाड़ों की आर्थिक अर सामाजिक स्तिथि इन छे की भोजन का बान जंगळ पर निर्भरता जादा छे.
कुछ खाणक की जानकारी इन च जो अब प्रचलन मा नि छन:
१- तूंग को आटो : प्क्याँ तूंगऊँ दाणु तैं क्वादू , जौ दगड़ पीसिक आटो बणदो छौ
२- सकीनअ फूलूं पक्वड़ी : शौकिया त अबी बि बणदी प ण पैलि आम बात छे
३- सिरळ अ जळड़ऊं उपयोग : सिरळ अ जळडों तैं उसेक खाए जांद छौ
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Kumaoni Food , Garhwali Food, Uttarakhand Food, Himalayan Food
बौण का फल (Fruits from forest)
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डम्फू
मेहल (मेंलु )
वन मेहल
दाड़िम (द्लिमु )
एनोना
जंगली सर्रफ्फा
वन पाटी
चूड़ा
चालटा
वेळ कुण्डी
सेमळ
बेळ
बेर
घिंघारू
आमड़ा
भिनु
हिसर
काली हिसर
पाणी क काफल
भमोरा
बहेड़ा
तिमल
बेडु
खैणु
औंल़ा
डांडों काफळ
किन्गोड़ा
तूंग
भ्युंळ (भीमल )
खडीक
जामण
हरड़
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Garhwali Food, Uttarakhand Food, Kumaoni Food, Himalayan Food
बनस्पा का फूल मसालों रूप मा उपयोग ( flower and leaves of Viovola Biflora )
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बनस्पा क पौधा छ्व्ट छ्व्ट हुन्दन अर फूल पीला हुन्दन . उन त बनस्पा वैदिकी मा काम आन्द पण पैल यांक पता अर फूल गरम मसालों क रूप मा या चाय मा उपयोग होंद छौ
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Cuisines of Uttarakhand, Food of Kumaon, Dishes of Garhwal, Recipes of mid Himalaya
शिकार क जानवर , पंछी (Animals and Birds used for Ethnic Non Vegeterian Dishes in hills of Uttarakhand )
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प्ल्याँ जानवर (Domestic )
१- बखर
२- ढिबर
३- कुखड़
४- अच्काल माछा बि पल्य़ाणा छन
जंगल क जानवर पंछी
१- सुन्गर
२- घ्वीड़
३- काखड़
४- मिरग
५- चखुल
6- जंगली कुखड़
७- चकोर
८- तीतर / बटेर
९- माछ
१०- सौलू
११ - सिंगनू/च्यूं : यद्यपि च्यूं एक बनस्पति च पण मन्यता क हिसाब से च्यूं तैं शिकार माने जांद
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Kumaoni Recipes Cuisines of Uttarakhand, Food of Garhwal, Garhwali Dishes,Himalayan Dishes
मसालों की पैदावार (Spices , Grown in Hills of Uttarakhand )
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१- धणिया
२- मर्च (Chilly )
३- जीरो
४- अज्वाण
५- भ्न्गुल
६- बेथु (मेथी)
७- भ्न्ग्जीरा
८-ज्ख्या (जंगल )
९ - मुर्या (घासपात )
१० - दाळ चीनी क पत्ता /छाल
११- प्याजक बीज
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तेल वल़ा बीज (तिलहन , Oil Seeds in Hills of Uttarakhand )
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१- तिल,
२- राई
३- लया (सरसों)
४- मूल़ा
५- भ्न्गुल
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साग भुजी (सब्जियां, Vegetables in Hills of Uttarakhand )
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हौरी भुज्जी
१- मूला
२- पहाड़ी पलिंगु
३- मर्सू
४- खीरा /कद्दू के पत्ते
५- पिंडालु /अरबी
६- ओगळ
७- राई
८- लया
९- कडाळी (जंगल की बनस्पती )
१०- प्याज
११- लिंगड/खुन्तड (जंगल)
फुळड़ (फली, Pods, )
१- सूंट
२- तोर
३- लुब्या
४- छीमी
५- मटर
६- स्यूंचणा
फल
१- खीरा
२- लम्यंड
३- गुदड़ी
४- करयल/कर्य्ल
५- मिट्ठ कर्य्ल
६- तुमड़ी
७- भट्टा/बैंगन
८- तिमल ( जंगल )
कंद , जलड मूल फल आदि
१- मूला
२- प्याज
३- तैडू (जंगल अर घर )
४- गींठी (जंगल )
५- बसिंगू (जंगल )
६- बाँकु ( जंगल)
७- पिण्डालू
८- बन्स्कील (जंगल )
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दाळ उं व्यंजन (दलों का उपयोग, Cuisines from Pulses)
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१- उड़द : दाळ , , मिश्रित दाळ, चैन्सू (रगड्वणि दाळ, द्वलिँ दाळ ) , फाणु , भूड़ा (पक्वड़ी ), भरीं रुट्टी, भ्र्याँ स्वाळ , बौड़ी/बड़ी , खिचडी , पटुड़ी
२- तोर : दाळ , हरड़ बणेक दाळ, उसयाँ बुखण (खाजा ) , भरीं रुट्टी, भ्र्याँ स्वाळ , मस्यट कु आलण /मस्यट कु साग
३- सूंट : दाळ, म्स्य्त से भ्र्याँ स्वाळ/रुट्टी, खिचडी, मस्यट कु साग, उसयाँ बुखण , पक्वड़ी
४- मूंग : मुंगणि (खिचड़ी ) (पहां डों मा मूंग कम होंदी छे )
५- रयांस : दाळ, म्स्य्त से-- रुट्टी, स्वाळ साग; उसयाँ बुखण , पक्वड़ी , खिचड़ी
६- गौथ, गहथ /कुलथ:
फुळड़ की भुज्जी , फाणु, पटुड़ी, कचो भिज्याँ दाणु तै पीसिक भरयाँ रुट्टी, उसयाँ दाणु मस्यट से भ्र्याँ स्वाळ, रुट्टी; , बौडी//बड़ी , मस्यट कु आळण , उसयाँ बुखण
७- भट्ट : भटवणि , खिचड़ी , दाळ, भुजिक बुखण , उसयाँ बुखण , भ्र्याँ रुट्टी . बौडी/बड़ी , भुज्याँ बुखण कु हलवा/बाड़ी
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जुंडळ क व्यंजन (ज्वार के व्यंजन )
Bhishma कुकरेती
१- मिश्रित रुट्टी
२- भुजिक बुखण (खील बणण से पैल की स्तिथि )
३- खील
४- कबी कबी प्ल्यो कुणि आटु आलण
५- खिचडी
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मर्सूं व्यंजन (चौलाई के व्यंजन )
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१- सत्तू
२- रुट्टी
३- मिट्ठ रुट्टी
४- कबि कबार पल्यो आलण
५- खील /बुखण
६- खीलूं लड्डू
७- पत्तों हौरी भुज्जी
८- पत्तों पक्वड़ी
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ओगळ/कोटो क व्यंजन
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१- पत्तों हरी भुजी
