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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, March 11, 2013

गढ़वळि संस्कृति दर्शन


गढ़वाली हास्य-व्यंग्य
सौज सौजम मजाक-मसखरी
हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा
                    गढ़वळि संस्कृति दर्शन
                             चबोड़्या-चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ )
मास्टर जी - तो बच्चो! अपण स्कूलों नाम बथावो!
स्कुल्या- सर ! हमर स्कूलों नाम न्यू व्हार्टनी स्कूल, न्यू जर्सी , यूनाइटेड स्टेट्स औफ़ अमेरिका च।
मास्टर जी - भलो भलो ! तो बथावो आज क्या दिन च?
स्कुल्या- आज शुकार च
मास्टर जी- अर शुकारो कुण दुफरा परांत हम लोग क्या करदां?
स्कुल्या- आज हम एकैक कौरिक अपण नेटिव प्लेस याने पैत्रिक अर मात्रि भूमि का बाराम एक हैंको तैं बथौंदा।
मास्टर जी - किलै?
स्कुल्या -जां से हम तैं दुन्या का भौं भौं जगाक भूगोल अर संस्कृतिs बारम सही जानकारी मिल जावो।
मस्टर जी- भलो ! भलो ! हाँ तो आज अपण मात्रि भूमि को बारामा बथाणो कैकि पांति (बारी ) च ?
एक स्कुल्या - जी मेरो।
मास्टर जी - तेरो नाम क्या च।
स्कुल्या - जी रितेश गढ़वाली।
सबि स्कुल्या - तैकुण प्यार से हम तै रीठु बुल्दां
मास्टर जी - तो रीठू ! तेरी मातृभूमि नाम क्या च?
रीठु - जी गढ़वाल, हिमालय , इंडिया
मास्टर जी -तो बथा तुमर इख क्या क्या हूंद।
रीठु- जी हमर इख कुछ नी हूंद बस हिसर, काफळ , किनगोड़ा, बेडू , तिमल, बंजण . बंजणो ठंडो ठंडो पाणि, क्या-कुंळै बग्वान।
मास्टर जी - दैट्स इंट्रेस्टिंग। अग्वाड़ी
रीठु -फ्युंळि बि होंद पर या जवान होणि रौन्दि होणि रौन्दि ।
मास्टर जी- अच्छा ! फ्युंळि जवान बि होंदी
रीठु - जी अर फिर वा कै जवान छ्वारा दगड़ , प्यार करदी अर द्वी आड़ा तिरछा कुज्याण कै भौणम पहाड़ोम गाड गदनोम नाचणी रौन्दि।उख हरेक को काम प्रेम करण च अर पहाड़ोंम नाचण -गाण इ च।
मास्टर जी - जरा गढ़वाळs सोसल लाइफ़ का बाराम बथादी
रीठु- जी उख सौब पलायन का रूण रूंदन अर काम क्वी नि करदो।कबि कबि क्वी जनानी पाणी बंठा उठैक लान्दि
मास्टर जी -दैट्स इंट्रेस्टिंग। हौर!
रीठु - उख डाकु घवाड़ाम बैठिक डाका डाऴदन अर पुलिस त ना पर फ्युंळि प्रेमी डाकुओं नाश करदो।
मास्टर जी - वोह ! उख अर डाकु ?
रीठु - जी हाँ वो लोग पहाड़ी रास्तों पर घवाड़ा इन भगांदन जन मेरो बुबा जी इख मर्सडीज भगांदन।
मास्टर जी - सोसाइटी बाराम कुछ हौरि जानकारी?
रीठु -जी उख गढ़वालम लोगुं तैं हंसाणो बान भौं अलग इ जात होंदि।
मास्टर जी - अच्छा !
रीठु - हाँ जी यी लोग उल जलूल हरकत कौरिक . दारु पेकि, कैकि चोरि कौरिक लोगुं तै हंसाणो कोशिस करदन पण लोग छन कि हंसदी नि छन।
मास्टर जी - या क्वा जात च?
रीठु - जी क्वी यूं तैं कॉमेडियन बुल्दो त क्वी हास्य कलाकार।
मास्टर जी - अच्छा ! उख समाज मा शान्ति ही रौन्दि बुरा लोग नि होंदन?
रीठु -जी हमर गढ़वालमा गब्बर सिंग, लाला, मोगेम्बो, मोना डार्लिंग को बौस जन बुरा लोग समाज का बुरा लोग होंदन यी लोग भौत इ बुरा होंदन।
मास्टर जी - अर तुमर गढवाल की संस्कृति?
रीठु - जी ब्वाल च कि ना बेबगत गाणा गाण अर कैं बि भौणम नचण।
मास्टर जी - रीतेस अलाइस रीठु ! तू कबि गढ़वाल बि गे , कबि पहाड़ बि गे?
रीठु - ना मास्टर जी! मि कबि गढ़वाल नि ग्यों। हां अपुण ब्वे बुबों दगड़ हिमाचल प्रदेश, कश्मीर , ऊटी जन पहाड़ी जगों मा जरूर ग्यों।
मास्टर जी- तेरा पैरेंट्स त्वै तैं गढ़वाल किलै नि लीगेन?
रीठु - जी म्यार बुबा जी बुल्दन बल म्यार ददा जी भौत साल पैल दिल्ली ऐ छया अर म्यार बुबा जीन गाँव कबि नि देखि। बुबा जी बुल्दन बल उख हमर गां मा हमर पैत्रिक कूड़ खंद्वार ह्वे गे होला त उख जैक क्या करण?
मास्टर जी -रितेस गढ़वाली ! त्वे तैं गढ़वाल की या जानकारी कखन मील ?
रीठु - जी गढ़वाली फिल्म अर गढ़वाली म्यूजिक ऐल्बमुं से मि तैं गढ़वाल का बाराम या जानकारी मील।
मास्टर जी -बच्चो तुमन रितेस गढ़वाली की बातों क्या अर्थ निकाळ?
एक बच्चा - कि रीठु तैं अपण नेटिव प्लेस का बारम कुछ नि पता।
दुसर बच्चा- कि रीठुन जो बि ब्वाल वो सब झूट च कोइ बि फिल्मों से अपण समाज, संस्कृति का बाराम सही जानकारी हासिल नि कौर सकुद।
मास्टर जी - अर अपण संस्कृति कु बाराम ज्ञान कु दे सकुद?
सबि बच्चा- संस्कृति ज्ञान दीणै जुमेवारी पेरेंट्स की होंदी ना कि फिल्मों की ।
Copyright @ Bhishma Kukreti 12 /3/2013

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