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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, March 3, 2013

उत्तराखंड फिल्म असोसियेसन द्वारा उत्तराखंड फिल्म नीति पर कुछ सुझाव


  प्रस्तुति -भीष्म कुकरेती
[ उत्तराखंड फिल्म निर्माण लाभकारी व्यापार कभी नही माना गया। अधिसंख्य निर्माताओं ने भाषा एवं संस्कृति भक्त बन कुमाउनी या गढवाली फ़िल्में बनाईं और यही अभी तक यह उद्यम का रूप नही ले सका है। जब तक उत्तराखंडी फिल्म निर्माण उद्यम का आकार नही लेता अथवा उत्तराखंड सरकार इसे उद्योग का दर्जा नही देती उत्तराखंडी फिल्म में ना ही तेजी आयेगी ना ही असली व्यवसायी इसमें लागत लगायेंगे। उत्तराखंड फिल्म असोसियेसन , देहरादून ने सरकार को कुछ सुझाव दिए हैं और वे सुझाव इस प्रकार हैं }

१- उत्तराखंड में फिल्म नगरी नही फिल्म कौम्प्लेक्ष बनना चाहिए
२- फिल्म कौम्प्लेक्ष में पंच सितारा होटल के स्टैण्डर्ड के दस से बारह कमरों के आवासीय सुविधा हों। इसके अतिरिक्त कुछ कमरे ग्न्रल स्टाफ के लिए हों।
३- भोजन व्यवस्था इस तरह हो कि अन्तराष्ट्रीय स्टार के निर्माताओं को यहाँ ठहरने में दिक्कत ना हो
४-कुछ ऐसी दुकाने हों जो फिल्म निर्माण के लिए कैमरा, लाइटिंग मशीनें , जनरेटर आदि अन्य सभी मशीने किराए पर दे सकें व साथ में तकनीसियन भी सुलभ हों।
५- यहाँ एडिटिंग, रिरिकौर्डिंग आदि लैब, ध्वनी रिकॉर्डिंग आदि की सुविधा हों
६ रॉ स्टोक या कच्चा मॉल की सुविधा हो
कुमाउनी व गढवाली फिल्मों हेतु वित्तीय सहायता
१- क्षेत्रीय भाषाई फिल्मो को नकद व अन्य जैसे कर माफी जैसी सहायता मिले
२- हिंदी व अन्य भाषाई फिल्मों के उत्तराखंड में फिल्माकन को प्रोत्साहन दिया जाय
३- सरकारी हस्त्सक्षेप कम हो।
४- प्रचार प्रसार से हिंदी व अन्य भाषाई फिल्मों के उत्तराखंड में फिल्माकन के लिए निर्माताओं को न्योता भेजा जाय
५- क्षेत्रित फिल्मन को पुरस्कृत किया जाय
६- अच्छी क्षेत्रीय भाषाई फिल्मो को अन्तराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में भेजने के लिए सहायता दी जाय
७- राज्य में इम्पा जैसी संस्था हो जिससे पंजीकरण यहीं हो
८ फिल्म कारिंदों व र्च्नाध्र्मिताओं हेतु आवासीय कालोनी हो
९- एक ही असोसिएसन को मान्यता हो
१० मिनी सेंसर बोर्ड देहरादून में हो
१ १ - बैंक फिल्म निर्माताओं को लोन सुविधा उपलब्ध कराए
पाइरेसी रुकवाने हेतु कड़े कदम व कड़े नियम बनाये जायं

पायरेसी रोकने के लिए कड़े नियम व कड़े कदम उठाये जायं
फिल्म प्रदर्शन पहाड़ों में कठिन है अत: सरकारी खर्च पर चलते फिरते प्रदर्शन हौल हों
शहरों में सभी सिनेमाग्रहों में एक शो क्षेत्रीय फिल्मो के लिए बंधित हो
[ उत्तराखंड फिल्म असोसियेसन के कोषाध्यक्ष श्री मदन डुकलाण से बातचीत पर आधारित )

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