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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, March 18, 2013

स्पेनी सिनेमा हौलिवुड के मकड़ जाल से लगातार मुक्त होता आया है


 (गढ़वाली कुमाउनी  फिल्म विकास पर  विचार विमर्श )
 
                                           भीष्म कुकरेती
 
 
                   आज जब भी मैं किसी गढ़वाली -कुमाउंनी फिल्म हस्ती से क्षेत्रीय  फिल्म विकास पर बात करता हूँ तो अधिसंख्य हस्तियाँ राज्य सरकार की अवहेलना की ही बात करते हैं। उनकी बातों में दम अवश्य है लेकिन कोई भी हस्ती  राज्य सरकार और प्राइवेट सहभागिता से कुमाउंनी -गढ़वाली फिल्मों को अंतर्राष्ट्रीय पहचान देनी वाली किसी भी सटीक रणनिति पर बहस करने को तैयार नही दिखता है। 
         वास्तव में इसका मुख्य कारण है कि मय प्रवासी समाज हमारा समाज अच्छी फिल्मों का चाह तो रखता है किन्तु उस समाज ने कभी भी  फीचर फिल्मों,वीसीडी फिल्मों,लघु फिल्मों, ऐल्बमों, डाक्यूमेंट्री फिल्मों से समाज को दूरगामी फायदों, गढ़वाली-कुमाउंनी फिल्म उद्यम की समस्याओं, गढ़वाली-कुमाउंनी फिल्म उद्योग के विकास को गम्भीरता पूर्वक लिया ही नहीं। छिट  पुट प्रयासों जैसे यंग उत्तराखंड दिल्ली  का सिने  अवार्ड;  विचार मंच मुंबई का पारेश्वर गौड़ को पुरुस्कृत , करना, देहरादून में गढ़वाल सभा द्वारा फिल्म सम्बधित फिल्म प्रोग्रैम को छोड़ कर   मैंने कोई समाचार नही पढ़ा कि किसी सामाजिक संस्था ने  गढ़वाली-कुमाउंनी फिल्म उद्यम विकास  पर गम्भीरता पूर्वक  लिया हो। सरकार के कानो में जूं नही रेंगती के समर्थकों को समझना चाहिए कि पहले व्यक्ति, सामजिक सरोकारी  विचारकों, समाज की कानो में जूं रेंगना जरूरी है कि सरकारी अधिकारी व राजनीतिग्य   गढ़वाली-कुमाउंनी फिल्म उद्यम विकास को गम्भीरता पूर्वक लें।

               केवल  गढ़वाली-कुमाउंनी फिल्म उद्यम ही समस्या ग्रस्त नही है अपितु मैथली,मेघालयी, नागालैंड , हरयाणवी, राजस्थानी, मालवी , छतीस गढ़ी आदि भाषाई फ़िल्में भी उन्ही समस्याओं से जूझ रही हैं जिस तरह  गढ़वाली-कुमाउंनी फ़िल्में जूझ रही हैं। सभी उपरोक्त भाषाओं की फ़िल्में वास्तव में हिंदी फिल्मों की छाया के नीचे जकड़ी हैं और बौलिवुड की जकड़ इतनी खतरनाक है कि भोजपुरी फिल्मे जो एक धनवान फिल्म उद्योग में गिना जाता है वह भी हिंदी फिल्मों की कार्बनकॉपी ही सिद्ध हो रही हैं।  

        ऐसा नही है कि भारत में ही  स्थानीय भाषाएँ फिल्म विधा में बड़ी भाषाई फिल्म उद्योग के कारण समस्याएं झेल रही हैं अपितु अंतर्राष्ट्रीय पटल में भी ऐसा सिनेमा के शुरुवाती दिनों से होता आ रहा है।

           गढ़वाली -कुमाउंनी फिल्मों के सन्दर्भ में गढ़वाली -कुमाउंनी समाज और गढ़वाली -कुमाउंनी फिल्म कर्मियों -रचनाधर्मियों को वैचारिक स्तर पर स्पेनी  फिल्म उद्यम विकास की कथा को समझना आवश्यक है।  

        स्पेनी भाषी केवल स्पेन में ही नही हैं किन्तु स्पेन,क्यूबा अमेरिका अर्जेंटाइना स्विट्जर लैंड , चिली, और कई लैटिन अमेरिकी देशों में रहते हैं .इसलिए स्पेनी फिल्मों को बैलियों (डाइलेकट्स ),  भौगोलिक, आर्थिक, राजनैतिक, सामजिक , सांस्कृतिक वैविध्य के कारण कई चुनौतियों का सामना अपने जन्म से ही करना पड़ा है। किन्तु स्पेनी फिल्मों  ने हर चुनौती का सामना कर अपना एक अलग  साम्राज्य स्थापित किया।   

