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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, March 20, 2013

कुछ काम में से नि हूणन


गढ़वाली हास्य-व्यंग्य 
सौज सौजम मजाक-मसखरी  
हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा
 
 
                                कुछ काम  में से नि हूणन  
 
                                   चबोड़्या - चखन्यौर्याभीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )
 
आज मि  सुचणु छू बल में से क्या क्या काम नि ह्वे सकदन त लग भौत सा काज छन जो में से नि हवे सकदन।
अब जन कि घरवळि ब्यौवक दिन बिटेन स्याणी-गाणि करणी च  बल मि लौ बाणिक मनिख ह्वे जौं पण मै नि लगद इन ह्वालो।
अब जन कि मि कथगा बि  पुठ्या जोर (प्रयत्न ) लगौल  मीन अपण कमरा साफ़ नि रखण अर जब तलक में पर ताकत रालि तब तलक कमरा मा कखि किताब फुळी रालि तो कखि कागज़ पतर इना उना फुऴयां ही राला।

 अब जन कि मि रात कथगा बि सौं घटुल मीन सुबर क्या दिन तलक बि अपुण डिसाण -ढिकाण नि बिटांण होस्टल की आदत च कि सात आठ दिनों मा जब किरम्वळ तड़कावन या धूळ-मट्टी-गार बिनावन तबि डिसाण -ढिकाण झाड़न अर वां से पैल दिखण बि नी च कि गद्दा अर खंतुड़ पर क्या क्या भंगुल जमणु च।

अब जन कि सरकार कथगा बि सिगरेटों दाम बढ़ालि मीन सरकार को फिस्कल डेफिसिट कम  करणों बान  सिगरेट पीणु रौन अर सिगरेट पीण नि छुड़ण।

अब जन कि  म्यार द्वी  नौन अर ब्वारि कथगा बि नाराज होला मीन शराब पीण नि छुड़ण। जब मीन शराब पीण शुरू कौरि छे तो ये सोचिक पीण शुरू करी छे कि यांसे रचनाधर्मिता मा उछाला आलो अर आज तक शराब से  क्वी भलो क्रिएटिव खयाल  नि ऐन पण मीन शराब पीण नि छुड़ण। अजकाल जब पैसों तंगी ह्वे जान्दि तों मि तैं  देसी दारु मा बि मजा आंदो।
ब्वे आज बि सुबेर सुबेर  सुबर फड्यान्दि च बल दांत मजा दांत मजा पण मजाल च मि  कबि नक्वळ (नास्ता ) करण से पैल  दांत मजौं धौं। मैं  नि लगद मि कबि नक्वळ से पैल दांत मंजौल धौं!

मै नि लगुद कि मि स्लेका का कपड़ा पैरूल जब जवानि मा छोरि पटाणो ढंग  का कपड़ा नि पैरिन तो बुढ़ापा मा क्या मि बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम जन सलीकादार कपड़ा पैरुल धौं!
मि तैं नि लगुद कि मि कुत्ता या बिरळ पाळलु , या चखुलों तै पिंजड़ा मा पाळलु या माछों तैं फिश बौक्ष माँ धरिक लेख लिखुल। माछों  जगा गदन , तालाव , नदी या स्मोदर मा इ ठीक च।

 मि तैं नि लगद मि कै पहाड़ी जगाम  रिटायरमेंट जीवन बितौलु। अचकाल पहाड़ों मा जन कि मसूरी , भीमताल ,नैनीताल मा जमीन मंहगी ह्वे ग्यायि अर मीन जब जवानि मा पैसा जमा नि कार तो अब बुड्यांद दें लौटरी मिलण से रै। लौटरी खुलि बि सकद च जब मि लौटरी टिकेट खरीदलो। चाहे कुछ बि ह्वे जालो मीन लौटरी टिकेट नि खरीदण अर सरकारी जुआ तैं परिश्रय नि दीण। मतलब मेरो अग्वाडि की जिन्दगी मुंबई मा कटेली।

मि तै नि मि लगद बल मि गढ़वाळी मा लिखण छुड़ुल हालांकि हिंदी मा लिखण सौंग च अर गढ़वाळी मा लिखण से पैल हिंदी मा सुचण पोड़द अर फिर हिंदी मा सुच्यां को अनुवाद गढ़वाळि मा करण पोड़द। 
अब जन कि मैं नि लगद बल मि फेस बुक मा सुबर गुड मॉर्निंग अर स्याम दें गुड नाईट पोस्ट करुल। 
मै नि लगुद बल मि फेस बुक मा लोगुं फोटो शेयर करलु।

मै नि लगुद बल मि गूगल सर्च बिटेन कॉपी पेस्ट करिक फेस बुक मा पोस्ट करुल।
हाँ भोळ म्यार मन बदली गे त मि नि बोलि सकुद कि जु मि आज नि कौर सकुद भोळ नि कौर सकुद किलैकि अपण मनै करण मेरो नागरिक अधिकार च जन कि अपण फैदा बान विदेश नीति तैं खपचाण करुणानिधि क मौलिक अधिकार च।              
                                              
 
Copyright @ Bhishma Kukreti   20 /3/2013 

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