गढ़वाली हास्य-व्यंग्य
सौज सौजम मजाक-मसखरी
हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा
खेल कमेंट्री
(s = आधी अ )
- हां हां! आवा भीष्म जी ! आवा मि 'बासी-तिबासी खबर चैनेल कु टैलेंट हंटर छौं।
-नमस्कार हंटर जी !
-नमस्कार जी !
-ब्वाला हंटर जी आपन मि तै किलै याद कार।. म्यार क्वी इंटरव्यू लीणाइ?
- अरे भै गढ़वाली साहित्यकारों को इंटरव्यू गढ़वाली पत्रिकाओं मा क्वी नि पढ़दो त टी वी चैनलों मा क्वी क्या तुमर इंटरव्यू द्याखल। हमर काम टीआरपी बढ़ाणो च भै कम कराणों नी च।
-हंटर जी फिर ब्वालो
-हम तैं अपण चैनलों बान स्पेसिअयल स्पोर्ट्स कमेंटेटर चयाणु च। जु हमर ऐंकरों दगड कमेंट्री दे साको, खासकर क्रिकेट की छ्वीं लगै साको ।
- त आप तैं खिलाड़ी दगड बात करण चयेंद।
- हां पण अजकाल जरा दिखणेरूं (दर्शक ) पसंद ही बदल गे अब दिखणेरुं तैं नीरस स्पोर्ट्स टीका -टिपणी ना रौंसदार , रस्याण वळ, मसालेदार , स्पोर्ट्स कमेंट्स मा मजा आंद।
- पर मि तैं इक टंगड्या खेल कु अलावा कै बि खेलौ ज्ञान नी च।
-हाँ हमन पता लगाइ आल कि तुम तै कै बि खेलो क्वी ज्ञान नी च। अरे भै ज्ञान तो हमारा ऐंकरों तैं क्रिकेट का बि नी च पण द्याख च कन वो लोग अनुभवी खिलाड्युं से बढ़िया खेल की चीर फाड़ करदन।
-पण कुछ तो खेलो ज्ञान ?
-नै नै ! हमर विशेष खेल कमेंटेटर तै खेल ना अलंकारों ज्ञान जरूरी च।
-जी ?
- जी हां! आप तैं मसालेदार कमेंट्री दीण जां मा उपमा अलंकार की झड़ी लगीं ह्वावो जन कि महेंद्र सिंह धोनी की धकधकाती कैप्टेंसी वळि आग मा माइकेल क्लार्क धूं धूं कर भष्म ह्वे ग्यायि।
-पण ..
-जख शिखर धवन का चौका ऑस्ट्रेलियाइ खिलाड्युं जिकुड़ी पर बरछी का घाव पैदा करणा छया उख मुरली विजय की रनिंग द विकेट रामबांस का कांड जन पुड़णा छया।
-ओहो ..
- आश्विन एक बाढ़ को नाम च जैन ऑस्ट्रेलियाइ कूड़ इन ध्वस्त कौरिन जन बुल्यां क्वी रागस तुर्क्यडुं मकान खुटन ध्वस्त करणु ह्वावो ।
- उं उं ..
-विनय कुमार एक उगता लाल सूरज च तो सिड्डल एक अछल्यांद काळो सूरज।
-ह्यां ..
- रवीन्द्र जडेजा कु जबर्दस्त जलवा अर जटासुरी जलजला कु समणि ऑस्ट्रेलियाइ टीम जमींदस्त ह्वे गे। ऑस्ट्रेलियाइ खिलाड्युंकुण जडेजा जंगम रागस को नाम च। ओझा एक दुर्दांत राक्षस की तरह ऑस्ट्रेलियाइ टीम को तहस नहस कर रहा था। जिस तरह एक खटिक बड़ी क्रूरता से मुर्गी की गर्दन काटता है उसी तरह इशांत शर्मा विरोधियों की विकेट उखाड़ रहा था
-खेल माँ इन शब्द ?
-भीषम जी आज या ही मांग च। खेल का बारीक पहलू छोड़िक शब्दों को जाल से दर्शकों तै भ्रमित , चकित करणों नाम ही आज स्पोर्ट्स जौर्नालिज्म च।
-पण ..
-ज्वा टीम जीती जावो वीं तैं पांडव बणावो अर ज्वा टीम कार जावो वीं टीम तै कौरव घोषित करिक रसातल तलक पौंचे द्यावो। फिर जन आज शिखर धवनन सैकड़ा लगाइ तो वीरेन्द्र सहवाग तै क्रिकेट से सन्यास लीणो आदेस जन खुंकार भाषा इस्तेमाल कारो।
-पण आज ज्वा टीम जितणि ह्वावो अर परस्युं हारि जावो तो?
- तो टीमौ कप्तान तै खेल को खलनायक घोषित करी द्यावो . कप्तान तै अर जौन कुछ नि कार वूं तैं सन्यास दिलाणो आदेस जन सलाह भारतीय क्रिकेट बोर्ड तै द्यावो। हरण वाळ टीम तै चीर हरण या बलात्कार जन अपराध का दोषी साबित कारो। इन लगण चयांद कि यूँ खिलाडियूं से बड़ो धोखेबाज क्वी नी च, दगाबाज क्वी नी च। यूं खिलाड्युं पर देशद्रोही की भगार लगावो अर दर्शकों मन मा टीम का हरेक खिलाड़ी प्रति घृणा पैदा करण वाळ माहोल पैदा कारो। युद्ध की भाषाक इस्तेमाल ही आज खेल पत्रकारिता की असली पछ्याणक ह्वे ग्याइ।
- पण यो अचाणचको बदलाव किलै आयि?
-भै उन तो हम बहुत दिनों से खेल भावनाओं ऐसी तैसी करणाइ छया पण अब स्टार क्रिकेट चैनेल मा कमेंटेटर नवजोत सिद्धू की अलंकृत भाषा प्रयोग से हम समाचार चैनलों पर दबाब बढ़ी गे कि टीआरपी बढ़ाणो बान जथगा जोर से ह्वावो उथगा जोर से खेल अर खेल भावना की हत्या करे जावो।
- वोह तो या बात च?
-जी तो आप कब बिटेन हमर चैनेल ज्वाइन करणा छंवा?
-जी ब्याळि बिटेन छै टीवी चैनेल का टैलेंट हंटरुं से मेरि मुलाक़ात ह्वे तो मि सोच समझिक जबाब देलु।
-ओके! आई शेल वेट फॉर युअर पोजिटिव रिप्लाइ ।
Copyright @ Bhishma Kukreti 19 /3/ /2013
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