      सन 1910 से जब हौलिवुड में चलचित्र बनने लगे तो अमेरिकी फिल्म उद्योग साड़ी दुनिया पर हावी रहा और देखा जाय तो आज भी हौलिवुड फिल्म जगत का बादशाह है। शुरुवाती दिनों से ही दुसरे देशों में हौलिवुड के प्रभाव को दुसरे देशों के रचनाधर्मी प्रशंसा , डर, इर्ष्या के भावों से देखते थे और आज भी दुसरे देशों के रचनाधर्मियों में हौलिवुड की दबंगता के प्रति प्रशंसा, डर और जलन का असीम भाव प्रचुर मात्रा में मिलता है। जब हौलिवुड चलचित्र स्टूडियो फिल्मों में ध्वनि लाये तो कुछ समय तक विदेसी भाषाओं के रचयिताओं को समझ ही नही आया कि अंग्रेजी का पर्यार्य क्या है। भाषा युक्त ध्वनि का बजार उछाल ले रहा था और ध्वनियुक्त भाषाई कला अन्य देशों की स्थानीय भाषाओं को बड़े पैमाने पर चुनौती दे रही थी। मार्केटिंग रणनीति के हिसाब से हौलिउड फायदे की जगह खड़ा था।       

हौलिउड चल-ध्वनि-युक्त फ़िल्में सभी जगह संस्कृतियों और अन्य कई परम्पराओं को भी चुनौती दे रहा था। जहां चलचित्रों में ध्वनि आने से हौलिउड की परम सत्ता में और भी इजाफा हुआ। लेकिन ध्वनि के साथ साथ हौलिउड को सन  1929 से  एक नई प्रतियोगिता से भी सामना करना पड़ा जैसे जर्मनी भाषाई फिल्मों से। सन  1930  में दुनिया व अमेरिका में एक बहस शुरू हुयी कि क्या हौलिउड की अंग्रेजी फ़िल्में स्थानीय भाषायी फिल्मों को शिकस्त देने में कामयाब होंगी? दुनिया खासकर यूरोप में स्थानीय भाषाओं की पत्रिकाएँ और समाज में भी बहस छिड़ गयी थी कि क्या स्थानीय भाषाई फ़िल्में  संसाधन युक्त हौलिउड अंग्रेजी की फिल्मों को कमाई और कला में चुनौती दे सकती हैं? इसी समय 1920 यूरोप के फिल्मकारों और विचारकों ने हौलिउड विरुद्ध 'द फिल्म यूरोप'   नाम से 'स्थानीय फिल्म आन्दोलन भी छिड़ चुका था।  'द फिल्म यूरोप' आन्दोलन से यूरोप के फिल्म निर्माताओं को एक अभिनव ऊर्जा मिली और जब फिल्मों में ध्वनि का प्रवेश हुआ तो उन्होंने ध्वनि (स्थानीय  भाषा ) में कई ऐसे प्रयोग किये जिसे मार्केटिंग भाषा में ' निश प्रोडक्ट ' का निर्माण  शुरू किया जो फिल्म मार्केटिंग इतिहास में कई बार उद्घृत किया जाता है कि किस तरह समाज और रचनाधर्मी व्यापारियों के सहायता से वैश्विक प्रतियोगिता को चुनौती दे सकने में सफल  हो सकते हैं। अमेरिकन' हौलिउड फिल्म उद्योग अंग्रेजी भाषाई फिल्मों में सब  टाइटल देकर और फिर डबिंग से स्थानीय भाषाओं की फिल्मों के लिए रोड़ा बना था। हौलिउड फिल्मो में हर युग में  भभ्य निर्माण  हौलिउड का सशक्त और पैना  हथियार रहा है और  'द फिल्म यूरोप' आन्दोलन के वक्त  भी  हौलिउड फ़िल्में स्थानीय भाषाई फिल्मों के मुकाबले अधिक भभ्य  होती थीं।  1939 के करीब  हौलिउड निर्माता समझ गये कि स्पेनिश दर्शक  अमेरिका में बनी अंग्रेजी फिल्मों के डबिंग वर्जन के मुकाबले निखालिस स्पेनिश भाषाई फिल्मों को तबज्जो देते हैं। और हौलिउड के निर्माता निखालिस स्पेनिश फिल्म निर्माण में ही नही उतरे अपितु उन्होंने स्पेन , लैटिन अमेरिका और स्पेनिश बहुल दर्शको वाले क्षेत्रों में वितरण व्यवस्था सुदृढ़ की। स्पेनिश भाषाई भावना इतनी  इतनी प्रबल थी कि  हौलिउड निर्माताओं को स्पेनिश फिल्म  निर्माताओं के साथ सह निर्माण करने को भी बाध्य किया। स्पेनिश भाषाई भावना ने धीरे  धीरे स्पेनिश भाषाई रचनाधर्मियों-कलाकारों -कर्मियों  का हौलिउड में प्रवेश भी दिलाया और एक स्पेनिश फिल्म उद्यम को बढावा भी दिलवाया। समाज, विचारक, व्यापारियों और रचनाधर्मियों के एक जुट  होने से ही स्पेनिश फिल्म उद्योग की सुदृढ़ नींव डाली।