२- पत्तों पक्वड़ी
३- ढबाड़ी रुट्टी
४- क्वलटणा (बिस्कुट जन )
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मुंगर्युं व्यंजन (मकई के व्यंजन Cuisines from Maize )
Bhishma Kukreti
१- काचो थ्वाथा / भुट्टा क दा णु तैं भूनिक क बुकाण
२- थ्वाथा तैं उस्याँण अर दाण बुकाण
३- काचो दाणु तैं पीसिक ळगड़ी
४- काचो दाणु तैं पीसिक पल्यो (सदो, मिट्ठू, लुण्या ) या झुल़ी
५- काचो दाणु तैं पीसिक आलण
६- काचो दाणु तैं हरी भुजी मा उपयोग
७- रुट्टी
८- डोट रुट्टी
९- ढबाड़ी रुट्टी
९ बी - भरीं रुट्टी
१०- सत्तू
११- दाणु तैं उसेक बुखण
१२- दाणु तैं भुजिक बुखण
१३- बाड़ी
१४- मिट्ठू बाड़ी
१५- प्ल्यो /झुळी कुण आलण
१६- भुजी/ साग कुण आलण
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ग्युं व्यंजन (गेंहू के व्यंजन ) (Cuisines , Food from Wheat )
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१- रुट्टी
२- रोट
३- लुण्या रुट्टी
४-मिट्ठी रुट्टी
५- डोट रुट्टी
६- रल़ो -मिसोऊ वळी/ मिश्रित आटाओं रुट्टी
७ मथिन की सब रुट्टी तेल मा तवा मा भुन्याँ/बणयीं रुट्टी
८- भरीं रुट्टी
९- तेल मा तवा मा पकयाँ भरीं रुट्टी
१०- पूरी
११- स्वाळ
१२- मिट्ठ स्वाळ
१३- भरयाँ स्वाळ
१४- गुलगुला
१५- रूटळणा
१६ - लगड़ी
१७ - गुड़जोळी (हलवा )
१६- पंजरी
१७- सत्तू
१८- सत्तू क हलवा
१९- उमी
२०- बुखण/खाजा / भुज्याँ ग्युं
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जौ क व्यंजन
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1- रुट्टी
२- ढबाड़ी / मिश्रित रुट्टी
३ - प्ल्यो
४- खिचडी
५- कबी कबी आळण क रूप मा
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चीणा क व्यंजन
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१- रुट्टी
२- भात
३- खिचडी
४- चीणयाल (भुजिक बुखण /चबेना/खाजा क रूप मा )
अब चीणा बुयांड ही णी च . पुराणो जमानो मा खास अनाज मा चीणा की गणत होंदी छे
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कौणी क व्यंजन
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१- भात
२- कौण्याळ
३- रुट्टी
४- खीर
५- आळण का रूप मा
चूँकि कौणि झ्न्ग्व र से जादा फ्क्फ्की होंद त सने सने kaurik कौणि फसल बूण कम होणु च
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Himalayan Cuisines
भुज्यल क महत्व
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भुज्यल जंगली फल च जू लौकी /तुमड़ी क परिवार की बनस्पति च अर लौकी तरां मोटू पण chhwatu aakaar कु हुन्द . ये तैं बुए नि जांद फंगुन मा गाँव कु नजिक बरसात मा कखी बि ह्व़े जांद
बौडी मा प्रयोग: जख तलक म्यार ज्ञान च गढ़वाल मा भुज्य्ल कु गीदु बौडी दींद दें दाळउं मस्यट मा मिलये जांद
भूत अर छाया पूजै मा : भुज्यल कु मुख्य प्रयोग छाया या भूत पूजै मा हूंद .
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Himalayan Cuisines
कोदो क व्यंजन
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१- रोटी
२- रुटळ
३- मिट्ठ रोट
४- लुण्या रुट्टी /रूटळ
४- लुण्या रुट्टी /रूटळ
५- तेल मा पक्युं रोट/रुट्टी
६- डोट रुट्टी
७- भरीं रुट्टी /भर्यं लगड़
७- रलो मिसों रुट्टी (मिश्रित आटों से बनी रोटी)
८- चुल्मंड़ी (प्ल्यो - खटो, मिट्ठो, लुंण्या )
९- चूनमांडो :( चून के घोल को उबालकर बनाया जाता है)
११- उमी जन : हरो पण पको बळडों तैं भड़ये जांद
१२- आलण का रूप मा
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Himalayan Cuisines
Food of uttarakhand, Food of Garhwal, food of Kumaoni
झंग्वर का व्यंजन
Bhishma Kukreti
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1- भात
२-झ्न्ग्वर भत्ति (झ्न्ग्वर की खीर)
३- खिचडी / गिन्ज्यरू
४- प्ल्यो , झोंळी/झुळी
५-आलण ---कळी/कण्डाळी , पिटवणि/धपड़ी
६- सत्तू
७- उमी जन: हरो पण पाको झ्न्ग्वर की बाल तै भड़ये जान्द फिर ह्त्थुन मा मान्डिक बुकांदं छन
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Food of Uttarakhand, Food from Uttarakhand , Ethnic Food of Uttarakhand,
Ethnic , Food in Uttarakhand
Ethnic , Food in Uttarakhand
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सट्टी क व्यंजन (Food from Rice)
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पैली सट्टी से इन व्यंजन बणदा छया:
१- भात
२- बनि बनिक खिचडी
३- खीर
४- अरसा : अरसा बणाणो कुणि भिजयाँ चौंलूं तैं कुटीक, (पीठु ) तैं गुड़ का दगड पाक दिए जांद अर फिर ढीडि बणेक तेल मा पकये जांद
५- चपड़ चूडा पाणी मा भिज्यां सटयूँ तैं हिसर मा भुजे जांद अर गरमा गरम उर्ख्यळ उन्द कुते जांद यी चूडा चपड होंदन
६- सादा चूडा : भुज्याँ सटयूँ तैं जब कबि बि देर सबेर कुटे जावन त सादा या डमडम चूडा बणदन
७- खील
८-मिट्ठू भात (खुसका )
९- कळ खिचडी
१०- पळयो मा आलण (कट्यां चौंळ )
११- धपड़ी/ पिट्वणि मा सिलवट मा पिस्याँ चौंलुं आलण
डा नन्द किशोर ढौंडियाल न कुछ औरी व्यंजन बतैन--- बगरा, पणबगरा , विरन्जी
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Ethnic , Food in Uttarakhand
Food of Uttarakhand , Food in Uttarakhand, Garhwali food, Kumaoni
मर्सू की हरी भुज्जी (चौली की हरी सब्जी ) बणाद दै सावधानी
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मर्सू बडो काम कु बरसाती अनाज च . मरसो आटो क अलावा भुज्जी क काम बि आन्द.
