गढ़वाली हास्य-व्यंग्य
सौज सौजम मजाक-मसखरी
हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा
(s =आधी अ )
फिलम बणन्देर ( निर्माता )- ओहो भीषम जी! नमस्कार, नमस्कार
भीषम - जी नमस्कार
फिलम बणन्देर- सौरी हाँ ! जरा देर ह्वे गे। आप तै मेरि जग्वाळ करदा परेशानी ह्वे।
भीषम - जी जादा ना तीनेक घंटा से मि इन्तजार ...
फिलम बणन्देर- वु क्या च फिलम निर्माता चाहे हिंदी को ह्वावो या गढ़वळि का हो वो अळजाट मा इ रौंद।
भीषम - जी क्वी बात नी च ...
फिलम बणन्देर-अब आप इखम आवा तो मतलब आप म्यार दगड़ जुड़ी गेवां तो आप से क्या लुकाण। एक गढ़वळि बिल्डर च अब मातबर ह्वै ग्यायि त वै तै समाजम नाम चयाणु च, त मीन पटै आल अर वो मेरि फिलम माँ पैसा लगाला। अब म्यार बि क्या जाणु च वूं तैं असोसिएट प्रोड्यूसर बणाण मा। फिलम चलि तो नफा मा मेरि भागिदारी निथर नुक्सान असोसिएट प्रोड्यूसरौ।
भीषम - जी
फिलम बणन्देर-मीन तुमर बारम मा सूण बल तुम गढवाळीम कथा लिखदा अर तुम सणि गढ़वाळो रीति रिवाजों ज्ञान बि च।
भीषम - जी थ्वड़ा भौत ..
फिलम बणन्देर-भै मि त गढ़वळि लोक संस्कृति, गढ़वळि रीति रिवाजूं प्रेमी छौं अर मेरि फिल्मोंमा जन कि 'मोबाइल बांद', 'घुंघरा स्याळी अर छुमा बौ, 'आ स्याळी सतपुळी म्याळा आ' सब्युं माँ लोक गीत अर लोक संगीत च।
भीषम -जी में से क्या उम्मीद च।
फिलम बणन्देर-उम्मीद क्या च? एक निर्माता को चाहिए एक धाँसू स्टोरी। सि यि जु बैठ्याँ छन मेरि फिल्मों का अजय जी गीतकार छन अर विजय जी संगीतकार छन
भीषम -जी
फिलम बणन्देर-बॉस तुम एक धाँसू कथा लेखि लया।
भीषम -कथा को विषय ?
फिलम बणन्देर- वी! जु होंद च। कथा मा सस्पेंसक बान गांमा द्वीएक हत्या जरूरी छन
भीषम -औ !त आप सस्पेंस वाळि फिलम बणाण चाणा छन ?
फिलम बणन्देर-ना ना फिलम त गढ़वळि लोक संस्कृति, गढ़वळि रीति रिवाजूं पर आधारित हूण चयेंद पण जरा दर्शकों रूचि बि दिखण पोड़द कि ना?
भीषम -औ !
फिलम बणन्देर-हां जरा यीं फिलम मा गां का चारेक खलनायक जरुर हूण चयेंदन
भीषम -जी ?
फिलम बणन्देर-हाँ एक त कन्हैया लाल जन गौं को शाहूकार जरुरी च जैमा सरा गां वळु पुंगड़ पटळ गिरवी ह्वावन अर वैकि बुरी नजर हीरोइन अर हीरोइन की विधवा भाभी पर ह्वावो
भीषम -जी ?
फिलम बणन्देर-दुसर खलनायक गौं को डाकु ह्वावो ये खलनायकम आठ दस डाकु अर घवाड़ा हूण चयेंदन जो रातमा गां मा घ्वाड़ों मा बैठिक डाका दाल्दन। यु खलनायक जरा गब्बर सिंग से बडो क्रूर हूण चयेन्द हां?
भीषम -जी पहाड़ी गां मा घुडैत डाकु ?
फिलम बणन्देर-हाँ दर्शकों मजा को तो ख्याल रखण पड़दो कि ना?
भीषम - वो !
फिलम बणन्देर-तिसरो खलनायक मोगेम्बो जन हूण चयेन्द जैको खुफिया अड्डा जो माणा गां को पैथर ह्वावो।
भीषम -माणा गां?
