यादु की फंची धरी मुंड मेरा ,
जाणे कख हर्चे तू , हे ल्ठ्याली ,
लगै सबबी सक्की चौ दिशि भ्ट्याण्यो ,
पर त्वे तक बाच पौंछी नि ल्ठ्याली ,
हे ल्ठ्याली, सुन धौं ल्ठ्याली I
खुंटी मई बैठी कबि हेरी बाटो ,
कबि धार माँ गयऊँ दौडीक ल्ठ्याली ,
नि औणु छोऊ त्वैन , जाणदू छो मै खूब,
परेखणु रयों फिर बि अपनों विशवास ल्ठ्याली ,
हे ल्ठ्याली, सुन धौं ल्ठ्याली I
द्यवतौं का थान गयों मै ,
माँगणोऊकु हाति तेरी गुन्द्क्यालि
देखि वुन्की खौलीं सी गिच्ची ,
समजी ग्यों मई, कि मैन क्या मांगी याली
हे ल्ठ्याली, सुन धौं ल्ठ्याली I
रै नि सकदु बिना त्वाई जू द्वी घडी भी ,
बिसमै माँ छो कि कनै उमर काटी याली,
बाडु भरैक ऐगे हे मेरो ,
बगणी चांदी कूल ... हे तोड़ी हर बंद ल्ठ्याली
हे ल्ठ्याली, सुन धौं ल्ठ्याली I
रएँ सदानी तू सैदिस्ट मेरा , बनिक अपछाणकु ल्ठ्याली ,
पर व आज बी खित हैन्सी जान्द ,हे
थर्पिं च मूर्ति तेरी जू मेरा ज्यू की पठाली,
ल्ठ्याली, सुन धौं ल्ठ्याली I
By: Dinesh Bijalwan
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