१- कुंगळ डांकुळी पत्तो की भुज्जी बणाणो कुणि मर्सू पता-तना तैं काटिक खूब धोये जांद जाँ से हरो, कड़ो पाणि भैर ऐ जाओ अर तब हरी भुज्जी बणये जांद
२- जब मर्सू बडो ह्व़े गे त हरी भुज्जी बणाण मा कुछ सावधानी बरतण पड़दो . कारण मर्सू क भुज्जी कड़ो ह्व़े सकद .
मरसो क पौधा /पत्ता/डांकुळ तैं तड़क्वणि (तेज मुसलाधार बरखा ) तौळ धरे जांद . जू बरखा नि हूँ त उसाए जांद जां से मरसो क कड़ो पाणि भैर ऐ जाओ .
फिर उसयुं मर्सू तैं ध्वे धैक भुज्जी बणये जांद .हाँ मर्सू क भुज्जी मा तडका भंगुल दाणु क ही दियांद
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Uttarakhandi Ethnic Food, Food of Uttarakhand, Food of Garhwal Kumaon , Himalayan Food
पंजरी/चूरण
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सत्य ऩारायण की कथा या कुछ हौरी धार्मिक अनुष्ठानुं मा पंजरी या चूरण आवश्यक पदार्थ च .
चूरण बणाणो खुणि ग्युं तैं दरदरो पीसे जांद अर वै आटो तैं घी मा चपड़ी कढ़ाई मा तब तलक भुने / खरोल़े जांद जब तलक आटो भूरिण रंग कु नि ह्व़े जावो.
फिर चूरण तैं भ्युं चपड़ी थाळी या परात मा धौरिक ,पुराणो जमानो मा , उखमा गुड़ को चूरा मिलये जांद छौ अब चिन्नी मिलये जांद
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सत्तू
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सत्तू बगैर पुराणो भारत , गढ़वाळ कुमाऊं क बारा मा सुचे ही नि जै सक्यांद .
सोतंतरता से पैल, सत्तू जात्रा/ ढाकर कु मुख्य खाणक अर ड्यारम/घरम मुख्य फास्ट फ़ूड छोऊ
सत्तू माने कै बि अनाज तैं भुजिक अर पिस्युं आटो .
मुख्यतह सत्तू मुंगरी अर ग्युं भुजिक पीसिक बणये जांद . गढवाळ मा मुग्र्युं से जादा सत्तू बणये जांद छौ .उन मार्सू, भट्ट तैं भुजिक बि सत्तू बणदों छौ
कुट्यून झ्न्ग्वर तैं भुजिक जू सत्तू बणदू वै तैं घरड़ा बुल्दन
सत्तू उसयुं खीरा मा खावो , फाँक मारिक खावो , पाणी मा मिट्ठो या बगैर मिट्ठो क घोल बणेक पिए जै सक्यांद
सत्तू क मिट्ठो परसाद (हलवा ) बि बणदू , बगैर मिट्ठो क बाड़ी बि बणदों .
जात्रा मा सत्तू क रुट्टी अर मिट्ठू / लुण्या रोट बि बणदा छ्या
सत्तू क आलण क रूप मा बि प्रयोग होंद
चूँकि सत्तू की मियाद भौत होंदी त जात्रा (Travelling ) क मुख्य भोजन छौ सत्तू
अब सत्तू बणाण क क रिवाज नि रै गे
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चूनमांडो , चुनमांडू ( Baby Food)
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चुनमांडू/चूनमांडो माने मांड जन कोदो क चून को छोळ/ झोंळ .चुनमांडू /चूनमांड बणाण सरल च . भांड पर पाणि अर थ्वड़ा सि क्वादों चून मिलैक भाण्ड दचुलू मा धौरिल गरम कर जांद अर तब तलक थड़कए जांद जब तलक घोल मांडू जन बकल़ू णि ह्व़े जावू . फिर ये पक्युं घोल तैं सलैक (ठडो करण ) छ्व्ट बच्चा तैं पिलये जांद . चुन्मंडू सुपाच्य अर तागत बढंदेर होंद.
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चूनमांडो , चुनमांडू ( Baby Food)
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चुनमांडू/चूनमांडो माने मांड जन कोदो क चून को छोळ/ झोंळ .चुनमांडू /चूनमांड बणाण सरल च . भांड पर पाणि अर थ्वड़ा सि क्वादों चून मिलैक भाण्ड दचुलू मा धौरिल गरम कर जांद अर तब तलक थड़कए जांद जब तलक घोल मांडू जन बकल़ू णि ह्व़े जावू . फिर ये पक्युं घोल तैं सलैक (ठडो करण ) छ्व्ट बच्चा तैं पिलये जांद . चुन्मंडू सुपाच्य अर तागत बढंदेर होंद.
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Kumaoni Food, Garhwali Food , Himalayan Food , Ethnic Food of Uttaranchal or Uttarakhand
Food of Old Time in Uttarakhand :
बनि- बनिक खिचडी
भीष्म कुकरेती
भीष्म कुकरेती
चौंलुं अर बनि बनिक दालुं (सूँट , रयांस, स्युंचणा , उड़द , भट्ट, मूंग, मसूर, हरड़/द्वलिँ तोर ) दगड़ बणयीं खिचड़ी त स्ब्युन सुन्यू च , पकायुं च खयुं च . जरा पुराणो जमानो पर एक नजर मारे जावू की वै बगत (१९५० से पैल) कत्या किसिम की खिचड़ी बणदि छे . उन अब बि यी खिचडी बणदिन पण भौत कम्म .
१- चीणा की खिचड़ी : चीणा Graminy परिवार कु अनाज च अर दालुं दगुड़ यांकी खिचड़ी बणान्दन .
२- झ्न्ग्वर की खिचडी तैं गिंचड़ा बुल्दन
३- बजुर की खिचड़ी गिंज्वर बुल्दन
४- जौ दाणु तैं भिगैक छिल्का उतारिक दालुं दगड खिचडी बणये जांद .
५- जुंडळ/ज्वार की बि खिचडी बणदी
Some inputs from Mrs Suma Devi Kukreti, Village jaspur, Dhangu, Pauri Garhwal through phone
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अकाळी क खाणक :
बाँकु/बांक क भुज्जी
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पैल पहाडू मा अकाळ क भूक से ब च णो साधन बौण/ जंगळ ही छया . बाँकु / बांक जंगळ को
एक लगुल वाळ पौधा च . बाँकु / बांक क दाण अल्लू जन होंदन अर दाण जमीन भितर होंदन अर भौत इ कड़ो होंद.बांकू क खुदाई जड्डों मा ही होंद.
बांक क दाणु तैं काटिक द्वी चार दिन तक ठुपरी पर बगदो छिन्छ्वड़ तौळ या बगदो पाणि पुटुक धरे जांद जाँ से कडुवाट कम ह्व़े जाव
फिर बाँकु तैं उसेक ( उबाळीक ) वै उसयों बांकू क भुज्जी बणये जांद हाँ मर्च मसालों जरा बिंडी पुडदन . किले? कड़ो कम करणो बान .