                   हौलिउड की अंग्रेजी फिल्मों ने जब अन्य देशों संस्कृति और परम्पराओं पर प्रबल प्रभाव डालना शुरू किया तो स्पेनिश भाषाई सामजिक सरोकारियों  के मध्य  (अलग लग देस के निवासी) भी अपसंस्कृति की बहस शुरू हुयी। अमेरिकी फिल्मों में अप संस्कृति या परम्परा तोडू विषयों ने अमेरिका में बहस सालों से चल हे रही थी। हौलिउड की स्पेनिश भाषाई डब्ड या निखालिस स्पेनी भाषाई फिल्मों  में  स्पेनी भाषा और अलग अलग देशों में अलग अलग संस्कृति, रीती -रिवाजों,  व पर्म्पाराओं के टूटन की भी बहस चलीं। एक बहस अभी भी होती है कि क्या कोई स्पेनी फिल्म अलग अलग देशों में बसे स्पेनी  भाषाई लोगों का प्रतिनिधित्व कर  पायेगी ?  

                            गढ़वाली -कुमाउंनी फिल्मों में भी इसी तरह कुछ अलग ढंग से प्रश्न किया जाता है कि क्या मुंबई, दिल्ली, कनाडा, न्युजीलैंड  में रह रहे प्रवासी रचनाधर्मी जिन्होंने  कई सालों से  पहाड़ नही देखे क्या गढवाली -कुमाउंनी  संकृति, समाज , सामयिकता को दशाने में सफल हो सकते हैं?   स्पेनी भाषाई फिल्मों में एक बहस और चली कि  एक फिल्म की स्पेनी भाषा अलग अलग देशों में बोली  जाने   वाली अलग 'बोली' (डाइलेक्ट ) वाले दर्शकों को कैसे संतोष देगी? स्पेनी भाषा कई देशों व क्षेत्रों की राष्ट्रीय भाषा है  जिसके और ऐसे में फिल्मों में मानकीकृत स्पेनी भाषा की बहस अभी भी खत्म नही हुयी। स्पेनी भाषाई फिल्मों  बाबत राष्ट्रीय पहचान, राष्ट्रीय गर्व व क्षेत्रीय संस्कृति में वैविध्य  की बहस आज भी विचारकों, फिल्मकारों, सामजिक शास्त्रियों के मध्य बंद नही हुयी। राष्ट्रीय पहचान, राष्ट्रीय गर्व व क्षेत्रीय संस्कृति स्पेनी फिल्मकारों के लिए सदा ही चुनौती रही है।  स्पेनी फिल्म लाइन में यह स्पेनी फिल्मकार है, वह क्युबियन  स्पेनी फिल्मकार है,  अर्जेटाइनी स्पेनी ,  वो  मैक्षिकन स्पेनी, हिस्पेनिक (अमेरिकी स्पेनी ), लैटिनो फिल्मकार आदि जुमले आज भी प्रसिद्ध हैं। हाँ स्पेनी फिल्म  अलग अलग  डाइलेक्ट  बोलने वाले स्पेनियों के मध्य एक स्वयं-समझो वाली मनोवृति भी लाये। 
    