फिलम बणन्देर-भई गढ़वळि फिलम च तो बद्रीनाथ अर माणा का सीन आला तो फिलमम गढ़वळि संस्कृति बि आलि कि ना?
भीषम -अच्छा !
फिलम बणन्देर-हां, चौथो खलनायक जुवाघर अर कैबरे होटल को मालिक ह्वालो। ये तै अग्निपथ को संजय दत्त जन दिखाण हां
भीषम -त यिं फिलम मा हीरो हीरोइन नि ह्वेलि?
फिलम बणन्देर-वाह किलै ना! दबंग याने सलमान खान स्टाइल को हीरो ह्वालु, वैकि ब्वै होलि जैं पर डाकु बलात्कार कारल , बैणि ह्वेलि जैं पर गौं को शाहुकार बलात्कार करदो, विधवा भाभी होलि जैं पर मोगेम्बो का चार गुर्गा चल्दि बस मा सामूहिक बलात्कार करदन जन कुछ दिन पैलि दिल्लीमा ह्वे छौ
भीषम -तीन बलात्कार ?
फिलम बणन्देर-नै नै ! चौथु बि च वो आखरि च हीरोइन हिसर गाडणि च चरि खलनायक वींक दगड़ बलात्कार करणे कोशिस करदन ,फट्यां चिर्यां झुल्लों मा हीरोइन भगदि भगदि ग्युं क खेत माँ आन्दि उख गिवड़म खलनायक वीं का सबि झुल्ला फाड़ी दीन्दन वा दौड़दि दौड़दि रूपणि कुणि तयार धानो खेत मा आंदी तो लत पथ नंगी हीरोइन क़ा दगड़ जनि सबि खलनायक बलात्कार करण इ चंदन की दबंग हीरो आंदो अर चर्युं तैं खतम करदो।
भीषम -मतलब बलात्कार की कोशिस तीन मैना जेठ से सौण तक ?
फिलम बणन्देर- अरे भै अचकाल जनता बलात्कार विषय पर बड़ी चर्चा करणी च तो कथा मा सामयिकता बि आण चएंद कि ना? अरे सामयिकता से याद आयि कि फिलम मा भ्रष्टाचार बि होण चयेंद त तुम इन कारो पंचो खलनायक पटवारी तै बणावो अर वो हीरोइन की बैणि से बलात्कार करदो ज्वा आत्महत्या करी लॆन्दि अर हीरोइन वै पटवारी से बदला लीन्दी।
भीषम - पांच बलात्कारों क बीच मा गढ़वळि संस्कृति अर रीति रिवाज दिखाणै जगा कखम बचीं च?
फिलम बणन्देर- भौत जगा च। हीरो हीरोइन का दडुयेट डांस अर सौंगमा गढ़वळि संस्कृति अर रीति रिवाज का कपड़ा आला, पैथर बैकग्राउंडम पहाड़ ह्वाला, मोगेम्बो बद्रीनाथ को भक्त दिखाए जालो। फिर द्वीएक सामुहिक नाच चौंफळा -थड्या नाच गान का होला. अर ज्वा हीरोइन कि बैणि आत्महत्या करदि , वींक हंत्या आण पर हंत्या को घड्यळ होलु।
भीषम - अब जब कथा आपन तैयार करि इ याल तो मेरि कखम जरूरत च?
फिलम बणन्देर-तुम तै यिं कथा मा कुछ नयापन लाण। द्वी चार लोग बुलणा छा कि तुम नयो किस्मो कथा लिखदा तो ..
भीषम -जी एक बात बथौं ?
फिलम बणन्देर-हां ! बथाओ
भीषम - मोळ का लड्डुओं पर सोना अर चांदी का वर्क लगाण से मोळ का लड्डू मोतीचूर का लड्डू नि ह्वे सकदन?
फिलम बणन्देर- भीषम जी! आम आदम्युं लैक फिलम अर चिलम पीणों ढर्रा को अपणों नियम हून्दन वो एकी डगर से चलदन अर इलै हम इन ही फिलम बणौदा। प्रेमचन्द बि बौलीवुड मा ऐ छया क्या ह्वाइ?
भीषम - ठीक च जन तुम बोल्दा मि ऊनि कथा लेखि देलु
फिलम बणन्देर- हाँ अब ठीक च। तो पर्स्युं तलक कथा लेखिक लै अंयां हां
Copyright @ Bhishma Kukreti 14 /3/2013
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