अकाळी क खाणक :
बाँकु/बांक क भुज्जी
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पैल पहाडू मा अकाळ क भूक से ब च णो साधन बौण/ जंगळ ही छया . बाँकु / बांक जंगळ को
एक लगुल वाळ पौधा च . बाँकु / बांक क दाण अल्लू जन होंदन अर दाण जमीन भितर होंदन अर भौत इ कड़ो होंद.बांकू क खुदाई जड्डों मा ही होंद.
बांक क दाणु तैं काटिक द्वी चार दिन तक ठुपरी पर बगदो छिन्छ्वड़ तौळ या बगदो पाणि पुटुक धरे जांद जाँ से कडुवाट कम ह्व़े जाव
फिर बाँकु तैं उसेक ( उबाळीक ) वै उसयों बांकू क भुज्जी बणये जांद हाँ मर्च मसालों जरा बिंडी पुडदन . किले? कड़ो कम करणो बान .
आभार : श्री सोहन लाल जखमोला (ग्राम जसपुर, ढागु पौड़ी गढवाळ) श्यामपुर
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Himalayan dishes, Uttarakhand Dishes, Garhwali Dishes, Kumaoni Dishes
स्यूंचणा क सागBhishma Kukreti
स्युंचणा क लगुल (Tendril as Pea) मटर कु तरां ही हुन्द इख तक की फूलड़ (Pods) बि इकसनी (समान) हुन्दन . हाँ स्यूंचणा क रंग मटण्या हुरु ( Dark Blackish Green) फुळड़ गोळ हुन्द . स्युंचणा क दाण मटर क त्रान मिट्ठू नि होंदन . स्यूंचणा ग्र्म्युं माँ पयाज क दगड़ ही होंदन .
स्युंचणा क हरा कुंगळ फुळडू तैं मय छुक्य्ल क सूखी भुज्जी या प्न्द्यर साग बणदो . फुळडों तैं ह्त्थुन छवटा छवटा टुकडो मा तोड़े जांद अर फिर प्याज क पत्ता या दाणु या अलुं दगड़ मिलैक भुज्जे बणदी या साग (प्न्द्यर ) बणदो . खाली स्युंचणो क भुज्जी या साग बि बणये जांद . जू छुक्य्ल जिन्नू ह्व़े जावन त खाली कच्चा दाणो क भुज्जी मा इस्तेमाल हुन्द .
स्यूंचणा क सुख्यां दाणो से मटर जन दाळ बि बणदी .
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Garhwali Food, Kumoni Food, Uttarakhand Food , Himalayn Food
भोजन संबंधी वैवाहिक रिवाज :
देंडी
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देंडी कु अर्थ च दही हांडी . ब्या मा बर पक्स वाळ काठी परोठी पर दै (Curd) ल़ी जन्दं अर परोठी क गौळ पर उड़द भूडा बांधिक बरात क दगड़ ल़ी जान्दन .
ब्यौ क समौ पर यीं दै तैं ब्योली वाळ तैं दिए जांद . ब्योली वाळ दै भूडों तैं वेदी क आस पास क लोगूँ तैं बाँटदन . ब्यौ क समौ भितर एक रस्म होंद जैखुणि "जूठ गिच्च करण " बुल्दन जन मा बर ब्योली एक दुसर तैं दै भूडा ख्लान्दन. ईं रस्म मा पैल भौत ही मजा आन्द छौ . बर अर ब्योली क हृदय मा रोमांस अर रोमांच को अभिनव मिलाप हुन्द छौ . दगड़ मा बराती घ्ररात्यूं दगड़ मजाक मस्करी अपण चरम सीमा फर पौंछि जांद छे
फिर ब्योली वाल अपण तर्फान दूसरी देंडी दीन्दन ज्वा बरात क दगड़ वापस आन्द .
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Food of Uttarakhand, food of Kumaon, Food of Garhwal , Himalayan Food
Ethnic Food in Uttarakhand, Ethnic Kumaoni Food, Ethnic Garhwali Food ,
अंदड़वाणि (भित्र्वांस ) ( Food from Intestine, Rectum, Lungs etc) मुंबईया भासा मा बजड़ी
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गढ़वाली मा फफस (फेफड़ा ) , किडनी , अंदड़ी तैं मिलैक भित्र्वांस या अंदड़-पिदड़ या अंदड़ी- पिंदड़ी बुले जांद
बखर, ढिबर , मिरग , सुन्गर आदी क भित्र्वांस क शिकार मा बि भौत रस्याण आंदी हाँ भित्र्वांस तैं साफ़ करण जरा कठण अर ब्युंत वालो काम हूंद .
अंदड़ तैं धार तौळ धरिक अंदड़ क मुख से पाणि गुजारे जान्द जब तक मोळ बौगि नि जाओ . एक बि मोळ कु टींड भितर नि रौ ण च्यान्द निथर साग मा मोल़ाण आन्द .
अंदडों-पिंदडों तैं खूब साफ़ सूफ कौरिक कटे जांद .
फिर कट्यां भित्र्वांस तैं तेल मा भुने जांद फिर लूण, मैणु मसाला मिलैक ज़रा कौरिक पाणी डाळी डाळीक पकये जांद अर ये तैं सुखो भित्र्वास/अंदड़वाणि बुल्दन . खाण मा बडो रस्याण आन्द .
पंद्यरो भित्र्वांस या अंदड़वाणि:
पैल जब टमाटर नि होंद छ्या त पंद्यरो भित्र्वांस या अंदड़वाणि बणाणो खुणि कट्यून प्याज डाळण पड़दो अर थोडा सि अम्क्वाई (अमचुर/आम कु सुख्सा ) या खटया डाल़े जांद छौ अब टमाटर से खटु करे जांद अर पाणि मा पकये जांद अर फिर तैयार च भात मा खाण लैक रसदार या पंद्यरो भित्र्वांस या अंदड़वाणि,
Some inputs from Shri Sohan Lal Jakhmola (Vill Jaspur, Dhangu, Pauri Garhwal) from Shyampur
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Garhwali Food , Kumaoni Food , Himalayan Food , Uttarakhand Food
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सिरि /शिरी/ सिरिणी/मुंडळ क सुरुवा (Curry of Goat/Sheep Head)
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बखर या ढिबर क मुंडळी तैं कट्यां मा सिरि बुल्दन पण जन्नी या सिरि बामण तैं दिए जाओ त सिरिणि ह्व़े जांद. देव पूजा मा मरयूं बखर क मुंडळी हमेशा गुरु/बामण तै ही दिए जांद
अब जन कि गढवाळ, कुमाऊँ , नेपाल मा रिवाज च बल बखर, ढिबर /घ्वीड /काखड/मिरग/सुन्गर/कुखड तैं मारिक पैल भद्ये जांद अर दगड मा सिरि बि भ ड ये जांद .