         प्रथम गढ़वाली फिल्म 'जग्वाळ' के निर्माता पाराशर गौड़ अपने अनुभव से बताते हैं कि  'जग्वाळ' में असवालस्यूं व बणेलस्यूं  या कहें  चौंदकोटी बोली का ही बाहुल्य है। पौड़ी गढ़वाल में जब फिल्म देखी  गयी तो भाषाई बात दर्शकों ने नही खा। किन्तु चमोली गढ़वाल रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में दर्शकों ने पराशर जी को पूछा कि इस फिल्म में किस 'देस' की भाषा है। कुमाऊं में तो 'जग्वाळ' के  दर्शक थियटर से जल्दी बाहर आ गये। 'सिपाही' फिल्म कुमाउंनी व गढ़वाली मिश्रित 'ढबाड़ी' भाषा की फिल्म है किन्तु भाषाई दृष्टि से फिल्म को अस्वीकृति ही मिली है। सामने तो नही किन्तु अपरोक्ष रूप से गढ़वाली फिल्कारों ने मानकीकृत गढ़वाली का ना होना (जो सबको शीघ्र समझ में आ सके ) गढवाली फिल्मों के लिए एक चुनौती है और फिर हिंदी युक्त गढवाली ही सहज विकल्प गढवाली फिल्कारों के लिए है।   
    अलग अलग देशों में स्पेनी फिल्म निर्माण के कारण  स्पेनी फिल्मों में स्वदेसी राष्ट्रीय पहचान और क्षेत्रीय गर्व वाली स्थानीय स्पेनी फिल्मों का  भी  वर्चस्व रहा है।  शुरू से ही स्पेनी फ़िल्में कला फिल्मों , ब्लॉकबस्टर फिल्मों, सामयिक फिल्मों, क्षेत्रीय अभिलाषा-इच्छाए सम्भावनाएं युक्त फिल्म बनती रही जो हौलिउड को चुनौती देती आ रही हैं और हर बार हौलिउड की छाया से निकलने में सफल भी हुयी हैं और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान के अलावा अपना सशक्त बजार बनाने में भी कामयाब हुयी हैं। स्पेनी फिल्मों के बनने में राजनीतिक स्थितियों की रोकथाम  व  प्रदर्शन में  अलग अलग देशों में राजनैतिक व सेंसर अवरोधों ने भी रोड़े अटकाएं  है किन्तु समय व स्पेनी भावना ने अवरोधों को दूर किया। किस तरह स्पेनी फिल्मों ने चुनौतियों का सामना कर  समाधान ढूंढा उसका  उदाहरण है विसेंटे अरांदा , जौम बलागुएरो, जौन अन्तानिओ, लुइस ग्रेसिया बर्लांगा ,   लुइस बर्नुइल,मारिओ कैमस, सेगुन्दो डि कुमौन, इसाबेल कोइक्जेट, विक्टर ऐरिस, राफेल गिल , जोस लुइस, गुएरिन,अलेक्ष डि ला इग्लेसिया, जुआन जोस बिगास लुना,जुलिओ मेडेम, बनितो पेरोजो,पियर पार्टेबेला , फ्लोरियन रे,कैरिओस साउरा,अल्बर्ट सेरा आदि फिल्मकारों की फ़िल्में हैं कि किस तरह हौलिउड के जाल से बाहर आया जा सकता है।  

  एल सेक्षिटो , ला अल्डिया माल्डिटा, लास हर्ड्स टियेरा सिन पान, इलोइसा इस्ता डेबाजो दे उन अलमेंद्रो, ला तोरे दी लॉस सिएट जोरोबाडोस, एल इस्प्वायर सिएरा दी तेरउअल, विदा इन सोम्ब्रास,ला कोरोना नेग्रा, बेइनवेनिडो मिस्टर  मार्शल,मुरते दे उन सिक्लेस्टा, ट्रीप्तिको एलिमेंटल दि इस्पाना, ला वेंगाजा, विरिदियाना, एल वरदुगो, एल एक्स्ट्रानो विआजे,ला तिया तुला , नुएव कार्टास अ बरता, ला काजा, दांते नो युनिकामेन्ते सेव्रो, अमा लुर,  नौकतर्नो, सेक्स्पिरियन्स , लॉस देसाफ्लोज, दितिराम्बो,आऊम, वैम्पाइर,कान्सिओन्स पारा देस्पुज दे उना गुएरा,लेजोस दे लोस आरबोल्स, अना य लॉस लोबोस,इल स्प्रिन्तु दे ला कोल्मेना, एल आर्बेरे दे गुर्मिका,बिलबाओ, एल कोराजोन देल बोस्क,एल क्रिमेन दे सुएनका,दिमोनिओस इन ऍफ़ जार्डिन, लॉस मोटिवो दे बर्टा,एल बौस्क ऐनिमादो, आतामे, वाकास,   ट्रेन दे सम्ब्रास,अलुम्ब्रामेंतो, अल सिएलो गिरा,हेबल कौन इला, ऑनर दे कावालेरिया, एल ब्राऊ ब्लाऊ, एल कांट डेल्स ओसेल्स, एल सोमनी, ऐता,काराक्रेमादा, फिनिस्तेरी आदि फिल्मों का ब्यौरा बताता है की , खानी फिल्मांकन, निर्देशन, संगीत आदि के हिसाब से स्प्नेइ फ़िल्में हौलिवुड़ से लोहा लेती आ रही हैं और हर चुनौती को खत्म कर नई प्रतियोगिता के लिए तैयार हुयी।  

     स्पेनी भाषाई फ़िल्में जन्म से ही कई बार संक्रमण काल से गुजरी किन्तु फिल्मकारों, समाज के सदस्यों  के जजबों ने हर बार मुश्किलों पर रोक लगाई।         
 
 Copyright@ Bhishma Kukreti 17 /3/2013

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