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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, March 21, 2013

संजय दत्त का जघन्य अपराधौ प्रति सहानुभू


गढ़वाली हास्य-व्यंग्य 
सौज सौजम मजाक-मसखरी  
हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा
 
                           
                      संजय दत्त का  जघन्य अपराधौ  प्रति सहानुभूति 
 
                           चबोड़्या - चखन्यौर्याभीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )
 
 
 -प्रिय संजय दत्त ! 
मि खबेश भट्ट याने नामी बुद्धिजीवी फिल्मकार त्वैखुण ट्वीट करणु छौं बल तू जेल जाण से फिकर नि कौर। हम सौब इख भैर त्यरो अपराध तैं  ग्लैमराइज करला अर तेरो जघन्य अपराध  पर सहानुभूति की लहर पैदा करला जां से त्वे सरीखा हौर अपराधी नि शर्मावन  बल्कण मा सन तिराणबे का यी सभी  अपराधी गर्व महसूस कौरन। हम सरीखा बुद्धिजीवी अपराध्युं पर सहानुभूति पैदा करण मा उस्ताद छंवां  अर किलै ना ? जब हमारि फिल्मों तैं जघन्य -देशद्रोही फिनेंस करदन तो हमारि बि जुमेवारि बणद कि  कराची -दुबई मा बैठ्या अपराध्युं तैं अराध्य देव बणौवां।

देख तू शर्मा ना उख हौलिवुड मा बि त सेलिब्रिटी जेल जांदन त तु लज्जा अनुभव नि कौर।
अब जब सन सहतर मा जेन फोंडान एक पुलिसौ सिपै पर लात मार तो वीं तैं बि थ्वडा देरोकुणि जेल ह्वे छे। अर म्यार मनण च बल  सिपाई पर लात मरण तो तेरो गुनाह से बडो गुनाह छ।

अब टिम एलन की इ बात लेदि तू डेढ़ पौंड चरस गांजा दगड़ पकड़े गे छौ अर द्वी सालै सजा ह्वे छै वे तै। हम सेक्युलर बुद्धिजीवियुं बुलण च बल  चरस गांजा रखण बड़ो गुनाह च अर त्यरो दुबई मा ड्रग स्मगलर्स जन कि दाउद , अनीज, मिर्ची, छोटा राजन अर शेट्टी से मिलण क्वी अपराध नी च। हम फिल्म वाळ दुबई का देशद्रोही अपराध्युं तैं खुस नि करला तो  हमर फिलम कनकैक बणलि।   
त्वै तै दुख नि होण चयेंद कि तीन बगैर लाइसेंस का हथियार अपण ड्यारम रखिन। देख जब सन चौराणबे मा वीडीओ कलाकार फिफ्टी सेंट तै गैर लाइसेंसी हथियार अर चरस गांजा रखणो अपराध मा छै मैना जेल ह्वे छे तो वो बि बेशरम जन छै मैना कुण जेल गे छौ तो तेरि गैरत किलै जगणि च ? अचकाल त्वै सरीखा सेलिब्रिटी अर नेता गैरत हीन इ हुंदन।

सि सन द्वी हजार सात की बात च खिलाड़ी लिल  वाइयन तै बि त बगैर लाइसेंस की गन रखणम जेल ह्वे छौ।
दिन तो कटि जाला जान  रुल बि  त हथियार रखणो जुर्म माँ जेल काटणु च कि ना ? त्यार सौं हम कुछ फिल्म वाळ अर तथा कथित मानववादी जनता मा सहानुभूति पैदा करणों पूरा का पूरा पुठ्या जोर लगाणा (कोशिस) छंवा उखमा  चाहे जाने अनजाने  सन तिराणबे को जघन्य अपराधी दाउद इब्राहिम  से भी जनता की सहानुभूति मीलली तो हम तैं क्वी गम नी च हम तो इ चांदवां कि लोगुं त्वे से सहानुभूति ह्वे जावो बाकी कुछ बि ह्वावो हम तै फिकर  नी च।
   
 घबरा ना हम भावुकता का नाम पर त्यार  अपराध तै एक बच्चा का शौक मा  बदलणा कोशिस बि करणा छंवां। संजू बाबा! तू आत्म ग्लानि से भैर आ। अरे जब जेमी वेलेट तै सन द्वी हजारग्यारा म इंग्लैण्ड दंगोम भाग लीणो   अपराध का वजै से सजा ह्वे अर वै तैं  क्वी आत्म ग्लानि नि ह्वे तो तू किलै आत्म ग्लानि महसूस करणु छे।
   
   तू चिंता नि कौर जनता त्यार कुकर्मो तै हिराकत नजरों से नि द्याखलि किलैकि भौत सा पत्रकार अर टीवी चैनेल त्यार  प्रति जनता मा सहानुभूति पैदा करणा छन। अरे राम जेठमलानी अर मेनन  सरीखा वकील -नेता  तो बुलणा छन बल तू दया का लायक छे। भारतम कुछ बि ह्वे सकद। अपराधी से सहानुभूति पैदा करण इखि ह्वे सकद . तीन ब्याळी टीवी न्यूज चैनेल देखि हि होलु कि  अपराधी तै हीरो की नजर से दिखण खाली फिल्मों मा इ नि होंन्द बल्कणम समाचार टीवी चैनलोंम बि जनता मा अपराध का प्रति सहानुभूति की लहर पैदा करे जान्दि। या च हमर प्रजातंत्र को हाल तो तू किलै आत्म ग्लानि की बात करदी ?

जब तलक हम सरीखा खजि वाळ बुद्धिजीवी ईं  दुनियामा रौला हम अपराध तै बि दया , करुणा मा बदली द्योला।द्याख नी च तीन कन मि हरेक टीवी चैनेलुं मा त्यार बान भकोरिक रूणु छौ!  कनो मि जघन्य अपराध का प्रति सहानुभूति पैदा करणु छौ?     
तेरो शुभ चिन्तक  - बार बार कन्याण वाळ, खजि करण वाळ खबेश भट्ट                   
                  
 
 Copyright @ Bhishma Kukreti   22  /3/2013 

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