भडयूँ मुंडळ क लुतकी (Skin) आंखीं गाडे जान्दन अर क्छ्बो ळी क काम आन्द . सींग आदी तैं सुदारे जान्द (Cleaning)
बकै भाग सुरवा ma काम आन्दन अर सुदारे जांद. फिर टुकड़ों मा काटे जांद. जीव क बि टुकडा करे जान्दन . गूद ( मुंडळ क चर्बी ) से पुराणो जमन मा तेल गड़े जांद छौ या अलग से , मसालों डगड पकये जांद अर सुखो ही बणदू .
फिर भड्डू मा तेल गरम करे जांद , ज्ख्या, धणिया या भ्न्गुल को तुडका दिए जांद अर फिर मुंडळ क शिकार तै तेल मा खुडकए ( भूनना ) जांद , फिर लूण हल्दी, मसालों डगड़ खुडकए जांद . हाँ मसाला , गरम मसाला समेत जरा जादा ही डाल़े जान्दन . जब चिताई ल्याए बल सुगंध औण बिसे गे त पाणि डाल़े जांद अर फिर ठंडो पाणि भर्युं लुटया तैं भड्डू क अळग धरिक पकण दिए जांद , थोडा थोडा देर परांत भडडून्द शिकार मा पाणी डाल़े जांद . कबि कबार पकान्दा पकान्दा रस निकालिक रस पिए जांद अर उथगा इ पाणी फिर मिलये जांद .
शिकार्या बुल्दन बल मुंडळ कु शुरवा बाकि शिकार क सरैल से जादा सवादी होंद .
शिकार्या बुल्दन बल मुंडळ कु शुरवा बाकि शिकार क सरैल से जादा सवादी होंद .
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च्यूं क सूखी भुज्जी ( Dry Vegetable of Mushroom leaves)
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मीन गढ़वाळ मा च्यूं की भुज्जी कबी नि खाई . पण स्ब्युन मुखं सुन्युं च बल च्यूं क साग ( Mushroom Curry ) भौति सवादी होंद .
च्यूं फफूंदी परिवार क एक बनस्पति च , गढ़वाल मा फफूंदी कुणि कुयडु बुल्दन पण च्यूं कुणी कुयाडू नि बोले जांद . च्यूं बरसात मा सड़यूँ ल्ख्डों पर जमद अर एक किसम बिसैली होंद त दूसरी किशम खाण लैक होंद, जणगरो च्यूं क छतरी क रिंगणी (Rings of mushroom) देखिक पता लगान्दन की को बिसैला च अर कु खाण लैक च्यूं च
साग :
जादातर च्यूं साग ही बणये जांद . च्यूं क लाबों तैं ध्वे धाई क सुदारिक, काटिक तेल मा छौंके जांद , मैणु मसाला उन्नी डाल़े जान्द जन शिकार मा डाले जान्द . तरीदार च्यूं को साग उन्नी बणदो जन क्वी बि रसदार साग बणदो .
ग्व़ाठम कुछ प्रयोग
कत्ति लोग ग्वाठम प्रयोग करदन . कुछ सुदरयों च्यूं तैं पथर मा थिंचदन , कुछ तैं काटे जांद , फिर थींच्यूं अर कट्यू च्यूं तैं लूण , पिस्युं मर्च , मसालों द गड़ तेल मा राळदन अर साल का तीन चार तह वाळ पुड़का पुटुक बुजिन बणऐक बंद करी दीन्दन. फिर आग /रंगुड़ मा (धीमी आंच ) पकये जांद. फिर पक्युं च्यूं तैं तवा मा गरम /पकये जान्द . ये सूखी च्यूं की भुज्जी कुछ अलग ही सवाद क हुन्द . रुट्टी मा च्यूं की सूखी भुज्जी मजा से खये जांद
Curtsey Shri Ramesh Jakhmola of Jaspur, Dhangu Patti, Pauri garhwal
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कळखिचड़ी (Kal Khichdi )
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कळखिचड़ी माने ज्व़ा खिचड़ी कंडाळी , चौंळ अर दाळ तैं मिलैक बणये जावू .
पैल दाळ (सूँट, रयांस, या उड़द, पण जादातर सूंट ) अर चौंळ तैं उबाल़े /थड़कये जांद अर फिर उखमा कंडाळी क कुंगळ पत्ता - डांकुळ , मैणु मसाला, लूण, हींग, डाळीक खूब पकये जांद . पकणो परांत खिचड़ी मा घ्यू डाल़े जांद . खिचड़ी गिल्ली/ फरफरो जन चाहो तन्न बणावो .
कळखिचड़ी भौति सवादी होंद .
आभार: डा नन्द किशोर ढौडियाल
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खौका ( Sweet Dish of Rice Flour )
खौका ( Sweet Dish of Rice Flour )
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खौका बि चौंळ पीठु (Rice flour made by soaked rice ) से बणदू . पीठु तैं पाणि अर गुड़ , चिन्नी द ग द मिलैक झोंळ (Solution of rice flour with sugar or gud) बणये जांद . फिर चौड़ी कढ़ाई मा बिंडी तेल गरम करे जान्द . फिर मिट्ठू पीठु झोंळ तैं उबळदा तेल मा डाळीक तब तक खरोल़े अर पकाए जांद जब तक झोंळ भूरिण नि ह्व़े जावू अर पाणी भौत कम नि ह्व़े जाओ
फिर झोंळ तैं उतारिक सळये (To cool) जान्द . सल़ाण से झोंळ ठोस ह्व़े जांद अर वै ठोस चीज तैं तोडिक बूरा ( semi solid बणये जांद . ये बूरा कुणि खौका बुळदन . खौका क सवाद भौत बढिया हुन्द .
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रूटळणा अर क्वटलणा (Rutlana and Kvatlana : Garhwali Biscuits)
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जब आटो तैं दूध, गुड़ अर घी मा ओले जावू , द्वी चार घंटों तक उनी धरे जावू अर फिर छ्वटि छ्वटि गुन्द्की तैं उब्ल्दा तेल मा पकये जावू त वीं चीज तै रूटळणा या क्वटळणा बुल्दन ,. असल मा या चीज गढवाळी बिस्किट छन .
