(गढ़वाली कुमाउनी फिल्म विकास पर विचार विमर्श )
भीष्म कुकरेती
इस्टोनिया और लातिविया बाल्टिक सागर तटीय छोटे छोटे यूरोपीय देस हैं जो पहले रूस के भाग थे और अब स्वतंत्र हैं। दोनों छोटे छोटे देशों ने स्वतंत्र होने के बाद फिल्म और वीडिओ फिल्मों की अहमियत समझी और अपने अपने देस में फिल्म बोर्ड की स्थापना की
नेशनल फिल्म सेंटर ऑफ लातिवा
23 दिसम्बर 1991 में लातिवा संस्कृति मंत्रालय के तहत नेशनल फिल्म सेंटर ऑफ लातिवा का गठन किया गया और निम्न मुख्य उदेश्य निर्देशित किये गये :
१-लातिवाई फिल्मों के निर्माण हेतु संसाधन जुटाना और उनके लिए धन वितरण
करना।
२-लातिवा में फिल्म निर्माण के लिए न्यायिक प्रक्रिया में सुधार जिससे लातिवा फिल्म निर्माण में वृद्धि हो .
३- लातिवाइ फिल्म परम्परा का संरक्षण व विस्तार
४-लातिवाइ फिल्मों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बाजार ढूंढना और उस बाजार में लातिवाई फिल्मों का व्यापार करना।
५- अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ समन्वय स्थापित करना जिससे लातिवाइ फिल्मों को लाभ पंहुच सके।
६-फिल्म वा वीडिओ वितरकों को लाइसेंस प्रदान करना
गुणवत्ता के हिसाब से फिल्म धन आबंटन करना
अ -फीचर फ़िल्में
ब -लघु फिल्मे व डौक्युमेंट्री फ़िल्में
स -वीडिओ फ़िल्में
द -एनिमेसन फ़िल्में
ई - फिल्म उत्सव व अन्य सहायक कलाओं को सहायता देना
उदाहरणार्थ सन 2012 में लातिविया राष्ट्रीय फिल्म बोर्ड से छ फीचर फिल्मों,अग्याढ़ वीडिओ फिल्मों व पांच एनिमेसन फिल्मों को ग्रांट दी गयी .
इस्टोनिया भी बाल्टिक तटीय लघु देस है और इस देस ने भी फिल्म कमीसन गठित किया है जिसके उदेश्य निम्न हैं
इस्टोनिया में फिल्म निर्माण व विडिओ फिल्म निर्माण हेतु सुविधाएं जुटाना जिससे इस्टोनिया की फिल्मों का विकास हो और बाहरी देस इस्टोनिया में फिल्म निर्माण कर सकें
इस्टोनिया फिल्म फौंडेसन (1997) के निम्न उदेश्य हैं:
१- राष्ट्रीय फिल्मों का विकास
२ - फिल्म तकनीक का विकास
३- इइस्टोनियाइ फिल्मों विकास , रचनाधर्मिता का विकास
३- फिल्म सिक्षा का वितरण
४- इस्टोनियाइ फिल्मों को अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों व संस्थानों से जोड़ना
५- वे सभी कार्य करना जो इइस्टोनियाइ फिल्मों के विकास में सहायक सिद्ध हों
आज फिल्म विकास व इन्टरनेट विकास हेतु सभी राज्य विशेषकर उत्तराखंड राज्य के लिए हितकर है और उत्तराखंड राज्य को राज्य फिल्म बोर्ड बनाकर स्थानीय फिल्म विधा को विकसित करना एक सामयिक मांग है।
Copyright@ Bhishma Kukreti 21/3/2013
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