ग्युं क आटो से बणयाँ बिस्किट तैं रुटळणा अर ओगळ (कोटो ) आटो से बणयाँ बिस्किटु तै क्वटळणा बुल्दन . यी बिस्किट एकाद मैना तक खराब नि होंदन
मुंबई मा रौण वळी श्रीमती जसोदा देवी कुकरेती (खमण गाँव ) बथांदन बल कबि गंगा सलाण गढवाळ मा इन कुछ बणदो छौ . दूध , घी, अर मिठु मिलैक द्वी चार घण्टा उल्युं आटो तैं छोड़े जान्द ; अर फिर वै उल्युं आटो की छवटि छवटि गुन्द्की से छ्वटा छवटा ढगळी बि बणदा छ्या जू दरदरो होंदन
Curtsey : Smt Jasoda Kukreti, Jogeshwari, Mumbai
Curtsey : Dr Nand Kishor Dhoundiyal kotdwara Garhwal, UK
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Garhwali Cuisines, Kumaoni cuisines, Ethnic Cuisines of Uttarakhand, Ethnic Dishes of Uttarakhand
अखंडी (पायों का रस, Leg Soup)
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अखंडी पकाणों खुणि जानबर का खुटों तैं भड़ये जांद फिर सुदारिक (साफ़ कौरिक ) बडो भडडू पुटुक डाल़े जांद, दगड़ मा पाणी लूण मर्च , मैणु मसला, हल्दी मिलैक पांछ चाय घंटों तक थडकये (उबल्ना ) जांद अर टैम टैम पर पाणी बि मिलये जान्द . फिर कटरवो से अखंडी पिए जांद , फिर चुलू मा चढ़ीं अखंडी मा बार बार पाणी मिलान्द ही रौंदन अर पीयाणि रयांद. द्वी एक दिन तक भड्डू चुलू मा ही च्ध्युं रौंद . कत्ति अखंडी को रस मा भात बि खै लीन्दन
The leg peieces of Goat, Sheep, Deer family or Bore are roasted along with full body of the animal. The roasted leg pieces are clened (burnt over etc) and put in a think pan . Then spices, chillies, salt is put along with water and boiled for many hours. The soup is seved on deep saucer/plate and drank. again water is put and the same is kept on fire for boiling for many hours.
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ल्वैखैरा (खून की बर्फी, Blood Cake )
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ल्वैखैरा बणाणो बान जैबरी जानबर जिंदु कट्याणु होंद ( जानबर गौळ फर खुन्करी की मार करीक काटे जान्दन ) वै ई बगत कटीं मुंडल़ी अर कटयूँ धड़ परेन बगद ल्वे (खून ) तैं कै भांड पुटुक जमा करे जांद . फिर फटाफट ल्वे मा मर्च, लूण, मसालों मिलैक भांड तैं आग मा गर्म करे जांद . जब ल्वे ठोस अकार ल़े लीन्दी त भांड तैं आग मागन उतारे जांद . ल्वैखैरा तैं गर्म खाओ या सलैक (ठंडो करण ) यू खाण वळ पर निर्भर करदो .
भौत पैल जै पर ल्वे /खून की कमी बताये जान्द छे वै तैं ढिबर बखरों खून पीणो दिए जांद छोऊ या ल्वैखैरा खाणकण बुले जांद छौ
Blood cake is made by blood of animal. When the living stock is cut , the blood is collected into a pan .The blood is mixed with salt , chillie dust, and spices and heated till the solid cake is made.
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अमसुटि ( Mango Chuttney )
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अमसुटि बणाणो खुणि काचो आम तैं छीलिक, कटे जांद अर फिर लूण, मर्च, हरो धणिया , ल्ह्यासण , काळी मर्च, आदू, भ्न्गुल आदि दगड पीसे जान्द अर तब जैकी खये जांद/चटे जांद
कुछ लोग गुड़ /चिन्नी बि डाळदन अर यांखुणि मिट्ठू अमसुटि बुले जांद .
Peeled unripped mango are cut into pieces and then grinded in mixer grinder or Silvat with salt, green or red chillies, correndrum leaves, garlik, black pepper, hamp seeds etc and paste is eaten with bread . Many people mix suger while grinding the in
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अम्वाणि (Mango Curry or Vegetable of Mango)
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अम्वाणि कच्चो आम कु तरीदार साग हुन्द . कच्चो आम तैं छीलिक , हडयालू गाडिक आलू जन काटे जांद या छिल्याँ आमों तैं थींचे जांद
अम्वाणि कच्चो आम कु तरीदार साग हुन्द . कच्चो आम तैं छीलिक , हडयालू गाडिक आलू जन काटे जांद या छिल्याँ आमों तैं थींचे जांद
फिर कट्यां आम या थिन्च्याँ आम तैं तेल मा तडका देकी , मैणु मसला, लूण मिलैक पाणि दगड पकैक साग बणये जांद . क्वी क्वी साग तैं दड़बडू बणाणो कुणि मुन्ग्र्युं आळण .
बि मिलान्दन.
जादातर अम्वाणि (आम का साग) म्व़ाटा रूटळ या झ्न्ग्वर /कौणी मा खये जांद
The unripped mangoes are peeled and cut as poteto. Then the cut mangoes are fried in hot edible oil . Then fried cut mango are mixed with spices, salt (asper taste and desire) in the frying pan and water is put and boiled tll the mango curry is fully cooked. curry medium as corn flour is also mixed many times.
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परसाद, गुड़ज्वल़ी (हलवा) (Halva , Parsad)
by Bhishma Kukreti
कै बि अनाज कु आटो तैं घ्यू मा भूनिक , गुड़/ चिन्नी /शीरा क grm पाणी मा पकये जाओ त वै खाणक
तैं परसाद बुल्दन I
तैं परसाद बुल्दन I
परसाद -- चौंळ , ग्युं, मर्सू, जौ क आटो कु बणये जांद . कबि क्ब्यार क्वी क्वी मुंगरी आटो क बि परसाद बणादन
गुड़ज्वलि : ग्युं क आटो क परसाद या हलवा तैं गुड़ज्वल़ी बि बुल्दन I
आटो तैं घ्यू /घी मा भूरिण होण तक भुने जांद I दूसरी तरफ हांको भांड पाणी मा गुड़/चीनी उबाल़े जांद I भुनु आटो मा मिट्ठो गर्म पाणी मिलैक थडकए जांद अर स्वाद को हिसाब से पन्द्यरो/बकल़ो/ल्हस्ल्सो /सुखो परसाद/हलवा बणये जांद I पैथ्रां परसाद मा घ्यू बि डाले जांद I
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सौलै शिकार (सौलू, साही ) ( Mutton Curry of Porcupine)
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सौलु (साही ) एक मुसू क परिवार कु एक जानवर च . २५-३० इंच लम्बो अर लम्बी पूंछ वल़ू जानवर पर चार पाँच इंच लंबो काण्ड (Spikes)
हुन्दन . सौलू भौत धीरे हिटदू . सौलू मुसदुंळ (Burrow) पुटुक रौंद अर रात्यूं कुणि ही भैर आन्द . सौलू ग्युं जौ आदि की फसल खांद इले सौलू तै भगाणे कत्या ही ब्युंत/ तरीका करे जान्दन .
सौलू की शिकार बि खये जांद . सौलू तैं मारण क वास्ता मुसदुंळ भितर अग्यो करे जांद जां से धुंवा भितर जावू अर सौलू भैर ऐई जावू. जन्नी सौलू भैर आन्दु वै तै लट्ठलुं पीतिक मारे जांद . ध्यान धरे जांद कि सौलू क काण्ड शरीर पर नि आवन .
मरयूं सौलू क काण्ड गाडिक फिर सौल तैं भड़ये जांद अर फिर लुतकी , अंदड़ पिंदड़ गाडिक (यीं प्रोसेस तैं सुधारण बुले जांद ) फिर शिकार तैं छौंकिक, मैणु मसला दगड उसेक उन्नी बणये जांद जन बखरै शिकार/शुरवा बणये जांद . हाँ ! सौलू क शिकार कुंगल़ी (Very Tender) , होंद त जादा नि पकये जांद
जौंक सौलै शिकार खयीं च ऊ बुल्दन बल याँ से सवादी शिकार हून्दी ई नी च
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मण्डपळयो /मण्डझुल़ी
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मण्डपळयो : मण्डपळयो बणाणो तरीका भौत सौन्गु च . चौंळ क मांडू तैं छाँछ क दगड़ मिलैक थड़कए जांद अर मण्डपळयो तैयार ह्व़े जांद
मण्डझुल़ी : जब मांडो अर छांछ मा मैणु-मसालों हल्दी, लूण मिलैक थड़कए जाओ त मण्डझुल़ी तैयार ह्व़े जांद
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Uttarakhand Recipes, Food in Uttarakhand (Ethinic)
खाणक सम्बन्धी रिवाज - :
भूतूं / भूतों क खाणा
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मध्य हिमालय मा भूत पूजै एक आम संस्कृति च रिवाज च .भूत पूजै परांत /पश्चात भूत /भूतूं तै खाणक बि दिए जांद .
सतनाजूं खिच डू / टिकडू : भूतूं खुणि खिचड़ी/खिचडू चौंळ , उड़द मिलैक सात नाजूं तैं मिलैक पकये/बणये जांद अर क ड़ो तेल बि मिलये जांद. खिचडू तैं कूड़ या गाँव क चारों तरफ चुलये जांद .
छाया पूजै मा : छाया केवल जनान्यु पर लगदी अर यांखुण बुखण भुजे जान्दन या चुड़ा भुजे जान्दन . भौत से टैम पर कुखड़ी बि मारे जांद . छाया पूजै मा पैल भितर पश्वा अर पुजारी इखुली पूजा करदन . अर अंत मा कै बडो डाळ तौळ छाया की पूजा होंद उखी कुख्दी च्ध्ये जान्द . कुख्ड़ी मारे नि जांद उनी ज़िंदा छोडे जांद . जें जननी पर छाया पूजे गे हवाऊ वी जनानी से बुखण.चुड़ा नि ल़ीण चयांद
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Cusines of Garhwal, Cusines of Kumaon
पुराणो उत्तराखंड मा खटै/खटाई (Chuttneys)
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अच्काल त खटै/खटाई भौत सी चीजु से बणण बिसे (शुरू) गे पण पैल खटै/खटाई काचो आम , अमचुर या अल्म्वड़ या कबी कभार लिम्बू की सोल़ी तैं पीसिक बणदी छे
आम की खटै/खटाई : काचो आम तैं छीलिक सुदारिक काटिक मैणु मसालों ( भंगुल, धणिया, जीरो, आदू ) लूण , मर्च क दगड़ पीसिक बणादा छया ,
अमचुर ( आम क सुख्सा ) की खटै/खटाई : अमचुर तैं पाणि मा भिजैक मैणु मसालों दगड़ पीसिक खटै/खटाई बणदी
अल्म्वड़ की खटै/खटाई : अल्म्वड़ एक सदाबहार घास पात हुन्द जू कखी बि ह्व़े जांद. एक पत्ता कुंगळ, सीक बरोबर पतल़ो , लम्बो अर खट्टो रस वाळ हुन्दन . अल्म्वड़ क पत्तों तैं मैणु मसालों दगड मिलैक पीसिक खटै/खटाई बणये जांद
कबी कबी लिम्बू क सोल़ी तैं मसालों मा पिसिक बि खटै/खटाई बणये जांद पण कम ही
खटै/खटाई मा समो/मौसम क हिसाब से हरो मसालों उपयोग करे जांद
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गढ़वाल कुमाओं क खाणक संबंधी रिवाज -१ :
बंधाण
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गढ़वाळ कुमाऊं नेपाल मा एक बडो अद्भुत रिवाज हुन्द जै भोजन संबधी रिवाज मा बामण ऩा बलकण मा जजमान (राजपूत) पुजारी होंद
ये रिवाज कु नाम च बंधाण , बंधाण तब हुन्द जब केकु भैंस बिये जाउ. भैस जब बियान्दी च त द्वी तीन दिन क दूध नि पिए जांद पण
दूध गर्म कौरिक प्युंस ( Paneer जन ) बणान्दन . जब दूध पतल़ो ह्व़े जांद त सौब दूध तैं दही बणाणो कुणि परोठी मा जमाए जांद .
फिर सात एक दिन मा एक दिन पूजै हुन्द जै रिवाज खुणि बंधाण बुल्दन . बंधाण से पैली क्वी बि प्युंस छोड़िक भैंस कु दूध नि पे सकदु
ये दिन खीर, पळयो , झुल्ली ही बणये जांद अर इष्ट मित्रों तैं बुलैक छ्व्टी सी जीमण करे जांद /भोज दिए जांद . हाँ खीर बामण ही बणान्द
ये रिवाज की खासियत या च की बन्धाण की पूजा जजमान कर्दन
खाणक खाण से पैल एक पत्थर मा खिन्न का तिनको की छुटी छुटी खामी क सहायता से या पूजा होंद
पूजा परांत ही खाणक खये जांद अर बंधाण कु बाद ही भैस कु दूध को उपयोग करे जांद
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Food in Uttarakhand, Ethnic Food of Uttarakhand.Recipes from उत्तराखंड
गढ़वाल कुमाऊं में भोजन सम्बन्धी रस्म रिवाज-२ :
सस्कंडी (A first Gift for Mother in Law and her Friends)
Bhishma Kukreti
सस्कंडी गढ़वाळ-कुमाऊं मा एक अभिनव रिवाज च जखमा ब्योली ब्यो परांत बरात क दगड पैल दें ससुराल /सासुराड़ आन्द त दगड़ ma
सासू अर वींक दगड़याणयूँ कुणि कंडी फर एक भेंट लांदी जै पर सासू को ही हक्क होंद . वीं कंडी मा पूरी, पक्वड़ अर अरसा होंदा छा (अब रिवाज कम ह्व़े गे )
बर क (दुल्हे की ) बरात बौड़णा दुसर दिन सासू अपणि दगण्याणयूँ तैं बुलैक सस्कंडी क पूरी, पक्वड़ अरसा खानदा छ्या अर फिर सहेल्यू तैं यू कल्यो बांटे बि जांद छौ
ब्योऊ क क्ल्योऊ पर पैलो हक्क गाँव वालुं कु :
जब ब्योली( Bride) बरात क दगड मैत बिटेन पैली दें ससुराल आंदी त दगड मा ससुराड़ी गाँव वाळउन्खुणि अरसा, पूरी पक्वड़ कु क्ल्योऊ (भोज्य भेंट ) बि लांदी . अर ये पैलो क्ल्योऊ पर बर (Groom ) परिवार को क्वी हक्क नि होंद छौ . यू क्ल्योऊ संजैत क्ल्योऊ माने जांद छौ अर सरा गाँ मा बरोबर बांटे जांद छौ . यो ही कारण च बल सासु कुणि
अलग से सस्कंडी आंदी छे
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पपीता की खट्टी भुज्जी
भीष्म कुकरेती
चूँकि पपीता का डाळ तैं देखरेख चयांद त पपीता सग्व्ड (घर के आस पास की जमीन ) मा ही लगये जांद अर याँ से पांच छे वर्ग फीट जगा मारे जांद जां से पहाडून मा पपीता कम ही लगये जांद थौ
फिर पपीता क भुज्जी बणाणो रिवाज भी कम ही छौ , जब क्वी कच्चू पपीता भ्युं पोड़ी जाव त भुज्जे बणदी
हमर तरफ इन दिखे ग्याए जब बि पपीता भुज्जी बणाण होऊ त जादातर खट्टी भुज्जी ही बणदी छे
भुज्जी बणाणो कुण पपीता तैं छीलिक सुदारिक मूल़ा जन कटे जान्द फिर भूटिक मैणु मसाला मिलैक, वाँ मा छांछ डालिक थड़कये जांद अर पन्द्यारी /फरफरी(सूखी ) या बकल़ी/ गाढ़ी भुजी बणये जांद . कत्ति भुज्जी मा पकाण दें छांछ क दगड़ दूध बि डाळदन .
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Ethnic Food of Uttarakhand
दूध कु कुछ खाश उपयोग
भीष्म कुकरेती
दूध पीण , खीर-लब्सी बणाण कु अलावा दूध कु कुछ हौरी बि उपयोग छन
१- दूध मा रुट्टी भिजैक खाण
२- पराल़ी (मलाई ) तैं रुट्टी मा खाण
३- भात, झ्न्ग्वर मिट्ठू दूध मा खाण
भुज्जी मा दूध कु उपयोग
दूध तैं सवाद बढ़ाणो (चल्मुलो करण) बान भुज्ज्युन मा डाळए जांद . यी भुज्जे इन छन
१ - मूल़ा
२- खीरा
३- गुदड़ी (तोरई)
४- लमेंड (चचिंडा )
५- तुमड़ी
६ - प्याज की भुज्जी
७ - हरो खीरा/प्याज की भुज्जी
जादातर जब भुज्जी पकी जाव त पैथराँ भुज्जी मा दूध डाल़े जांद अर एक उमाल आण तक भुज्जी तैं गर्म करे जांद
दूध डालण से भुज्जी क रंग अर सवाद मा फर्क पोड़ी जांद
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कुछ भुज्जी जो अब गढ़वाल मा नि बणदन या भौत ही कम बणदन
भीष्म कुकरेती
गढ़वाल कुमाओं हिमाचल प्रदेश मा अकाळ जरुर पड़दो छौ पण भुखमरी नि होंदी छे किलैकी बौण (जंगळ )
होण से खाणक मिली जान्दो छौ . कुछ भुजी इन छे जू भुखमरी को टैम पर जादा खाए जान्द छे
जन कि:
ग्वीराळ का फूलों का टूसा (Buds without petals) , तिमला का पतों का टूसा
यूँ टूसों तैं काटिक हरी भुजी जन बणये जान्द . कभी कभी टूसों तैं मुग्राड़ी (मकई को आटा ) दगड़ मिलैक झोळ बि बणये जान्द छौ
भीष्म कुकरेती
गढ़वाल कुमाओं हिमाचल प्रदेश मा अकाळ जरुर पड़दो छौ पण भुखमरी नि होंदी छे किलैकी बौण (जंगळ )
होण से खाणक मिली जान्दो छौ . कुछ भुजी इन छे जू भुखमरी को टैम पर जादा खाए जान्द छे
जन कि:
ग्वीराळ का फूलों का टूसा (Buds without petals) , तिमला का पतों का टूसा
यूँ टूसों तैं काटिक हरी भुजी जन बणये जान्द . कभी कभी टूसों तैं मुग्राड़ी (मकई को आटा ) दगड़ मिलैक झोळ बि बणये जान्द छौ
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शहरूं मा मूल़ी को सुख्सा
भीष्म कुकरेती
आम गढ़वाली जो गौं मा रयां छन तैं पट च मूल़ा को सुख्सा कन बणये जान्द अर सुख्सा को स्वाद कनु होंद
सुख्सा को अर्थ होंद Dehydrated Vegetables . अब शहरूं मा मूल़ा त मिलदु नी च त मूली को सुख्सा बणये जै सक्यांद
बाजार बिटेन जिन्नी बड़ी मूल़ी ल्ह़ाण चयांद
मूल़ी तैं ध्वे धाई क सूखे द्याव . फिर मूली तैं तिर्छां अर म्वाटो काटी द्याव जन भुज्जी का बान कटदन . कटीं मूल़ी फर ज़रा सि हल्दी अर लूण
लगे द्याव . फिर चों मा अर घाम मा चार पाँच दिनूँ तलक सुखाणद जाओ जब तक सुखी नि जाओ जब मूल़ी को पाणी सुखी जाओ त समजी जाओ सुख्सा तैयार ह्व़े गे द्वी चार मैना तक सुख्सा ठीक ही रौंद
सुख्सा की भुज्जी बणाणो बान सुख्सा तैं एकाद घंटा पाणी मा भिजाओ फिर जन चायणो च तन भुज्जी बणाओ
सिल्वट मा थींची क सुख्सा की तरीदार भुजी बि बणी सकद
सूखी भुजी बणाणाई त सूखी भुजी बणावो . पिण्डाल़ो ( अरबी ) का दगड बि सुखी या थिन्चौणी / भुजी बणदी
मैणु मसाला कथगा डाळण यू आप पर निर्भर च . हाँ भ्न्गुल का बीज ह्वाओ त मजा कुछ हौरी होंद
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खट्या
भीष्म कुकरेती
खट्या क शाब्दिक अर्थ होंद भौती खट्टू . खट्या बणाणो रिवाज अब गढ़वाल मा कम ही च पण पैल हरेक परिवार जड्डू ठण्ड मा खट्या जरूर बणादा छया
खट्या बणाण सरल ही च हाँ टैम भौत लगद
जरोरी सामान:
छांछ, मैणु मसाला (धणिया , मर्च , काल़ी मर्च, भंगुल, जीरो, लूण, हरो धणिया अर तेल ) मसालों तैं पैल सिल्वट मा खूब पिसे जान्द जीरो या जख्या तैं तेल मा छौकी क फिर छांछ तैं तेल मा छौंके जान्द अर मसाला मिलये जान्द . फिर भौत देर तलक छांछ तैं थड़काए जान्द तब तलक जब तलक छांछ को पाणी सुखी नी जाओ याने ठोस हूण तक छाँछ थड़काए जान्द
बस ख़ट्या तैयार च . खट्या चार पाँच मैना तक चल्दो अर चटनी की तरां इस्तेमाल हूंद
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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